By अनन्या मिश्रा | May 09, 2024
निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटों के साथ ही विधानसभा की 147 सीटों पर चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। वैसे तो विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के द्वारा एक-दूसरे पर तमाम मुद्दे उठाए जा रहे हैं। राज्य विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, चिटफंड और खनन घोटाले और भ्रष्टाचार के मुद्दे अहम होने वाले हैं। बता दें कि राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ने 24 साल पूरे कर लिए हैं।
बीते पांच सालों में बीजद ने विभिन्न विधेयकों और नीतियों के केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन किया है। यहां तक की संसद के पटल पर खुले तौर पर घोषणा की है। ऐसे में बीजद का विपक्षी भाजपा पर निशाना साधने का हथियार कुंद पड़ता नजर आता है। विपक्षी बीजेपी ने घोषणा कर दी है कि वह 'उड़िया अस्मिता' के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरेगी। ऐसे में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है।
बेरोजगारी और पलायन का मुद्दा
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए राज्य में बेरोजगारी और पलायन का मुद्दा काफी अहम है। बीजेपी और कांग्रेस के मुताबिक नवीन पटनायक की सरकार राज्य में 24 साल से सत्ता पर काबिज है। लेकिन इसके बाद भी सत्तारूढ़ सरकार राज्य से युवाओं के पलायन को रोकने में विफल हो रही है। विपक्ष राजनीतिक दलों के अनुसार, राज्य सरकार पुरुषों व महिलाओं को रोजगार देने में भी फेल हो रही है।
वहीं हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम पटनायक पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य न सिर्फ विकास से वंचित है, बल्कि यहां पर 'संकटग्रस्त प्रवासन' एक प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को एक बार भाजपा को 5 साल के लिए मौका देना चाहिए। क्योंकि राज्य के तमाम युवा काम की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद राज्य से किसी को पलायन की जरूरत नहीं पड़ेगी।