आतंकियों ने कहा मजहब बताओ, आतंकियों ने कहा कुरान कि आयतें सुनाओ, आतंकियों ने कहा क्या तुम मुस्लिम हो, तो ठीक है यहां से जाओ। लेकिन जो मुस्लिम नहीं थे उनका क्या? आतंकियों ने ऐसे लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी। ये घटना बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आज से चार साल पहले अंजाम दिया। आतंकियों ने ये जानने के लिए कि कत्ल उन्हें किसका करना है इसके लिए बंधकों से पूछा कि तुम्हारा धर्म क्या है। हम एक बार फिर से कह दें कि हमारा ये मानना है कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता और आतंक का कोई धर्म हो भी नहीं सकता। लेकिन जब धर्म पूछकर मौत या जिंदगी दी जाए तो कैसे कहें कि आतंक का धर्म नहीं होता।
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