By डॉ. रमेश ठाकुर | Feb 15, 2021
हिंदुस्तान में कोविड-19 का टीका करण अभियान जोरों पर है। पहला चरण सरकारी महकमों पर निर्भर है जिसमें सरकारी कर्मचारियों, पैरामेडिकल स्टॉफ, सेनाओं-सुरक्षा कर्मियों, हेल्थ केयर से जुड़े लोग व पुलिस-प्रशासन को शामिल किया गया। लेकिन सामाजिक स्तर पर मांग उठने लगी है कि निजी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों का भी साथ-साथ टीका करण कराया जाए। चिकित्सक भी इसके पक्षधर हैं। इस मुद्दे पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वित्त सचिव व दिल्ली के नामी गोयल अस्पताल के चेयरमैन डॉ. अनिल गोयल से डॉ. रमेश ठाकुर ने विस्तृत चर्चा की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से।
प्रश्न- कोरोना टीकाकरण अभियान में आपने निजी क्षेत्र के कर्मियों को भी शामिल करने की मांग की है?
उत्तर- जी हां बिल्कुल की है। कोरोना किसी को भी हो सकता है। मैंने देखा है कुछ केस ऐसे भी मेरे अस्पताल में आए हैं जो घरों से बाहर भी नहीं निकले लेकिन संक्रमित हो गए। ये ठीक बात है कोरोना से लड़ाई लड़ने वाले कर्मियों जैसे अस्पताल में कार्यरत कर्मी, सुरक्षा में तैनात लोगों आदि को कोरोना होने की संभावनाएं ज्यादा हैं। लेकिन इसके साथ-साथ वह लोग भी सुरक्षित नहीं हैं जो निजी कार्यालयों में काम करते हैं। पत्रकार भी पहले दिन से कोरोना संक्रमितों के बीच में रिपोर्टिंग कर रहे हैं, उनका भी टीकाकरण होना चाहिए। मेरे कहने का मतलब इतना है कि संगठित व असंगठित क्षेत्र के सभी कर्मियों को एक साथ टीका लगाया जाना चाहिए, भेदभाव किसी भी तरह का नहीं होना चाहिए।
प्रश्न- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इस दिशा में क्या कर रही है?
उत्तर- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसके लिए पूरी तरह से प्रयासरत है। हमने केंद्र सरकार से गुहार लगाई भी है कि दूसरे चरण में निजी क्षेत्र को शामिल किया जाए। देहाड़ी-मजदूर से लेकर रिक्शा चालक तक को टीका लगाना चाहिए। कोरोना टीकाकरण को अब तक का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है इसकी सफलता तभी सार्थक होगी, जब इसमें सभी वर्ग समानांतर रूप से जुड़े हों। फिलहाल केंद्र सरकार ने खाका तैयार किया है कि अगले चरण में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा।
प्रश्न- देश के लोगों को पूरी तरह टीका लगा नहीं, विदेशों में भी सप्लाई कर दी, इस निर्णय को आप कैसे देखते हैं?
उत्तर- इस कदम से दो तरह के फायदे होंगे। अव्वल, एशियाई देशों में भारत के बढ़ते कदमों का प्रचार करना, दूसरा हमारे पास वैक्सीन का उतना स्टॉक है जिसे हम बाहर भी भेज सकते हैं। प्रधानमंत्री ने भी साफ कर दिया है कि वैक्सीन कम पड़ने पर और ऑर्डर दिया जाएगा। मुझे लगता है पड़ोसी देशों में वैक्सीन भिजवाने वाला केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। संकट से उभारने में भारत ने पड़ोसी देशों की जो सहायता की है उससे अपनी उदारदता का परिचय दिया है।
प्रश्न- वैक्सीन को लेकर भ्रम भी फैलाया गया?
उत्तर- ये सब फालतू बातें हैं। वैक्सीन को लेकर गंदी राजनीति नहीं होनी चाहिए, पूरी तरह से सुरक्षित है वैक्सीन। ऐसी फालतू बातों पर मंडराए बादलों को आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बीते दिनों साफ कर दिया था। देखिए, एक बात बहुत साफ है कि दोनों वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं। मैं केवल दो-तीन बात कहना चाहूंगा। पहली, वैक्सीन की वजह से कोविड-19 नहीं होता। दूसरी, वैक्सीन से कोविड-19 की रोकथाम होती है ये बहुत साफ है और तीसरी बात वैक्सीन कोविड-19 से होने वाली मौत की रोकथाम होती है ये बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए वैक्सीन लेने में किसी तरह घबराएं नहीं?
प्रश्न- अगर मैं सरल तरीके से समझूं कि इस वैक्सीन की ख़ासियत क्या है तो कैसे बताएंगे?
उत्तर- कोई नहीं मैं पाठकों को बिल्कुल देशी अंदाज़ में बताता हूं। देखिए, कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो स्वदेशी वैक्सीन बनाई गई है वह इंसान के शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने की गतिरोधक क्षमता के लिए तैयार की गई है। वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमजोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं। ये शरीर के ‘इम्यून सिस्टम’ यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण (आक्रमणकारी वायरस) की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं। वैक्सीन में न सिर्फ कोरोना के वायरस से लड़ने की क्षमता है, बल्कि दूसरों वायरसों से भी लड़ने का माद्दा है।
प्रश्न- पोलियो खुराक की भांति कोविड टीकाकरण को भी नियमित कर दिया जाए?
उत्तर- तात्कालिक रूप से अभी कोरोना के प्रभाव को कम करने की चुनौती है। हो सकता है इस टीकाकरण को नियमित भी कर दिया जाए। लेकिन मुझे लगता नहीं, कोविड भविष्य में रहेगा। फिलहाल कोविड वैक्सीन को लगवाना अनिवार्य नहीं किया गया है। लेकिन केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक ज्यादातरों को यह सलाह दी जाती है कि वह वैक्सीन लगवाएं। वैक्सीन ना सिर्फ कोविड-19 से सुरक्षा देती है, बल्कि दूसरे रोगों से भी सावधान करती है। टीकाकरण को महामारी से बाहर निकलने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया भी बताती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संकेत दिए भी हैं कि कोरोना टीके को भविष्य में नियमित भी किया सकता है।
-प्रस्तुति: डॉ. रमेश ठाकुर