International Day Of Peace: शांति और सद्भावना से ही विश्व में आएगी स्थिरता

By सर्वेश तिवारी | Sep 21, 2021

आज दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर के देशों के बीच शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है। दुनियाभर के लोगों में परस्पर प्रेम और मानवता बनी रहे इसके लिए हर साल 21 सितंबर के दिन अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने का एक और उद्देश्य यह है की आपसी विवाद को खत्म करके भाईचारे के साथ आगे बढ़े। 


पूरी दुनिया कोरोना महामारी से प्रभावित है, वैक्सीनेशन की प्रक्रिया लगातार चल रही है। हमारा देश वैक्सीन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अपने साथ साथ ही पड़ोसी देशों को भी वैक्सीन दिया जा रहा है, और यह विश्व सद्भावना की सबसे सुंदर मिशाल भी है। हमारे देश के सहयोग में भी विश्व के अनेक देश अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं। विश्व शांति और भाई चारे को बनाने और बढ़ाने के लिए सिर्फ किसी आपदा ही नहीं वरन सामान्य दिनों भी बेहतर प्रयास होने चाहिए। आज कोरोना भले ही मुख्य मुद्दा है लेकिन आतंकवाद, पड़ोसी देशों की संप्रभुता को चुनौती, विश्व के कई भागों में चल रहे युद्ध इत्यादि एक बड़ी समस्या हैं।

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संयुक्त राष्ट्र ने दुनियाभर के तमाम देशों के बीच शांति व्यवस्था बनाए रखने, अंतर्राष्ट्रीय युद्धों को खत्म करने और देशों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस की स्थापना की थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1981 में इसे मनाए जाने की घोषणा की थी। जिसके बाद हर साल इसे मनाया जाता है। आज के दिन संयुक्त राष्ट्र संगठन से लेकर कई अन्य संगठन विश्व शांति विषय पर कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।


दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस को मनाए जाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने 1981 में की थी। जिसके बाद पहली बार इसे साल 1982 के सितंबर माह के तीसरे मंगलवार को मनाया गया था। उसके बाद 1982 से लेकर साल 2001 तक अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस को सितंबर माह के तीसरे मंगलवार को मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र ने साल 2002 से इसे 21 सितंबर को मनाए जाने की घोषणा कर दी, जिसके बाद से हर साल 21 सितंबर के दिन अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाने लगा। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हर साल संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी बजाई जाती है। यह घंटी, सभी महाद्वीपों द्वारा दान किए गए सिक्कों से बनाई गई है। ‘द पीस बेल’ जून, 1954 में संयुक्त राष्ट्र संघ जापान द्वारा दान की गई थी। साल में दो बार घंटी बजाने की परंपरा बन गई है: बसंत के पहले दिन, वर्नल इक्विनॉक्स ( शरद विषुव ) पर, और 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर। 


अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव, स्थायी मिशनों के प्रतिनिधियों और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के अधिकारियों की उपस्थिति में विश्व शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए घंटी बजाते हैं। 

 

संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाए जाने के लिए एक थीम की घोषणा की है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की थीम 'एक समान और सतत विश्व के लिए बेहतर रिकवरी' ( Recovering better for an equitable and sustainable world ) है। कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना है कि महामारी के इस दौर में दया, आशा और करूणा से अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस को मनाएं, साथ ही भेदभाव या घृणा को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ खड़े हों।

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यह अपील ऐसे समय में और प्रासंगिक हो जाता है जब विश्व के कुछ हिस्सों में गृह युद्ध, और टकराव की स्थिति है। इजरायल और फिलिस्तीन की झड़प, कट्टरपंथी संगठनों द्वारा युद्ध की स्थिति बनाना, वर्तमान में अफगानिस्तान में फैली अराजकता, चीन द्वारा पड़ोसी देशों की संप्रभुता को चुनौती और समुन्द्र में अपनी सीमा का विस्तार करना, अर्मेनिया-अजरबाइजान युद्ध इत्यादि, विश्व शांति के लिए आवश्यक हैं। अभी दुनिया कोरोना महामारी से जंग जीतने के जतन कर रही है तथा आने वाले समय में इसके दुबारा आने की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता। इसलिए अभी पूरे विश्व में शांति और सद्भावना की विशेष आवश्यकता भी है। 


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विश्व शांति दिवस पर एकता का आह्वान किया है। एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इस बार अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस ऐसे समय में है, जब पूरी मानवता संकट में है। कोरोना से 4 मिलियन से अधिक जीवन प्रभावित हुआ है। दुनिया में असमानता और गरीबी बढ़ रही है, जलवायु परिवर्तन की स्थिति चिंताजनक बनी हुयी है, ऐसे में हम सभी दुनिया के देशों से अपील करते हैं कि वो एक साथ आएं और एक-दूसरे की मदद करें।


एंटोनियो गुटेरेस ने यह भी कहा की हमारी दुनिया के सामने दो ही विकल्प हैं-शांति या स्थायी संकट। हमें शांति चुननी चाहिए। यह हमारी टूटी हुई दुनिया की मरम्मत का एकमात्र विकल्प है। उन्होंने दुनिया भर के लड़ाकों से हथियार डालने और वैश्विक संघर्ष विराम दिवस मनाने का भी आह्वान किया है।


कोरोना काल में विश्व शांति दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है। गांधी से प्रेरित नेल्सन मंडेला ने 1990 के दशक में लंबे कारावास और अत्याचारों की कटुता को भुलाते हुए जब नए दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की समाप्ति और श्वेतों के लिए भी बिना किसी भेदभाव के समान अधिकारों की घोषणा की तब घृणा, हिंसा और प्रतिशोध के लंबे एवं दुःखद अध्याय की समाप्ति हुई और स्थायी शांति स्थापित हो सकी। महात्मा गांधी शांति के पक्षधर रहे और उनके विचारों को मानने वाले विश्व के अनेक नेताओं ने इसका समर्थन किया और शांति की ओर बढ़े। युद्ध विनाश की ओर ले जाता है जबकि शांति प्रगति की ओर। 


मानव जब से सामाजिक संरचना में बंधा है, तभी से वह एक ऐसे सामाजिक व्यवस्था की रचना में अनवरत लगा है जहां उसे शांति की प्राप्ति हो या शांतिमय समाज की स्थापना हो सके। इसके लिए उसने विज्ञान और तकनीकि के प्रयोग से तरह-तरह की सुविधाओं का इजाद किया है। मानव का प्रमुख उद्देश्य शांति ही होनी चाहिए जिससे समस्त मानव जाति का आस्तित्व बना रहे और प्रगति होती रहे। शांति और सद्भावना से ही विश्व में स्थिरता आएगी और परस्पर सहयोग को गति मिलेगी। आज विश्व शांति दिवस के अवसर पर, आइए हम सभी लोग शांति के विचार को अन्य लोगों तक पहुंचाएँ। 


- सर्वेश तिवारी 

(लेखक, सक्षम चंपारण के संस्थापक और निर्भया ज्योति ट्रस्ट के महासचिव हैं)

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