By कमल सिंघी | Apr 23, 2020
100 इंटरनेशनल शतक लगाने वाले वे एकलौते खिलाड़ी हैं। उन्होंने 99वें शतक से 100 वें शतक पर जाने में पूरे एक साल का वक्त लिया। लेकिन इस महाशतक के धमाके से सचिन तेंदुलकर ने दुनियाभर में इतिहास रच दिया।
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देश के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर 24 अप्रैल 1973 में राजापुर के मराठी ब्राम्हण परिवार में जन्मे, बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और वे आज क्रिकेट के भगवान हैं। सचिन तेंदुलकर का परिवार मुंबई में के काफी संस्कारिक और सुसंस्कृत परिवार के रुप में जाना जाता है। उनके पिता रमेश तेंदुलकर मराठी के जानेमाने साहित्यकार थे और इसी भाषा में प्राध्यापक भी थे। मां रजनी भारतीय जीवन बीमा निगम में नौकरी करती थीं। सचिन के भारतीय टीम में आने के बाद भी वे नौकरी करती रहीं, फिर रिटायरमेंट ले लिया। सचिन के सबसे बड़े भाई नितिन क्रिकेट शौकीन थे, लेकिन उन्होंने मराठी भाषा में कविताएं लिखना शुरु कीं। फिर एयर इंडिया में पायलट बन गए। दूसरे नंबर के भाई अजित हैं, अजित को पूरा क्रिकेट जगत पहचानता है। वे भी एयर इंडिया में सर्विस करते हैं। सचिन की बड़ी बहन सविता का विवाह पुणे में हुआ है। वहीं सचिन के ससुर यानि पत्नी अंजलि के पिता आनंद मेहता जाने माने उद्योगपति हैं। उनका परिवार लंबे समय से मुंबई में रहता है। सचिन के दो बच्चे हैं, बड़ी बेटी का नाम सारा है, बेटे का नाम अर्जुन है। उनके बेटे को काफी प्रतिभाशाली क्रिकेटर माना जा रहा है। अर्जुन स्कूल लेवल और फिर अंडर 14 क्रिकेट में अपने खेल से काफी सुर्खियों में आए थे। वे पिता सचिन की तरह बल्लेबाज नहीं बल्कि गेंदबाज हैं।
कोरोना से लड़ाई में भी आगे आए सचिन
कोविड-19 महामारी से लड़ाई में भी सचिन तेंदुलकर ने देश का साथ देते हुए आर्थिक मदद भी दी। पहले ही 50 लाख रुपए का दान कर चुके क्रिकेट के भगवान ने फिर से 5000 लोगों के लिए खाना खिलाने का भी ऐलान किया। हाल ही में एक गैर सरकारी संगठन 'अपनालय' ने ट्वीट कर सचिन को धन्यवाद दिया था। 'अपनालय' के अधिकारिक हैंडल ने सचिन तेंदुलकर का शुक्रिया किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए खेल की प्रमुख हस्तियों से बातचीत की थी, जिनमें सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे। सचिन तेंदुलकर ने दूरदर्शन पर एक वीडियो जारी कर देशवासियों को कोरोना से बचने के लिए सावधानियां बताई हैं।
सचिन की पहली कार थी मारुति 800
आज भले ही सचिन तेंदुलकर के पास दुनिया का एक से बढ़कर एक कार हो, लेकिन उनकी पहली कार मारुति 800 थीं। यह बात कम ही लोगों को पता हैं। वे बचपन से ही कारों के जबदस्त शौकीन हैं। यह 1990 की बात है जब सचिन इंग्लैंड दौरे से अपना पहला टेस्ट शतक लगाकर लौटे थे। पूरे देश में उनका नाम हो चुका था। इस दौरे से लौटते ही उन्होंने सेकेंड हैंड मारुति 800 कार खरीदी थी। उस समय उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।
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विश्वास यानी सचिन तेंदुलकर
भरोसे की जहां भी बात हो सचिन तेंदुलकर भी का नाम भी सामने आता है। भले ही क्रिकेट का मैदान हो या भारतीय बाजार की एडवरटीजमेंट इंड्रस्ट्री। सभी जगह सचिन तेंदुलकर की साख क्रिकेट खेलने के दौरान जैसी थी, वैसी ही आज भी है। जब वो किसी प्रोडक्ट के लिए एडवरटीजमेंट करते हैं तो देश के करोड़ों लोग आंख बंद करके विश्वास करते हैं। सचिन तेंदुलकर की ब्रांड वैल्यू आज भी क्रिकेट के मैदान वाले समय जैसी ही हैं। कभी किसी ब्रांड ने सचिन तेंदुलकर की ब्रांड वैल्ड पर कोई असर नहीं किया। यही वजह है कि सचिन का नाम मार्केट में विश्वास भी कहा जाता है।
- कमल सिंघी