भोपाल। जनजाति सुरक्षा मंच मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि मंडल ने गुरूवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट की। मंच द्वारा मुख्यमंत्री चौहान को दिए गए सुझाव पत्र में कहा गया है कि धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति सूची से अलग कर उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण को समाप्त करना चाहिए। जनजाति सुरक्षा मंच के सुझाव पत्र में कहा गया है कि वास्तविक जनजातियों के साथ पूरा न्याय करते हुए उन्हें ही निर्धारित सुविधाएं प्रदान की जाएं। वर्ष 2010 में मंच ने इस विषय पर जनमत संग्रह के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था, जिसमें 27 लाख से अधिक जनजाति वर्ग के लोगों ने हस्ताक्षर किए थे।
वही इससे पहले वर्ष 1970 में तत्कालीन सांसद, जनजाति नेता स्व. कार्तिक उरांव ने 235 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर से युक्त आवेदन तत्कालीन प्रधानमंत्री को सौंपा था। इस संबंध में अनुसूचित जाति/जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 1967 की संयुक्त संसदीय समिति की अनुशंसा में भी धर्मांतरण करने वाले जनजाति के व्यक्तियों को आरक्षण के लिए अपात्र माना गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुलाकात करने वाले प्रतिनिधि मंडल में जनजाति सुरक्षा मंच के प्रमुख कालू सिंह, मुजालदा, क्षेत्र जनजाति संपर्क प्रमुख श्यामा जी ताहेड़, योगीराज परते, मनोहर अवास्या, लक्ष्मीनारायण बामने, श्रीमती सुरभि आत्रराम उपस्थित थे।