By अभिनय आकाश | Dec 22, 2021
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसकी सरगर्मी अभी से दिख रही है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई कहानियां प्रचलित हैं। आज आपको कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हेमवती नंदर बहुगुणा और संजय गांधी से जुड़े एक दिलचस्प कहानी के बारे में बताते हैं। बीबीसी को दिये अपने एक साक्षात्कार में बहुगुणा ने स्वयं इस बात का जिक्र करते हुए कहा था कि 1974 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के पहले दिन से ही उनके और इंदिरा गांधी के बीच मतभेद होने शुरू हो गए थे। उनका कहना था कि इंदिरा गांधी चाहती थी कि बहुगुणा बिना किसी सवाल का जवाब के उनका कहा मानें और उनके बेटे संजय गांधी को और राज्यों के मुख्यमंत्री की तरह राज्य घुमायें. बहुगुणा ने सीधा शब्दों में कहा बैक सीट से ड्राइविंग नहीं हो पायेगी।
बहुगुणा को बता दिया पीएम मैटेरियल
अंग्रेजी वीकली ब्लिट्ज (BLITZ) के संपादक वयोवृद्ध पत्रकार करंजिया ने रूसी नेताओं और एम्बेसडर की मौजूदगी में एक सेमिनार को सम्बोधित करते हुए बहुगुणा को देश के प्रधानमंत्री पद का काबिल मटेरियल घोषित कर दिया। मीडिया में हंगामा मच गया। कहते हैं कि इस बात से नाराज होकर इंदिरा गांधी ने अपने चहेते यशपाल कपूर को बहुगुणा पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंप दी। कपूर लखनऊ में रहने लगे। कहते हैं कि एक दिन भड़ककर बहुगुणा ने यशपाल कपूर का बोरिया-बिस्तरा लखनऊ के अपने मुख्यमंत्री आवास से बाहर फिंकवा दिया।
इंदिरा ने खुद इस्तीफा देने को कहा
भारत छोड़ो आंदोलन के प्रणेता रहे बहुगुणा को हटाना इतना आसान नहीं था। 1974 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को 215 सीटें दिलाई। ऐसे में उनको हाना इतना आसान नहीं था। कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब में एक वाक्य़ा का जिक्र करते हुए बताया है कि बहुगुणा शायद पहले ही बाहर कर दिए जाते लेकिन इंदिरा को लगा कि शायद उनके जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा पर दबाव बन सकता है। जो हुआ नहीं। बाद में इंदिरा गांधी ने हेमवती नंदन बहुगुणा को इस्तीफा देने के लिए कहा। 29 नवंबर 1975 के दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
पार्टी से बगावत
1977 के लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो बहुगुणा ने पार्टी से बगावत कर दी। बाद में बाबू जगजीवन राम के साथ मिलकर उन्होंने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नाम से नई पार्टी बनाई। लोकसभा चुनाव में नई नवेली पार्टी को 28 सीटें हासिल हुई। जिसके बाद इसका जनता दल में विलय हो गया। बाद में चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए बहुगुणा देश के वित्त मंत्री भी रहे।