By अनुराग गुप्ता | Sep 08, 2021
नयी दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हो चुका है। मुल्ला हसन अखुंद को तालिबान की सरकार का प्रमुख बनाया गया। जबकि मुल्ला बरादर और अब्दुल सलाम हनाफी को उप प्रधानमंत्री का पद मिला। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का पहला बयान सामने आया। हालांकि भारत ने तालिबान के नाम का जिक्र नहीं किया।
संस्कृति विरोधी भी है आतंकवाद
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी असहिष्णुता, हिंसा और आतंकवाद में वृद्धि देखी गई। उन्होंने कहा आतंकवाद न सिर्फ धर्म का बल्कि संस्कृति का भी विरोधी है। मैत्रा ने कहा कि धर्म का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता है।कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए मित्रा ने कहा कि महामारी के दौरान भी हमने सूचना और महामारी यानी 'इन्फोडेमिक' चुनौती का भी सामना किया। आपको बता दें कि इन्फोडेमिक का तात्पर्य महामारी के दौरान अफवाहों को बढ़ावा देना, दुष्प्रचार करना और घृणा से भरे हुए भाषणों से है।पाकिस्तान का भी किया जिक्रसंयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया। जिसके बाद मैत्रा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि दुनिया को उन आतंकवादियों को लेकर चिंतित होना चाहिए जो इन कृत्यों को न्यायोचित ठहराने के लिए धर्म का सहारा लेते हैं और जो इसके लिए उनका समर्थन करते हैं।उन्होंने कहा कि भारत मानवता, लोकतंत्र और अहिंसा का संदेश फैलाता रहेगा। सभ्यताओं और सदस्य देशों के संयुक्त राष्ट्र गठबंधन समेत संयुक्त राष्ट्र को ऐसे मुद्दों पर चयन से बचना चाहिए जो शांति की संस्कृति को बाधित करते हों।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान का यहां पर पूरी तरह से कब्जा हो गया और फिर तालिबान ने अंतरिम सरकार के गठन का ऐलान कर दिया। हालांकि इस सरकार में अफगानियों और महिलाओं को शामिल नहीं किया गया।