CWG 2022: 11 दिन, 72 देश, 19 खेल और भारतीय खिलाड़ी, मेडल जीतने की है पूरी तैयारी, इन चेहरों पर रहेगी नजर

By अभिनय आकाश | Jul 26, 2022

राष्ट्रमंडल खेलों के 22 वां संस्करण का आगाज 28 जुलाई को बर्मिंघम में हो रहा है। 72 राष्ट्रमंडल देशों के खेलों में भाग लेने की उम्मीद है और लगभग 5,054 20 खेलों में 280 आयोजनों में भाग लेंगे। भारत प्रतिस्पर्धा में 112 पुरुषों और 105 महिलाओं का एक मजबूत दल भेज रहा है जो 16 खेलों में भाग लेंगे। हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत से पहले ही भारत को एक बड़ा झटका लगा है। भारत को भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) से भी एक पदक की उम्मीद थी लेकिन नीरज चोपड़ा प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए हैं। भारतीय ओलंपिक संघ ध्वजवाहक तय करने के अंतिम चरण में था, जिसमें चोपड़ा के साथ दो बार की ओलंपिक पदक विजेता और शटलर पीवी सिंधु थीं। लेकिन चोपड़ा के खेलों से बाहर हो जाने के बाद, सिंधु को इस सम्मान से नवाजा जाना चाहिए। वैसे को कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने वाले भारतीय खेमे में स्टार खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन इनमें कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनका गोल्ड जीतना पक्का माना जा रहा है। ऐसे में आज आपको उन चेहरों के बारे में बताते हैं जिनसे भारत पदक की आस लगाए  बैठा है। 

मुरली श्रीशंकर - भारतीय एथलीट (लम्बी कूद),  विश्व रैंकिंग: 13 

भारतीय लंबी कूद एथलिट मुरली श्रीशंकर विश्व चैंपियनशिप के फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले पुरुष बने। श्रीशंकर के नाम राष्ट्रीय रिकॉर्ड है और उनकी 8.36 मीटर की छलांग जो उन्होंने अप्रैल में नेशनल फेडरेशन कप में हासिल की थी। ये  इस साल दर्ज की गई दूसरी सर्वश्रेष्ठ लंबी छलांग है। 23 साल के श्रीशंकर ने इस साल ग्रीस में एक इवेंट में 8.31 मीटर की एक और बड़ी छलांग लगाई थी। 16 मार्च 2021 को श्रीशंकर ने 8.26 मीटर के रिकॉर्ड के साथ टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया था। मुरली श्रीशंकर से उनके पहले राष्ट्रमंडल खेलों में पदक की उम्मीद है। बता दें कि श्रीशंकर का नाम साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में था, लेकिन स्टोर की शिकायत की वजह से उन्हें प्रतिस्पर्धा से अपना नाम वापस लेना पड़ा था।  

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मीराबाई चानू - महिला भारोत्तोलन 49 किग्रा वर्ग,  विश्व रैंकिंग: 3 

 

भारोत्तोलक मीराबाई चानू जिनसे बर्मिंघम के कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक की उम्मीदें सबसे ज्यादा हैं। चानू डिफेंडिंग चैंपियन भी हैं और टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज भी हैं। चानू इससे पहले कॉमनवेल्थ गेम्स में दो पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने साल 2014 के ग्लास्गो गेम्स में रजत और चार साल बाद 2018 गोल्ड कोस्ट में स्वर्ण पदक जीता था। चीन और उत्तर कोरिया की अनुपस्थिति में सीडब्ल्यूजी में चानू को भारोत्तोलन में पारंपरिक पावरहाउस के अपने खिताब डिफेंड करने में ज्यादा समस्या नहीं होनी चाहिए। 2018 में मीराबाई चानू ने 48 भारवर्ग में कुल 196 किलो वजन उठाकर रिकॉर्ड कायम किया था। 

जेरेमी लालरिनुंगा- पुरुष भारोत्तोलन 62 किग्रा वर्ग,  विश्व रैंकिंग: 20 

पिछले साल तोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने में विफल रहे भारोत्तोलक जेरेमी लालरिननुंगा को यह पता चल गया है कि जूनियर से सीनियर स्तर पर पहुंचना इतना आसान नहीं है लेकिन वह आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर इस निराशा को कुछ हद तक दूर करना चाहते हैं। पिछले साल दो बार चोटिल होने के अलावा वह कोरोना वायरस से संक्रमित भी हो गये थे, जिसका असर 67 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाले इस खिलाड़ी के प्रदर्शन पर पड़ा। और बर्मिंघम में मल्टी-स्पोर्ट इवेंट के साथ शुरू होने वाले वरिष्ठ स्तर पर सफल होने के लिए तैयार है। जेरेमी 2018 में उस समय सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने अर्जेंटीना में यूथ ओलिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीता था। ऐसा करने वाले देश के पहले एथलीट बने थे। मिजोरम का यह खिलाड़ी युवा वर्ग की सफलता को हालांकि सीनियर स्तर पर नहीं दोहरा सका। पिछले साल के अंत में उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। 

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पीवी सिंधु-  बैडमिंटन, महिला एकल और मिश्रित टीम स्पर्धा, विश्व रैंकिंग: 7 (महिला एकल) 

 स्टार शटलर पीवी सिंधु तीसरी दफा कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा ले रही हैं। सिंधु अब तक इन खेलों में महिला एकल इवेंट में एक-एक सिल्वर और ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं। चार साल पहले पीवी सिंधु को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा क्योंकि उनकी देश की साइना नेहवाल ने स्वर्ण पदक जीता था। जिसके बाद से सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप का खिताब और दूसरा ओलंपिक पदक अपनी झोली में डाला है। सिंधु ने इस साल तीन खिताब जीते हैं और राष्ट्रमंडल खेलों से ठीक पहले सिंगापुर ओपन में जीत से उनका मनोबल काफी ऊंचा होगा। चीन और जापान के खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग नहीं लेते हैं ऐसे में दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट सिंधु के लिए राह काफी आसान है।

लक्ष्य सेन- बैडमिंटन, पुरुष एकल और मिश्रित टीम स्पर्धा, विश्व रैंकिंग: 9 (पुरुष एकल)

 भारतीय बैडमिंटन के युवा सितारे लक्ष्य सेन बर्मिंघम में उस लक्ष्य को हासिल करने के लिये प्रतिबद्ध हैं जिससे चार महीने पहले वह चूक गये थे। सेन चार महीने पहले ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे लेकिन स्वर्ण पदक से वंचित रह गए थे। वह पिछले 21 वर्षों में इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। अल्मोड़ा के इस 20 वर्षीय खिलाड़ी को अब 28 जुलाई से शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में बर्मिंघम एरेना में अपनी चमक बिखेरने का एक और मौका मिलेगा और वह इसके लिये पूरी तरह से तैयार हैं। पिछले साल सेन ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी जीता था। सिर्फ 20 साल की उम्र में, सेन राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज कराएंगे और उनके पोडियम पर पहुंचने की उम्मीद है।

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रवि कुमार दहिया- फ्रीस्टाइल कुश्ती, 57 किग्रा,  विश्व रैंकिंग: 2

 

पुरुषों के वर्ग में टोक्यो खेलों में 23 साल की उम्र में रजत पदक जीतने वाले रवि दाहिया (57 किग्रा) भारत की सबसे बड़ी पदक संभावनाओं में से एक हैं। रवि के लय को देखते हुए कहा जा रहा है कि वो निश्चित ही स्वर्ण पदक अपनी झोली में करेंगे। दाहिया लगातार तीन एशियाई चैंपियनशिप जीत चुके हैं। दहिया जूनियर स्तर पर भी अपनी फ्रीस्टाइल कुश्ती का लोहा मनवा चुके हैं। उन्होंने 2018 में विश्व अंडर 23 कुश्ती चैंपियनशिप जीती थी। इसलिए भी भारत को इस पहलवान से काफी उम्मीदें हैं।

बजरंग पुनिया- फ्रीस्टाइल कुश्ती, 66 किग्रा, विश्व रैंकिंग: 5 

आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के प्रबल दावेदारों में एक नाम बजरंग पुनिया का भी शुमार है, भारतीय कुश्ती में में जिनका नाम पहले ही काफी इज्जत से लिया जाता है। बजरंग पुनिया किसी भी भार वर्ग में दुनिया में नंबर 1 स्थान पाने वाले पहले भारतीय पहलवान हैं। उनकी उपलब्धियों में से एक ये भी है कि बड़े पदक तालिका में दो विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी हैं। 65 किलो भार वर्ग में पुनिया कॉमनवेल्थ गेम्स के गत विजेता हैं और इस बार अपना गोल्ड बचाने के इरादे से खेलेंगे।  राष्ट्रमंडल खेलों में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अभी तक दो राष्ट्रमंडल खेलों जिसमें उन्होंने भाग लिया है, इसमें दूसरे स्थान से नीचे नहीं रहे हैं।

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साक्षी मलिक-  फ्रीस्टाइल कुश्ती, 62 किग्रा, विश्व रैंकिंग: 16

रियो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी के लिये भी राष्ट्रमंडल खेल अहम होंगे जिसे अपना आत्मविश्वास पाने के लिये मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी पड़ी। आखिरकार राष्ट्रमंडल खेल ट्रायल में उसने सोनम मलिक को हराया जबकि इससे पहले उससे लगातार चार मुकाबले हार चुकी थी। भारत ने 2016 रियो ओलंपिक में केवल दो पदक जीते थे और उनमें से एक साक्षी मलिक ने हासिल किया था। जब मलिक ने रियो खेलों में कांस्य पदक जीता तो वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। मलिक ने राष्ट्रमंडल खेलों के पिछले दो संस्करणों से दो पदक के साथ वापसी की है और उनके इस बार तीसरा राष्ट्रमंडल पदक इस लिस्ट में जोड़ने की उम्मीद है।

लवलीना बोर्गोहैन- बॉक्सिंग, 70 किग्रा,  विश्व रैंकिंग: 3

 

बॉक्सर विजेंदर सिंह और एमसी मैरी कॉम के क्लब में अपने नाम को शुमार करवाना कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। लेकिन लवलीना बोर्गोहेन ने टोक्यो खेलों में कांस्य पदक जीतकर ये उपलब्धि हासिल की। टोक्यो में पदक जीतकर, बोर्गोहेन भी विजेंद्र सिंह और मैरी कॉम के बाद मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी बन गईं। हालांकि यह वर्ष उनके लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा। असम की इस मुक्केबाज ने पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था और तभी से उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इस 24 वर्षीय मुक्केबाज ने स्वीकार किया तोक्यो ओलंपिक के बाद के तमाम कार्यक्रमों में भागलेने से उनका ध्यान भंग हुआ और इससे उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ा। विश्व चैंपियनशिप में दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना इस बार शुरुआत में ही बाहर हो गई थी। ऐसे में वह राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर इस निराशा को दूर करने की कोशिश करेंगी। 

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निखत ज़रीन- बॉक्सिंग, महिलाओं का 50 किग्रा 

 

एक अन्य भारतीय महिला मुक्केबाज जिन्होंने जून 2022 में महिला विश्व बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर तहलका मचा दिया। जरीन महिला विश्व बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतने वाली पांचवीं भारतीय महिला बॉक्सर हैं। निकहत ने हाल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खिताब जीता और इसके बाद प्रतिष्ठित स्ट्रेंडजा मेमोरियल टूर्नामेंट और फिर विश्व चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल किये। निकहत 52 किग्रा में खेलती हैं लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों में उन्हें 50 किग्रा में भाग लेना होगा।  उन्हें और उनके प्रशिक्षकों को यह देखना होगा कि वह इस नए भार वर्ग में कैसे सामंजस्य बिठाती है। 

 

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