By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 29, 2019
नई दिल्ली। इतिहास में 29 सितंबर का दिन भारत द्वारा पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर उसके आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद करने के साहसिक कदम के गवाह के तौर पर दर्ज है। भारत ने जहां इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने का दावा किया, पाकिस्तान ने ऐसी किसी कार्रवाई से इंकार किया। जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। इसे भारतीय सेना पर सबसे बड़े हमलों में से एक माना गया। 18 सितम्बर 2016 को हुए उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों का हाथ बताया गया। भारत ने इस हमले का बदला लेने के लिए 29 सितंबर को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।
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सर्जिकल स्ट्राइक
भारत ने पाक को सबक सिखाने की योजना बनाई और 28-29 सितंबर की रात 150 कमांडोज की मदद से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। ये पहला मौका था जब आतंकियों के खिलाफ लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार कर सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। भारतीय सेना के जवान पूरी प्लानिंग के साथ 28-29 सितंबर की आधी रात पीओके में 3 किलोमीटर अंदर घुसे और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला। 28 सितंबर की आधी रात घड़ी में 12 बज रहे थे। MI 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज को LoC के पास उतारा गया। यहां से 4 और 9 पैरा के 25 कमांडोज ने एलओसी पार की और पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।