भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था: अरुण जेटली

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 09, 2017

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी, विकसित देशों के संरक्षणवाद की ओर बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी परिस्थितियों के बीच केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय कुप्रभावों से बचाने के लिए ‘सुरक्षा दीवार’ बनायी जिससे भारत आज भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वर्ष 2017.18 के केंद्रीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में अरुण जेटली ने कहा, ‘‘अभी वैश्विक आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है। स्वाभाविक रूप से यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार मंदा हो तब वह किसी भी देश के विकास और जीडीपी को प्रभावित करता है। ऐसे में खरीददार की जेब में पैसे कम होते हैं और कारोबार प्रभावित होता है, मांग कम होती है और इससे निर्यात भी प्रभावित होगा। इसके साथ एक महत्वपूर्ण परिस्थति यह उत्पन्न हुई है कि विकसित देशों में संरक्षणवाद का विचार फिर से पैदा हुआ है और उनकी नीतियां संरक्षणवाद की ओर बढ़ रही हैं।’’

 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की कीमत हमारे समक्ष एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि हम कच्चे तेल के मूल खरीददार हैं और उनकी कीमतों का असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। जेटली ने कहा, ''ऐसी परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना और अपने लिये इन अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति से बचाने के वास्ते सुरक्षा की दीवार बनाना जरूरी था और पिछले ढाई वर्षों में हमारी सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है।’’

 

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर हम जीएसटी लागू करते हैं तो देश एक बाजार बन जायेगा। आपके समक्ष एक ऐसी व्यवस्था होगी जहां कर के ऊपर कोई कर नहीं होगा। जबकि अभी आप देखते हैं कि 30 से अधिक बाजार हैं और अनेक प्रकार के कर हैं। ''और इसलिए हर राजनीतिक दल ने इसका समर्थन किया है।''

 

नोटबंदी का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत मुद्रा उच्च श्रेणी के नोटों के रही है और इसलिए हम किसी दूसरे देश से इसकी तुलना नहीं कर सकते। नकदी व्यवस्था के कारण यह पता नहीं चलेगा कि किसके धन का लेनदेन हो रहा है। उन्होंने कहा कि आरबीआई को यह सही सही गिनती करने में समय लगेगा कि नोटबंदी के फैसले के बाद कितनी नकदी जमा हुई। यह आसान प्रक्रिया नहीं है और हड़बड़ी में गणना नहीं की जा सकती।

 

जेटली ने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था समानांतर अर्थव्यवस्था और समानांतर मुद्रा के साथ नहीं चल सकती है। और इसलिए विमुद्रीकरण का फैसला किया गया और अगर हम जीएसटी से विमुद्रीकरण को जोड़कर देखें तक इसके फायदों का पता चलेगा।

 

ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की आय वालों को कर में छूट देने का और उसे 10 प्रतिशत से पांच प्रतिशत किये जाने का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि इसका उद्देश्य छोटे करदाताओं का बोझ कम करना है जिससे उनके हाथ में पैसा रहे। उन्होंने कहा, ''इससे वस्तुत: तीन लाख तक की आय पर कर नहीं देना होगा।’

 

राजनीतिक चंदे के संबंध में बीजद के भर्तृहरि महताब और अन्य सदस्यों की चिंताओं पर जेटली ने कहा कि इस विषय पर जब भी कोई समाधान निकाला जाएगा, उसमें समस्या निकल सकती है। लेकिन इसलिए समाधान की दिशा में काम को रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को न्यूनतम 2000 रुपये नकदी से चंदा देने का कदम हमारा नहीं है बल्कि चुनाव आयोग के सुझाव पर यह किया गया। इस पर बाद में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान बात की जा सकती है। इसमें और सुधार की संभावनाएं हैं।

 

वित्त मंत्री ने कहा कि चैक से या डिजिटल तरीके से छोटे छोटे चंदों से व्यवस्था पारदर्शी होगी। बजट में बैंकों से बांड लेकर राजनीतिक चंदे के प्रावधान के संबंध में उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में बैंक कानून के तहत दानदाता का उल्लेख नहीं कर सकते, यह गुप्त रहेगा और राजनीतिक दलों का चंदा भी वैध होगा। उन्होंने कहा कि आदर्श व्यवस्था तो यह है कि देने वाले और लेने वाले का ब्योरा सार्वजनिक हो लेकिन विभिन्न कारणों से लोग चंदा देते समय अपना ब्योरा सार्वजनिक नहीं करना चाहते। सरकारी खर्च पर चुनाव करवाने के तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के विचार पर जेटली ने कहा कि इस बारे में बाद में चर्चा की जा सकती है।

 

गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के संबंध में जेटली ने कहा कि ज्यादातार एनपीए बड़ी कंपनियों के हैं जो संप्रग की देन हैं और हमें विरासत में मिले हैं। हम उन पर ब्याज अदा कर रहे हैं। जब कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने राजग सरकार में बैंक प्रबंधन में समस्या की बात कही तो जेटली ने कहा कि समस्या हमारे बैंक प्रबंधन में नहीं आपके बैंकों के खराब प्रबंधन की वजह से है। जेटली ने कहा कि एनपीए के संबंध में कांग्रेस को आत्मावलोकन की जरूरत है।

 

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