Shaurya Path: Jammu Terror Attacks, Russia-Ukraine, Israel-Hamas और China-US से संबंधित मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

By नीरज कुमार दुबे | Jul 21, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ जम्मू क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष और अमेरिका-चीन संबंधों में आये तनाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-


प्रश्न-1. जम्मू क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद को देखते हुए क्या पीर पंजाल क्षेत्र में एनसी विज के कार्यकाल के दौरान चलाये गये ऑपरेशन जैसा ही अभियान एक बार और चलाये जाने की जरूरत है? हम यह भी जानना चाहते हैं कि क्या चीन सीमा पर ज्यादा सैनिकों की तैनाती की वजह से जम्मू क्षेत्र में तैनाती घटाई गयी है?


उत्तर- जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों द्वारा अपनाई गई ‘‘संरक्षण और समेकन’’ रणनीति के "छिपे हुए खतरे" से जूझ रही हैं। यह खतरा उत्तरी कश्मीर और कठुआ जिले में हाल ही में घात लगाकर किये गये हमलों और मुठभेड़ों में स्पष्ट प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि घात लगाकर किये गये हमलों और आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ों का विश्लेषण करने के बाद सुरक्षा एजेंसियां ‘हाई अलर्ट’ पर हैं, लेकिन जमीनी स्तर की ‘मानव खुफिया’ जानकारी के अभाव में ऐसे आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि तकनीकी खुफिया जानकारी पर पूरी तरह निर्भरता फलदायी नहीं रही है, क्योंकि आतंकवादी अधिकारियों को गुमराह करने के लिए ऑनलाइन गतिविधियों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि विदेशी आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से जम्मू क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए परिचित इस क्षेत्र, खासकर पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी जैसे सीमावर्ती जिलों, में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। भारतीय वायुसेना के काफिले, तीर्थयात्रियों की बस पर हमले तथा कठुआ में सैनिकों की हाल ही में हत्या से यह उभरता खतरा दृष्टिगोचर हुआ है। उन्होंने कहा कि "संरक्षण और समेकन" रणनीति के तहत, आतंकवादी जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करते हैं, लेकिन शुरुआत में चुप रहते हैं, स्थानीय आबादी के साथ घुलमिल जाते हैं और हमले करने से पहले पाकिस्तान में मौजूद आकाओं से निर्देश मिलने का इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की "संरक्षण और समेकन" रणनीति का पता चलने के बाद जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां ‘हाई अलर्ट’ पर हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी का अभाव अभियान में बाधा बन रहा है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे यह भी सच है कि तकनीकी खुफिया जानकारी उतनी कारगर नहीं रही है, क्योंकि आतंकवादी केवल सुरक्षा एजेंसियों को भ्रमित करने के लिए इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति छोड़ते हैं। उन्होंने इसे आतंकवादी गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव बताते हुए भाड़े के विदेशी आतंकवादियों को उनके दुर्भावनापूर्ण इरादों को अंजाम देने से रोकने के लिए कड़ी निगरानी की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सोपोर में 26 अप्रैल को हुई मुठभेड़ में शामिल विदेशी आतंकवादी 18 महीने से छिपे हुए थे। इस तरह की योजना "संरक्षण और समेकन" रणनीति को पुष्ट करती प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि साक्ष्यों से पता चलता है कि कश्मीर स्थित आतंकी समूहों के साथ उनके (विदेशी आतंकवादियों के) संबंध हैं और वे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि जून में इसी प्रकार के अभियानों से छिपे हुए नेटवर्क ध्वस्त हो गए, आतंकवादियों की योजनाओं और क्षमताओं का खुलासा हुआ, तथा सीमा पार से घुसपैठ के अनदेखे उच्च-स्तरीय पहलू भी सामने आए।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मानव खुफिया जानकारी में कमी के साथ-साथ आतंकवादियों द्वारा "अल्ट्रा सेट" फोन जैसे एन्क्रिप्टेड संचार उपकरणों के उपयोग ने उन्हें ‘ट्रैक’ कर पाना मुश्किल बना दिया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां इस छिपे हुए खतरे का मुकाबला करने के लिए निगरानी बढ़ाने और सार्वजनिक सतर्कता बरतने का आग्रह कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की क्षमता भले ही कम हो गई हो, लेकिन उनका इरादा लगातार (देश के लिए) खतरा बना हुआ है। उन्होंने युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी समूहों में भर्ती करने तथा हमलों की योजना बनाने के लिए ‘एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप’ के इस्तेमाल से उत्पन्न चुनौतियों को भी चिंताजनक बताया। उन्होंने समुदाय की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से युवाओं के बीच संदिग्ध संचार की निगरानी में सार्वजनिक सतर्कता बरतने पर जोर दिया।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जम्मू क्षेत्र के शांतिपूर्ण हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के बीच सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी शनिवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि तीस जून को भारतीय सेना के 30वें प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद तीन सप्ताह से भी कम समय में सेना प्रमुख का जम्मू का यह दूसरा दौरा है। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख पुलिस मुख्यालय में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे जिसमें पुलिस, सेना, अर्धसैन्य और खुफिया विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पिछले दो महीनों में विशेष रूप से आतंकवादी हमलों की एक श्रृंखला ने पाकिस्तान के छद्म युद्ध का ध्यान कश्मीर घाटी से जम्मू के एक क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पुंछ से कठुआ तक फैला हुआ है और पीर पंजाल के पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ दक्षिण में किश्तवाड़ रेंज तक चलता है और कठुआ के उत्तर-पूर्व में शिवालिक की ओर बढ़ता है। उन्होंने कहा कि जम्मू में प्रायोजित आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी डीप स्टेट का संभावित उद्देश्य कश्मीर में भारत के खिलाफ आतंकवाद और घृणा को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 1989 में कश्मीर में अपने छद्म युद्ध अभियान को फैलाने के लिए इसी रणनीति पर काम किया था। उन्होंने कहा कि पीर पंजाल रेंज अपनी ऊंचाइयों, चट्टानी इलाके और घने जंगलों के कारण आतंकवादियों के लिए छिपने की जगह बनाने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि सुरनकोट के ऊपर हिलकाका क्षेत्र को याद करें जहां 2003 के मध्य में सात बटालियनों द्वारा एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था, जिसमें ऑपरेशन सर्प विनाश के तहत बड़ी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया गया था। उन्होंने कहा कि इसी तरह का अभियान एक बार फिर चलाये जाने की जरूरत है।


प्रश्न- 2. रूस-यूक्रेन युद्ध अब किस पड़ाव पर है? नाटो ने काला सागर क्षेत्र में अपने युद्धपोत तैनात करने की बात कही है जिससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भड़क गये हैं। इसे कैसे देखते हैं आप?


उत्तर- युद्ध में ताजा अपडेट की बात करें तो वह यह है कि यूक्रेन की सेना पूर्वी दोनोत्सक क्षेत्र के उरोझाइन गांव से पीछे हट गई है और उसने एक अन्य अग्रिम मोर्चे पर भी आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं दूसरी ओर रूस की सेना लगातार हमले कर यूक्रेन की सुरक्षा दीवार को ध्वस्त कर रही है। स्थानीय स्तर पर लड़ रही थल सेना के प्रवक्ता नजर वोलोशिन ने मीडिया को एक लिखित संदेश में बताया कि गांव मलबे में तब्दील हो गया है, जिससे वहां मोर्चे पर डटे रहना असंभव हो गया है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि सेना कब पीछे हटी। उन्होंने कहा कि रूस ने फरवरी 2022 में युद्ध के शुरुआती दिनों में उरोझाइन पर कब्जा कर लिया था। यूक्रेनी के सैनिकों ने लगभग एक साल पहले इसपर फिर से कब्जा कर लिया था। रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया था कि उसकी सेना ने कई दिन पहले इस गांव को फिर से अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने कहा कि इस बीच, यूरोप की सुरक्षा और यूक्रेन को अधिक सहायता देने पर चर्चा करने के लिए महाद्वीप के नेताओं ने बृहस्पतिवार को इंग्लैंड में बैठक की थी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा एक और ताजा अपडेट यह है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर हुई बातचीत में उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने में सहयोग देने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि जेलेंस्की ने ट्रंप को अमेरिका में नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लकिन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की बधाई देने के वास्ते शुक्रवार को फोन किया था। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और मेरे बीच आज सुबह फोन पर बहुत अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के सफल आयोजन और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने पर मुझे बधाई दी। उन्होंने कहा कि जेलेंस्की का फोन कॉल इसलिए मायने रखता है, क्योंकि ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद यह उनकी किसी विदेशी नेता के साथ पहली बातचीत है। इससे नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की जीत की संभावनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बढ़ता आभास रेखांकित होता है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कहा कि मैं फोन पर मुझसे संपर्क करने के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की की सराहना करता हूं, क्योंकि मैं अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में विश्व में एक बार फिर शांति कायम करूंगा और उस युद्ध को समाप्त करूंगा, जिसने इतने सारे लोगों की जान ली और अनगिनत निर्दोष परिवारों को तबाह कर दिया। दोनों पक्ष शांति समझौते पर बातचीत के लिए साथ आएंगे, जिससे हिंसा समाप्त होगी और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक नाटो की ओर से काला सागर क्षेत्र में युद्धपोत तैनात करने की खबर है तो इस फैसले ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भड़का दिया है। उन्होंने कहा कि देखना होगा कि नाटो देश क्या पुतिन के गुस्से को सहन कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने इस मुद्दे पर कहा है कि यूक्रेन संघर्ष में नाटो गठबंधन की भागीदारी को देखते हुए रूस काला सागर में नाटो युद्धपोतों की स्थायी उपस्थिति स्थापित करने की किसी भी योजना को खतरे के रूप में मानेगा। उन्होंने कहा कि दरअसल यूक्रेन चाहता है कि काला सागर में नाटो इसलिए तैनात रहे ताकि रूस को आगे बढ़ने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि लेकिन रूस की प्रतिक्रिया बताती है कि वह इसका सख्त जवाब देगा।


प्रश्न-3. इजराइल-हमास संघर्ष में ताजा अपडेट क्या है? क्या अमेरिकी चुनावों के चलते इस संघर्ष को रुकवाने में अमेरिकी नेता अब कम रुचि लेने लगे हैं?


उत्तर- इजराइल-हमास संघर्ष को नौ महीने हो चुके हैं और जारी मानवीय संकट बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि ताजा अपडेट की बात करें तो पता चला है कि काहिरा में संघर्ष विराम वार्ता में प्रगति होती दिख रही है। हालांकि दूसरी ओरमध्य गाजा में शरणार्थी शिविरों पर शनिवार रात भर किए गए तीन इज़रायली हवाई हमलों में कम से कम 13 लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि शवों को पास के अल-अक्सा शहीद अस्पताल में ले जाने वाली फिलिस्तीनी एम्बुलेंस टीमों के अनुसार, नुसीरात शरणार्थी शिविर और ब्यूरिज शरणार्थी शिविर में मृतकों में तीन बच्चे और एक महिला शामिल थी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गाजा में युद्ध, जो 7 अक्टूबर को दक्षिणी इज़राइल पर हमास के हमले से शुरू हुआ था, उसमें अब तक 38,900 से अधिक लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि इस युद्ध ने तटीय फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में मानवीय तबाही मचा दी है। उन्होंने कहा कि 2.3 मिलियन आबादी में से अधिकांश विस्थापित हो गए हैं और व्यापक भूखमरी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर हमास के अक्टूबर वाले हमले में 1,200 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर नागरिक थे और आतंकवादियों ने लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया। उन्होंने कहा कि इज़रायली अधिकारियों के अनुसार, लगभग 120 लोग कैद में हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई को मृत माना जाता है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अगले सप्ताह अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी मुश्किलों का हल निकल सकेगा क्योंकि अभी वह एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं जहां से वह बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में चार महीने बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए वहां के राजनीतिक दल घरेलू राजनीति में व्यस्त हैं इसलिए उनका ध्यान इजराइल पर अब उतना नजर नहीं आ रहा है। लेकिन इजराइल-हमास संघर्ष में अमेरिका का स्पष्ट समर्थन इजराइल के साथ है। उन्होंने कहा कि हालांकि अंतरराष्ट्रीय अदालत का हालिया निर्णय इजराइल के खिलाफ गया है और जिस तरह फिलस्तीन में आम लोग मारे जा रहे हैं उसको देखते हुए इजराइल के खिलाफ वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे गुस्से के चलते कई और आतंकवादी संगठन पैदा हो सकते हैं जिससे पूरी मानवता को खतरा होगा।


प्रश्न-4. अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने तिब्बत संबंधी एक विधेयक पर हस्ताक्षर किये इसके बाद खबर आई कि चीन ने अमेरिका के साथ हथियार नियंत्रण वार्ता स्थगित कर दी है। इस सबको कैसे देखते हैं आप?


उत्तर- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने और इस हिमालयी क्षेत्र के दर्जे व शासन से संबंधित विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और दलाई लामा के बीच संवाद को बढ़ावा देने संबंधी एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। उन्होंने कहा कि चीन ने ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ का विरोध करते हुए इसे अस्थिरता पैदा करने वाला कानून बताया था। पिछले साल फरवरी में प्रतिनिधि सभा ने जबकि मई में सीनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि चौदहवें दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भागकर भारत चले गए थे, जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार स्थापित की। 2002 से 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच नौ दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। उन्होंने कहा कि चीन, भारत में रह रहे 89 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता को एक "अलगाववादी" मानता है, जो तिब्बत को देश (चीन) के बाकी हिस्सों से अलग करने के लिए काम कर रहा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हाल ही में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल इस बारे में दलाई लामा को बताने और अपना समर्थन जताने के लिए भारत भी आया था। उन्होंने कहा कि वैसे तो अमेरिकी अधिकारी अक्सर 88 वर्षीय दलाई लामा से मिलते रहे हैं लेकिन इस बार की मुलाकात इस मायने में खास थी कि अमेरिकी संसद ने तिब्बत को लेकर अहम विधेयक पारित कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन की धमकियों से बेपरवाह नजर आ रहे अमेरिका ने तिब्बत को लेकर जो बड़ा फैसला किया है उस पर आगे बढ़ने के लिए वह अडिग नजर आ रहा है। यदि तिब्बत पर अमेरिकी नीति बदली तो क्षेत्र में इसका बड़ा असर पड़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि 2022 में जब नैन्सी पेलोसी ताइवान के प्रति समर्थन जताने के लिए वहां की यात्रा पर थीं तब भी चीन ने गहरी नाराजगी जताई थी और जब पेलोसी तिब्बत के साथ समर्थन जताने के लिए दलाई लामा से मिलने पहुँचीं थीं तब भी चीन आग बबूला हो गया था।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले से चीन नाराज हो गया है इसलिए उसने कहा है कि उसने अमेरिका के साथ हथियार नियंत्रण एवं अप्रसार वार्ता स्थगित कर दी है। उन्होंने कहा कि चीन का आरोप है कि अमेरिका, ताइवान को हथियारों की बिक्री जारी रखे हुए है। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि स्वशासित ताइवान को अमेरिका हथियारों की बिक्री जारी रखे हुए है। उन्होंने कहा कि चीन, ताइवान के एक बागी प्रांत होने का दावा करता है। उसका कहना है कि इसे मुख्यभूमि (चीन) के साथ पुन:एकीकृत किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 प्रतिबंधों के समाप्त होने के बाद, एक साल से भी कम समय पहले चीन और अमेरिका ने हथियार नियंत्रण एवं परमाणु अप्रसार पर अपनी वार्ता फिर से शुरू की थी। उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों ने चार वर्षों में अपनी पहली बैठक पिछले साल नवंबर में की थी जब दोनों पक्ष सम्मान व विश्वास की स्थिति में इस तरह का संवाद जारी रखने के महत्व पर सहमत हुए थे।

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