Shaurya Path: India-Russia, Israel-Hamas, Russia-Ukraine, Turkey-Syria से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

By नीरज कुमार दुबे | Jul 06, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने भारत-रूस संबंध, इजराइल-अमेरिका संबंध, रूस-यूक्रेन युद्ध और तुर्की तथा सीरिया के बीच चल रहे तनाव से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) से चर्चा की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार- 


प्रश्न-1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल्द ही होने वाली रूस यात्रा को कैसे देखते हैं आप?


उत्तर- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आगामी वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में रक्षा, निवेश, ऊर्जा सहयोग, शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण दायरे की समीक्षा करेंगे। पुतिन के निमंत्रण पर मोदी 8 से 9 जुलाई तक रूस की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। वे 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की पूरी श्रृंखला की समीक्षा की जाएगी। पुतिन आगमन के दिन मोदी के लिए एक निजी रात्रिभोज का आयोजन करेंगे। प्रधानमंत्री क्रेमलिन में अज्ञात सैनिक की समाधि पर पुष्पांजलि भी अर्पित करेंगे। इसके बाद वे मॉस्को में प्रदर्शनी स्थल पर रोसाटॉम मंडप का दौरा करेंगे। इन बैठकों के बाद दोनों नेताओं के बीच सीमित लोगों के साथ वार्ता होगी, जिसके बाद प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी। वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन तीन वर्षों के बाद हो रहा है और हम इसे बहुत महत्व देते हैं। रूसी सेना में काम करने के लिये गुमराह किए गए भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी का मुद्दा भी चर्चा में उठने की उम्मीद है। यह करीब पांच साल में मोदी की पहली रूस यात्रा होगी। इससे पहले उन्होंने 2019 में व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में हिस्सा लिया था। यूक्रेन में संघर्ष के बाद यह उनकी पहली रूस यात्रा भी होगी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। पिछला शिखर सम्मेलन 6 दिसंबर, 2021 को नयी दिल्ली में हुआ था। इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पुतिन भारत आए थे। उन्होंने कहा कि भारत-रूस शिखर सम्मेलन रक्षा, निवेश, शिक्षा और संस्कृति तथा लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण दायरे पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के संबंध में दस्तावेजों पर काम कर रहे हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को लेकर रूस भी बहुत उत्साहित है। उन्होंने कहा कि भारत को रूस का पुराना मित्र करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस के दूत ने कहा है कि उनके देश के नयी दिल्ली के साथ विशेष रणनीतिक साझेदारी के संबंध हैं और उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संभावित रूस यात्रा के बाद द्विपक्षीय संबंध और भी बेहतर होंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्रेमलिन के प्रवक्ता ने भी कहा है कि पुतिन और मोदी के बीच संबंधों की "अत्यंत भरोसेमंद प्रकृति" को देखते हुए, दोनों नेताओं के बीच होने वाली मुलाकात में कोई भी विषय उनके लिए अछूता नहीं होगा। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया है कि पुतिन और मोदी अपनी बैठक के दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा, व्यापार तथा एजेंडे के अन्य सभी विषयों पर चर्चा करेंगे।


प्रश्न-2. इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जल्द ही अमेरिका जाने वाले हैं जहां उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात होगी। इस बीच कुछ इजराइली जनरलों ने इच्छा जताई है कि यह युद्ध समाप्त किया जाना चाहिए। इसे कैसे देखते हैं आप?


उत्तर- यह सही है कि इजराइली सेना के भी कुछ लोग चाह रहे हैं कि युद्ध समाप्त हो जाना चाहिए लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का प्रयास है कि हमास को पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया जाये ताकि आगे के लिए कोई समस्या नहीं रहे। लेकिन उनकी मुश्किल यह है कि हथियार और युद्धक सामग्री की कमी पड़ रही है। इजराइली सेना भी जानती है कि लंबे समय तक टिके रहना है तो हथियार चाहिए होंगे। वह भी नहीं चाहती कि हार का सामना करना पड़े इसलिए कुछ जनरलों ने संघर्षविराम का विचार प्रस्तुत किया है। जहां तक अमेरिका और इजराइल संबंधों की बात है तो इसमें ज्यादा कड़वाहट नहीं है। अमेरिका इजराइल के साथ खड़ा है। उम्मीद है कि नेतन्याहू अपने अमेरिकी दौरे के दौरान मदद हासिल करने में सफल रहेंगे। लेकिन अमेरिका में चुनावों को देखते हुए घरेलू राजनीतिक मजबूरी में शायद जो बाइडन अभी नेतन्याहू की उतनी मदद नहीं कर पाएंगे।


प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के आसार नजर नहीं आ रहे। खबरें हैं कि अब यूक्रेन एआई की मदद लेकर रूस को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करेगा।


उत्तर- इस समय कई यूक्रेनी कंपनियां एआई के माध्यम से अपनी सेना की मदद कर रही हैं ताकि रूस को परास्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर दुश्मन को मात देने का दबाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि बहुत से देश अब मदद देते देते थक गये हैं। उन्होंने कहा कि इस समय यूक्रेन तकनीकी हथियारों की सिलिकॉन वैली बन चुका है। उन्होंने कहा कि यहां कंपनियां ऐसी तकनीक ला रही हैं जो मानव की सोच के मुताबिक लक्ष्य पर सटीक निशाना साधती है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि युद्ध के इस तीसरे साल में दोनों देशों में यह स्थिति है कि सैनिकों की कमी पड़ रही है और जो सैनिक मैदान में डटे हुए हैं वह थक चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में यूक्रेन ने तकनीक को हथियार बनाकर रूस पर निशाना साधना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि ऑफ-द-शेल्फ डिवाइस, डिजाइन करने में आसान सॉफ्टवेयर, शक्तिशाली ऑटोमेशन एल्गोरिदम और विशेष कृत्रिम बुद्धिमत्ता माइक्रोचिप्स की व्यापक उपलब्धता ने आधुनिक हथियारों की इस दौड़ को तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब घातक जवानों की बजाय हत्यारे रोबोट पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ड्रोन और अन्य मशीनों को स्वायत्त रूप से कार्य करने की अनुमति देने वाली तकनीक का सबसे उन्नत संस्करण डीप लर्निंग द्वारा संभव बनाया गया है, जो कि एआई का एक रूप है और यह पैटर्न की पहचान करने और निर्णय लेने के लिए बड़ी मात्रा में डेटा का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि डीप लर्निंग ने कई तरह के ड्रोन बनाने में मदद की है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि कीव में लंबी दूरी के ड्रोन बनाये जा रहे हैं जो स्वचालित सिस्टम का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि यह ड्रोन वास्तविक समय के वीडियो भेजता है। उन्होंने कहा कि आज ऐसी स्थिति उभर रही है कि तकनीक के माध्यम से ड्रोनों का झुंड स्वतः ही दुश्मन पर एक साथ हमला बोल सकता है और वह दिन भी दूर नहीं है जब कंप्यूटर विज़न वाली मशीन गन स्वचालित रूप से सैनिकों को मार गिराएंगी। उन्होंने कहा कि ये तकनीक रूस के खिलाफ़ यूक्रेन को बढ़त प्रदान कर सकती है पर मानवाधिकार समूह और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी इस डर से इसके उपयोग को सीमित करना चाहते हैं क्योंकि इससे हथियारों की एक ऐसी नई दौड़ शुरू हो सकती है जोकि किसी के नियंत्रण में नहीं रहेगी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जैसे-जैसे रूस के खिलाफ युद्ध लंबा खिंच रहा है, यूक्रेन अत्याधुनिक युद्ध के लिए एक परीक्षण स्थल के रूप में उभर रहा है, जिसमें ड्रोन और अन्य वाहन शामिल हैं जो अपने मिशन के कुछ हिस्सों को अपने दम पर पूरा करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि एआई-संचालित ड्रोन कुछ ही सेकंड में वह कर सकते हैं जो एक इंसान को कई घंटों में करना होगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी फरवरी 2022 में रूसी टैंकों के यूक्रेनी सीमाओं पर आने के समय से ही प्रौद्योगिकी यूक्रेन की लड़ाई की धुरी रही है। उन्होंने कहा कि वैसे यूक्रेन के साधारण ड्रोनों को रोकने के लए रूस ने भी पूरा इंतजाम कर रखा है। उन्होंने कहा कि रूस में फ्रंट लाइन पर हर 10 किलोमीटर पर जैमिंग स्टेशन हैं, इसलिए यूक्रेन को एआई की मदद लेने पर मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि रूस पर बढ़त बनाने की कोशिश में लगे यूक्रेन ने स्थानीय और पश्चिमी कंपनियों के साथ मिलकर जवाबी उपाय विकसित करने और उनका परीक्षण करने तथा उन्हें युद्ध के मैदान में उतारने पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है।


प्रश्न-4. तुर्की को सीरिया की सीमा बंद करने पर क्यों मजबूर होना पड़ा है?


उत्तर- दरअसल तुर्की में रह रहे सीरियाई मूल के लोगों के खिलाफ हिंसा की घटना हुई जिससे सीरिया में लोग भड़क गये। उन्होंने कहा कि सीरिया के लोगों द्वारा सीमा पर हिंसक प्रतिक्रिया को देखते हुए तुर्की के सैनिकों ने गोलीबारी की जिससे तनाव बढ़ गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद तुर्की ने उत्तर-पश्चिम सीरिया में अपनी मुख्य सीमा बंद कर दी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालात को देखते हुए तुर्की में पुलिस ने देश भर में सीरियाई समुदाय को निशाना बनाने वाले हमलों में शामिल सैंकड़ों लोगों को हिरासत में लिया। उन्होंने कहा कि सीरियाई लोगों की संपत्तियों और वाहनों को केंद्रीय शहर काइसेरी में तोड़ दिया गया और आग लगा दी गई। उन्होंने कहा कि दरअसल ये हंगामा सोशल मीडिया की उन रिपोर्टों से भड़का कि एक सीरियाई व्यक्ति ने एक महिला रिश्तेदार के साथ यौन दुर्व्यवहार किया था। उन्होंने कहा कि तुर्की की एमआईटी खुफिया एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि देखते देखते हिंसा गाजियांटेप, कोन्या, बर्सा और इस्तांबुल जिले के प्रांतों में फैल गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद सैंकड़ों नाराज सीरियाई लोग विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिमी सीरिया के कई शहरों में सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है जहां तुर्की ने हजारों सैनिकों को रखा है और इसे एक प्रभाव क्षेत्र बना लिया है। उन्होंने कहा कि तुर्की के इस कदम ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को यहां पर नियंत्रण हासिल करने से रोक दिया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीरियाई सीमावर्ती शहर अफरीन सबसे ज्यादा हिंसक झड़पों का स्थल था, जहां सशस्त्र प्रदर्शनकारियों और तुर्की के सैनिकों के बीच गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर झड़पें और सशस्त्र संघर्ष हुए, कई कस्बों में नागरिकों ने तुर्की के सैनिकों के काफिलों पर पथराव किया और कुछ कार्यालयों पर तुर्की का झंडा फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि कई तुर्की अधिकारियों ने सीरिया में अशांति को "उकसावे" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि एक भाषण में तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने आतंकवादी संगठनों से जुड़े समूहों पर "अराजकता योजना" का आरोप लगाया और हाल की घटनाओं के पीछे "गंदे हाथों" को उजागर करने की कसम खाई। एर्दोगन ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा, "हम जानते हैं कि आतंकवादी संगठनों के साथ आयोजित इन खेलों में कौन खेल रहा है।'' उन्होंने कहा कि न तो हम, न ही हमारे सीरियाई भाई, इस धूर्त जाल में फंसेंगे... हम नस्लवादी बर्बरता के आगे नहीं झुकेंगे।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एर्दोगन ने कहा कि 670,000 से अधिक लोग उत्तरी सीरिया के इलाकों में लौट आए हैं, जहां तुर्की पिछले एक दशक से सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि शरणार्थी मुद्दे को तुर्की की आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप मानवीय और नैतिक रूप से हल करने का भरोसा एर्दोगन ने दिलाया है। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि तुर्की 3 मिलियन से अधिक सीरियाई युद्ध शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एर्दोगन ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने में मदद के लिए असद के साथ बैठक संभव है। उन्होंने कहा कि 2011 के सीरियाई गृह युद्ध के बाद तुर्की ने सीरिया के साथ संबंध तोड़ दिए थे और असद को सत्ता से बाहर करने के इच्छुक विद्रोहियों का समर्थन किया था।

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