By अनुराग गुप्ता | Jul 24, 2021
नयी दिल्ली। कारगिल विजय दिवस के मौके पर भारत के उस जाबाज सैनिक की, जिसने न सिर्फ दुश्मनों को मौत के घाट उतारा बल्कि टाइगिर पर 'तिरंगा' भी फहराया। दो महीने तक चले इस भीषण युद्ध में भारत के कई लाल शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने वीरगति को प्राप्त होते समय भी अदम्य साहस और असाधारण वीरता का परिचय दिया। 26 जुलाई को कारगिल की जंग के 22 साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे में हम आपको ‘ऑपरेशन विजय’ की कामयाबी में अहम भूमिका निभाने वाले एक लाल की गाथा आपको सुनाने वाले हैं। यह गाथा है महावीर चक्र से सम्मानित 18 ग्रेनेडियर्स के लेफ्टिनेंट बलवान सिंह की।
लेफ्टिनेंट बलवान सिंह
दुर्गम पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। ऐसे में भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए न सिर्फ उन्हें परास्त किया बल्कि अपनी जमीं पर तिरंगा वापस लहराया।कारगिल युद्ध में लेफ्टिनेंट बलवान सिंह जो अब कर्नल हो चुके हैं, उन्होंने टाइगर हिल को फतह करने में अहम भूमिका निभाई थी। आपको बता दें कि बलवान सिंह को टाइगर हिल पर दोबारा से तिरंगा फहराने की जिम्मेदारी दी गई थी। उस वक्त 25 साल के जवान ने न सिर्फ अपने जवानों का नेतृत्व किया बल्कि दुर्गम पहाड़ी में मौजूद दुश्मनों के खात्मे के लिए खुद के खाने के सामानों से ज्यादा असलहा और बारूद ले गए।लेफ्टिनेंट बलवान सिंह के नेतृत्व में 18 ग्रेनेडियर के जवानों ने 16,500 फीट ऊंची टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए 36 घंटों तक मशक्कत की। इस दौरान 44 जवान शहीद हो गए। यहां तक की बलवान सिंह भी बुरी तरह से जख्मी हो गए थे फिर भी उन्होंने 4 दुश्मनों को मार गिराया था। जिसकी वजह से पाकिस्तानी सेना के जवानों को वहां से भागना पड़ा।जख्मी हालत में बलवान सिंह ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया। हरियाणा के रोहतक जिले में जन्में बलवान सिंह को बाद में असाधारण वीरत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
भारतीय सेना ने कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर दो महीने से अधिक समय तक चले युद्ध के बाद 26 जुलाई, 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की थी। इस युद्ध में देश के 500 से अधिक जवान शहीद हो गए थे। कारगिल युद्ध में भारत की जीत के उपलक्ष्य में 26 जुलाई को ‘करगिल विजय दिवस’ मनाया जाता है।