भारत को व्यापक और विविध ऊर्जा संबंध विकसित करने होंगे : जयशंकर

FacebookTwitterWhatsapp

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 23, 2025

भारत को व्यापक और विविध ऊर्जा संबंध विकसित करने होंगे : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को आवश्यक रूप से व्यापक और विविध ऊर्जा संबंध विकसित करने होंगे।

जयशंकर ने यहां ‘बिजनेस टुडे’ के कार्यक्रम में कहा कि दशकों तक वैश्वीकरण के गुणों के बारे में सुनने के बाद, आज दुनिया औद्योगिक नीतियों, निर्यात नियंत्रण और शुल्क युद्ध की वास्तविकता से जूझ रही है।

उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों के लिए अनुकूल ऊर्जा वातावरण सुनिश्चित करना भारत के प्रमुख कूटनीतिक उद्देश्यों में से एक है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन के अलावा बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा का विकास एवं उपयोग करना और छोटे मॉड्यूलर संयंत्रों की संभावनाओं का पता लगाना भी है।

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को आवश्यक रूप से ऊर्जा संबंधों का एक व्यापक और विविध स्वरूप विकसित करना होगा।’’ जयशंकर ने कहा कि भारतीय दूतावास अब देश के वाणिज्यिक हितों की खोज में पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय हैं।

उन्होंने कहा कि वे जहां भी संभव हो, सूचना देते हैं, सलाह देते हैं और सुविधा प्रदान करते हैं, ताकि ‘‘यह सुनिश्चित हो सके कि हमारा व्यवसाय अच्छा चले।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में एक नीतिगत निर्णय, जिसका महत्वपूर्ण आर्थिक निहितार्थ है, यूक्रेन संघर्ष के बाद ऊर्जा विकल्प तलाशने पर हमारा जोर था। सच्चाई यह थी कि हर देश ने वही किया, जो उसके अपने हित में था, भले ही कुछ लोग इसके विपरीत दावा करते हों।’’

जयशंकर स्पष्ट रूप से यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारत द्वारा रूस से तेल आयात करने की ओर इशारा कर रहे थे, जिसकी पश्चिमी देशों के एक वर्ग ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को एक समग्र रणनीति की आवश्यकता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जो रूस और यूक्रेन, इजराइल और ईरान, लोकतांत्रिक पश्चिम, ग्लोबल साउथ, ब्रिक्स और क्वाड के साथ एक साथ जुड़ सकते हैं। ब्रिक्स भारत सहित अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह के बीच सहयोग का एक मंच है।

वहीं, क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच एक कूटनीतिक साझेदारी है। जयशंकर ने कहा कि दशकों से वैश्वीकरण के गुणों के बारे में सुनने के बाद आज की दुनिया औद्योगिक नीतियों, निर्यात नियंत्रण और शुल्क युद्ध की वास्तविकता से जूझ रही है।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में, लाभ और प्रवृत्तियों की पहचान करना तथा उसके अनुसार अपनी नीतियों को ढालना आवश्यक है। विदेश मंत्री ने कहा कि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम से मुक्त करने के बारे में व्यापक चिंता है।

उन्होंने कहा कि इसका समाधान अधिक विविध विनिर्माण, अधिक नवाचार और प्रौद्योगिकी तथा खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा से सीधे जुड़े व्यापार सहित मजबूत व्यापार में निहित है। उन्होंने कहा,‘‘कुल मिलाकर इसका मतलब यह है कि ‘पुनर्वैश्वीकरण’ पहले के मॉडल की तुलना में अधिक निष्पक्ष, अधिक लोकतांत्रिक और कम जोखिमपूर्ण है।’’ जयशंकर ने कहा कि इस समय स्थान और प्रवाह दोनों के संदर्भ में पुनर्व्यवस्था हो रही है तथा भारत को यथासंभव इसके लाभों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रमुख खबरें

खुश रहने की वजह (व्यंग्य)

Indias Got Latent Row| अब कॉमेडियन Samay Raina ने बयान दर्ज कराया, Ranveer Allahbadia की विवादित टिप्पणी से उठा था हंगामा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते कदम

Gujarat में जन्मे Rajeev Chandrasekhar को Modi-Shah की जोड़ी ने Kerala की राजनीति में क्यों उतार दिया?