By नीरज कुमार दुबे | Sep 14, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि भारत-मध्य पूर्व और यूरोप के बीच बनने वाला आर्थिक गलियारा चीन के लिए कितनी बड़ी मुसीबत लाने वाला है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि देखा जाये तो चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट से दुनिया परेशान है क्योंकि चीन ने इसके जरिये कई देशों को कर्ज के जाल में फंसा दिया है तो साथ ही वह अपनी विस्तारवाद की नीति को भी इस योजना के माध्यम से आगे बढ़ा रहा है। इसलिए इटली इस परियोजना से बाहर निकल गया है जिससे चीन को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पाकिस्तान में भी चीनी नागरिकों पर हालिया हमलों के चलते इस परियोजना के कार्य में बाधा खड़ी हुई है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत ने अमेरिका और कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ जो महत्वाकांक्षी भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा की उसका बड़ा असर पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि जब इसकी घोषणा हुई उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनेक्टिविटी पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि भारत कनेक्टिविटी को क्षेत्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं करता है क्योंकि उसका मानना है कि कनेक्टिविटी आपसी विश्वास को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नये आर्थिक गलियारे को कई लोग चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के विकल्प के रूप में देखते हैं। इस गलियारे की घोषणा अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने जी20 शिखर सम्मेलन से इतर संयुक्त रूप से की। देशों ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास प्रोत्साहित होने की उम्मीद है। इस पहल में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे- पूर्वी गलियारा जो भारत को पश्चिम एशिया से जोड़ता है और उत्तरी गलियारा जो पश्चिम एशिया को यूरोप से जोड़ता है। इसमें एक रेल लाइन शामिल होगी जिसका निर्माण पूरा होने पर यह दक्षिण पूर्व एशिया से भारत होते हुए पश्चिम एशिया तक माल एवं सेवाओं के परिवहन को बढ़ावा देने वाले मौजूदा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्ग के पूरक के तौर पर एक विश्वसनीय एवं किफायती सीमा-पार जहाज-से-रेल पारगमन नेटवर्क प्रदान करेगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रेल मार्ग के साथ, प्रतिभागियों का इरादा बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल बिछाने के साथ-साथ स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइप बिछाने का है। यह गलियारा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करेगा, व्यापार पहुंच बढ़ाएगा, व्यापार सुविधाओं में सुधार करेगा तथा पर्यावरणीय सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर जोर को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि गलियारे में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल है, इसमें रेलवे और जहाज-रेल पारगमन नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इस मुद्दे पर अन्य देशों की प्रतिक्रियाओं की बात है तो उन पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि इस घोषणा से भागीदार देश कितने खुश हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन ने भी कहा है कि इस गलियारे के प्रमुख हिस्से के रूप में, हम जहाजों और रेलगाड़ियों में निवेश कर रहे हैं, जो भारत से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल के माध्यम से यूरोप तक विस्तारित है। इससे व्यापार करना बहुत आसान हो जाएगा। इसके अलावा सऊदी अरब के युवराज ने कहा कि वह आर्थिक गलियारे के एकीकरण के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने गलियारे पर समझौते की सराहना करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष का मानना है कि रेल लिंक के साथ यह भारत, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच अब तक का सबसे सीधा कनेक्शन होगा, जिससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार की गति में 40 प्रतिशत का इजाफा होगा। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यह पहले वैश्विक हरित व्यापार मार्ग से संबंधित है क्योंकि हाइड्रोजन भी इस परियोजना का हिस्सा है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा है कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे सफलतापूर्वक लागू करें और जर्मनी इस संबंध में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा कि नया गलियारा वैश्विक एकीकरण को मजबूत करने में एक मील का पत्थर है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन ने इस पर बड़ी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। चीन ने कहा है कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा अगर "भूराजनीतिक हथकंडा" न बने, तो वह इसका स्वागत करता है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन वास्तव में विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने वाली सभी पहलों और कनेक्टिविटी व विकास को बढ़ावा देने के ईमानदार प्रयासों का स्वागत करता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देखा जाये तो भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा एक क्रांतिकारी परियोजना साबित होगी और इससे वैश्विक कारोबार को भारी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस गलियारे से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और ज्यादा लचीलापन आएगा। उन्होंने कहा कि यह महाद्वीपों में वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही को एक नई परिभाषा देगा क्योंकि इससे रसद लागत में कमी आएगी और माल की त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि भारत के इंजीनियरिंग निर्यात क्षेत्र के लिए पश्चिम एशिया तथा यूरोप दोनों प्रमुख बाजार हैं। इस स्तर का परिवहन बुनियादी ढांचा होने से वैश्विक स्तर पर इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता में काफी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि परिवर्तनकारी परियोजना में निवेश से आर्थिक गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलेगा, नौकरियों का सृजन होगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।