By अभिनय आकाश | Oct 03, 2023
कूटनीतिक रिश्तों में खटास के बाद भारत ने कनाडा को सख्त संदेश दिया है। भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक स्ट्राइक समाने आई है जिसमें ट्रूडो को सीधी टक्कर के साथ ही ये संदेश भी दिया है कि भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाना और खालिस्तान का हिमायती बनना कनाडा के लिए महंगा पड़ सकता है। ट्रूडो भारत के खिलाफ अनर्गल आरोप जरूर लगा रहे हैं लेकिन इसके बीच भारत ने एक बड़ा संदेश देते हुए कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहा है। दरअसल, पूरा मामला राजनयिक समानता का है। भारत के जितने राजनयिक कनाडा में है। कनाडा से भी कहा गया है कि उतने ही राजनयिक उसके भारत में भी रह सकते हैं।
21 सितंबर को विदेश मंत्रालय ने ये साफ कर दिया था कि कनाडा सरकार को ये बता दिया गया है कि भारत इस मामले में राजनयिक समानता चाहता है और इसके मद्देनजर ही सूची बनाकर कनाडा सरकार को बता दिया गया है कि उसके 40 राजनयिकों को 10 अक्टूबर तक वापस जाना होगा। उल्लेखनीय है कि इस समय कनाडा के भारत में 62 राजनयिक मौजूद हैं। भारत ने कहा है कि कनाडा भीु तुरंत अपने राजनयिकों की कुल संख्या 41 तक कम करे।
आपको याद होगा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत आए थे। लेकिन भारत से लौटने के बाद वो आरोप लगाते हुए नजर आए। उसके बाद भारत ने सख्त कार्रवाई का संदेश दिया है। विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त न केवल तलब कर इस मामले में जवाब मांगा था। बल्कि कनाडा के एक राजदूत को तत्काल पांच दिन के भीतर भारत छोड़ने के लिए भी कहा गया था। 21 सितंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या भारत के कनाडा में राजनयिकों की संख्या से अधिक है। इसलिए इसे कम करने की जरूरत है। प्रत्येक देश दूसरे देश में तैनात राजनयिकों की संख्या और ग्रेड में समानता चाहते हैं। कहा जा रहा है कि भारत में मौजूद कनाडा के अतिरिक्त राजनयिकों को लेकर भारत सरकार के फैसले से स्थिति और बिगड़ेगी। इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच जारी तनाव को कम करना और कठिन हो जाएगा।