By ललित गर्ग | Dec 18, 2020
भारत की अहमियत दुनिया समझ रही है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी सरकार के विदेश नीति निर्माताओं ने विभिन्न देशों एवं वैश्विक राजनयिकों के साथ मित्रता के नए सोपान गढ़े, नये स्वस्तिक उकेरे हैं। भारत आज सलाह लेने नहीं, देने की स्थिति में पहुंचा है। दुनिया की महाशक्तियां भारत की सोच एवं सलाह को महत्व देने लगी हैं, वैश्विक पटल पर वर्ष 2014 के बाद का समय भारत को शक्ति की नई ऊंचाइयों पर ले जाता दिखाई दे रहा है तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है। इसी का प्रभाव है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले वर्ष भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। मोदी के शासनकाल में अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों का एक नया युग शुरू हुआ है जिसका लक्ष्य विकास, आर्थिक मजबूती, सैन्य सुरक्षा, राजनीतिक और सामाजिक स्थिति के साथ-साथ मिलकर काम करने की सोच एवं सौहार्द है। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ दुनिया में शांति, अमन, अयुद्ध एवं अहिंसा को बल दे रही है, भारत की ही पहल पर दुनिया में आतंकवाद के विरोध में सशक्त वातावरण बना है।
वर्ष 2014 के बाद जिस तरह से भारत की छवि वैश्विक पटल पर एक तीसरी दुनिया के देश से बदल कर एक तेजी से विकसित होते देश के रूप में बनी है, तो इसमें नरेंद्र मोदी का बड़ा योगदान रहा है। पहली बार सरकार बनाते ही उन्होंने विश्व राजनीति में भारत की छवि मजबूत करने के अनूठे कदम उठाये। वे फ्रांस गए और सामरिक मुद्दों पर भारत व फ्रांस के बीच नए मजबूत संबंधों की नींव रखी। ब्राजील गए तो वहां के लोगों और राष्ट्रपति के साथ ऐसे सहज होकर घुल-मिल गए कि वर्षों से ठंडे पड़े संबंधों ने वहां भी एक नई करवट ली। आज ब्राजील और भारत ऊर्जा से लेकर कई अन्य क्षेत्रों में साथ काम करना प्रारंभ कर चुके हैं। कोविड से जूझते ब्राजील की जिस तरह से नरेंद्र मोदी ने सहायता की, वहां के राष्ट्रपति ने उसकी भूरि-भूरि सराहना की। मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के साथ भी संबंधों में एक नया सकारात्मक अध्याय जोड़ा व अपनी सशक्त तथा मैत्रीपूर्व छवि से ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन के साथ ऐसे सहज संबंध स्थापित किए कि उनका समोसा प्रेम दुनिया में चर्चित हुआ।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति और संबंधों में किसी भी राष्ट्र की शक्ति और स्थान उसकी आर्थिक, सैन्य, राजनीतिक और सामाजिक स्थिति के अलावा एक और अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु से निर्धारित होता है, वह है उसके शासक या नेता की सोच, संवेदना एवं स्वभाव से। किसी भी राष्ट्र के साथ संबंध किस दिशा में ले जाने हैं, अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपने राष्ट्र की छवि निर्माण से लेकर कौन-से मुद्दे रखने हैं, द्वि-पक्षीय तथा बहु-पक्षीय संबंधों को कैसी दिशा देनी है, कितनी गति देनी है, यह सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी सोच से जुड़े हैं। इसी से अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जापान, आस्ट्रेलिया, कोरिया, न्यूजीलैंड, फ्रांस आदि देशों से भी नरेंद्र मोदी के चलते सकारात्मक एवं ऊर्जावान संबंधों का एक नया युग प्रारंभ हुआ है। सुदूर पूर्व हो या पश्चिम के देश एवं खाड़ी देशों से नरेंद्र मोदी ने भारत के संबंध सशक्त करने के प्रयास किए हैं। आज पूरे विश्व में भारत की सकारात्मक ऊर्जा का असर स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का भारत आना भी एक शुभता का सूचक है। अंग्रेजों ने भारत पर 200 साल तक राज किया था। व्यापार के नाम पर भारत आए अंग्रेजों ने भारत को पराधीन बना दिया। अंग्रेजों के अत्याचारों को याद करते हुए हर भारतीय आज भी सिहर जाता है। कभी पूरी दुनिया में अंग्रेजों की हकूमत थी। लगभग सौ देशों पर ब्रिटिश शासन रहा लेकिन समय के साथ-साथ देश स्वतंत्र होते गए। ब्रिटेन सिमटता ही गया अब वह शक्तिशाली नहीं रहा। भारत के साथ उसके संबंध कभी सुधरे तो कभी बिगड़े। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भारत-ब्रिटेन संबंधों में सकारात्मक बदलाव आए और तब से द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर वृद्धि देखी गई है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता सम्भाली और 2015 में उन्होंने तीन दिवसीय ब्रिटेन का दौरा किया था। इस दौरान सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए रक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा संधि पर सहमति व्यक्त की गई थी। ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग हेतु एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया जो जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए सहयोग सुनिश्चित करने पर केन्द्रित था।
2016 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा ने भारत का दौरा किया था। इन्हीं संबंधों की नयी इबारत लिखने एवं इन्हें और अधिक मजबूती देने के लिये बोरिस जॉनसन भारत आ रहे हैं। जिसे एक नये युग की शुरुआत कहा जा रहा है। ब्रिटेन भारत से व्यापार बढ़ाने का उत्सुक है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राव और एस. जयशंकर में मंगलवार को दिल्ली में लम्बी बातचीत हुई। भारत-ब्रिटेन की मजबूत साझेदारी के संबंध में 2030 तक का खाका तैयार किया गया। अफगानिस्तान और हिन्द प्रशांत क्षेत्र के संबंध में भी चर्चा हुई। दोनों देशों के संबंध नए युग की शुरूआत का प्रतीक है। उम्मीद है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध बदलती दुनिया में नए आयाम स्थापित करेंगे।
इसी प्रकार अमेरिका से भी नरेंद्र मोदी के चलते सकारात्मक संबंधों का एक नया युग शुरु हुआ। अमेरिका और भारत के कई उद्देश्य एक से होते हुए भी वर्षों से दोनों के बीच संबंधों में वह सहजता कभी नहीं दिखाई पड़ी जिसकी दरकार थी और इसका प्रभाव भारत की बाह्य शक्ति पर पड़ा। हम तमाम कोशिशों के बावजूद रूसी निकटता के कारण अमेरिका के नजदीक नहीं आ पाये। लेकिन नरेद्र मोदी की विदेश नीति, सोच एवं करिश्माई व्यक्तित्व ने न सिर्फ अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत किया, बल्कि रूस के साथ चले आ रहे सशक्त संबंधों पर आंच नहीं पड़ने दी। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। फरवरी में जब राष्ट्रपति ट्रंप भारत आए, पूरे विश्व ने देखा कि किस प्रकार दो मित्रों ने अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी मित्रता की डोर से संबंधों को एक नई दिशा, एक नई गति दी। इससे निश्चित ही भारत की छवि पर व्यापक सकारात्मक असर पड़ा। अमेरिका के साथ संबंध नये राष्ट्रपति जो बाइडेन के शासनकाल में भी परवान चढ़ेगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न केवल भारत को आर्थिक शक्ति के रूप में दुनिया में प्रतिष्ठापित करने के लिये प्रतिबद्ध हैं बल्कि भारत की संस्कृति एवं मूल्यों का मान भी विश्व में स्थापित कर रहे हैं, यही कारण है कि महात्मा गांधी की जन्म जयन्ती विश्व अहिंसा दिवस के रूप में पूरी दुनिया मनाती है, वहीं विश्व योग दिवस पर समूची दुनिया योग करती है। हिन्दी भाषा को भी दुनिया ने अपनाया है और वह दुनिया की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर आ गयी है। भारत का आयुर्वेद भी कोरोना संकटकाल में दुनिया में चर्चित हुआ है। अब कोई भी भारत-पाकिस्तान संबंधों या कश्मीर मामले में भारत को सलाह देने का दुस्साहस नहीं करता, जबकि यूपीए सरकार के कार्यकाल में कोई भी ऐरा-गैरा देश उठता था और भारत को सलाह देने लगता था कि अपने मदभेदों को चर्चाओं के माध्यम से सुलझाएं। ऐसी सलाह सुनकर हर भारतीय गुस्से से भर जाता था, लेकिन मोदी के कारण इन स्थितियों में बदलाव आया है, अब भारत को शक्तिशाली देश भी सलाह देने की हिम्मत नहीं करते। पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के समक्ष एक कठोर छवि प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट संदेश दिए गये हैं कि भारत की सुरक्षा पर किसी प्रकार का प्रहार सहन नहीं किया जाएगा। सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाकिस्तान जैसे देशों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया गया कि भारत न अब किसी के दबाव में आकर आतंकवाद बर्दाश्त करेगा, न पीछे हटेगा। वैश्विक स्तर पर बेहतर छवि और संबंधों के साथ निश्चित ही हम एक नये युग में, शक्तिशाली राष्ट्र बनने एवं विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने भारत के विश्व-संबंधों का नया अध्याय लिखा है जो निश्चित ही भारत की प्रगति में मील का पत्थर एवं नये अभ्युदय का प्रतीक साबित होगा।
-ललित गर्ग