Prabhasakshi NewsRoom: LAC पर तनाव के बीच भारतीय सेना और वायुसेना का जोरदार युद्धाभ्यास

By नीरज कुमार दुबे | Dec 15, 2022

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के बीच हुई सैन्य झड़प का मामला राजनीतिक रूप से तूल पकड़ चुका है। कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष जहां इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग पर अड़ा हुआ है वहीं सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूरे घटनाक्रम पर संसद के दोनों सदनों में बयान दे दिया है। सेना ने भी इस मुद्दे पर एक विस्तृत बयान जारी कर दिया है और गृह मंत्री अमित शाह ने भी कह दिया है कि भारत की एक इंच भूमि पर भी ना कब्जा हुआ है ना कोई कर सकता है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हों या स्थानीय निवासी...सभी कह रहे हैं कि सेना ने चीन को जवाब दे दिया है और हमें सेना पर पूरा भरोसा है लेकिन विपक्ष फिर भी तमाम आरोप लगा रहा है। यहां विपक्ष से सवाल पूछा जाना चाहिए कि सरहद से जुड़े मुद्दे पर सियासत करना जरूरी है या सरहद पर दुश्मन का इलाज करना जरूरी है?


जहां तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू की बात है तो आपको बता दें कि जिस इलाके में झड़प हुई वह उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। उनका कहना है कि हमारी सेना ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, ईंट का जवाब लोहे से दे रही है और यह 1962 नहीं बल्कि 2022 है। वहीं तवांग झड़प को लेकर हो रही राजनीति पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा है कि एलएसी पर किस हरकत का जवाब कैसे और कब देना है यह सेना को तय करना है ना कि ओवैसी को। उन्होंने कहा कि ओवैसी की हिम्मत भी नहीं होगी तवांग तक जाने की।


दूसरी ओर, अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय लोगों का कहना है कि हमें सेना पर पूरा भरोसा है। लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने नापाक हरकत की हो लेकिन हमारी सेना ने हमेशा दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। स्थानीय निवासियों का साफ कहना है कि सीमा पर शांति सिर्फ भारतीय सेना की वजह से ही है।


एलएसी के निकट वायुसेना का युद्धाभ्यास


हम आपको यह भी बता दें कि चीन की सारी हेकड़ी निकालने के लिए भारतीय सेना सदैव तत्पर रहती है और अपनी तैयारियों में कभी कोई कमी नहीं आने देती। अब चूंकि यह नया घटनाक्रम तवांग से सामने आया है इसलिए आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना पूर्वोत्तर में आज से दो दिवसीय अभ्यास करेगी जिसमें एलएसी के करीब सभी युद्धक विमान और इस क्षेत्र में तैनात अन्य संसाधन शामिल किये जाएंगे। सूत्रों ने कहा है कि इस अभ्यास का मकसद भारतीय वायुसेना की समग्र युद्धक क्षमता और इस क्षेत्र में सैन्य तैयारियों को परखना है। वैसे इस युद्ध अभ्यास का ताजा तनाव से कोई संबंध नहीं है क्योंकि भारत और चीन की सेनाओं के बीच ताजा गतिरोध के बहुत पहले इस अभ्यास की योजना बनाई गई थी और इसका इस घटना से कोई संबंध नहीं है।

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सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना के सुखोई-30एमकेआई और राफेल जेट समेत अग्रिम पंक्ति के विमान युद्ध अभ्यास में शामिल होंगे। पूर्वोत्तर क्षेत्र में वायुसेना के सभी अग्रिम अड्डे और कुछ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) को भी इस अभ्यास में शामिल किया जाना है। हम आपको बता दें कि सेना और वायुसेना अरुणाचल और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख विवाद के बाद से पिछले दो सालों से उच्च स्तरीय संचालनात्मक तैयारियों को बरकरार रखती आयी हैं। भारतीय वायुसेना ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय हिस्से में चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों के बाद अपने लड़ाकू विमानों को उड़ाया था। सूत्रों ने यह भी कहा कि क्षेत्र में चीन द्वारा ड्रोन सहित कुछ हवाई प्लेटफार्म की तैनाती तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के लिए नौ दिसंबर को किये गये चीनी सेना के प्रयासों से पहले हुई थी। उन्होंने कहा कि चीनी ड्रोन एलएसी के काफी पास आ गये थे जिसके कारण भारतीय वायुसेना को अपने युद्धक विमान उतारने पड़े थे और समग्र युद्धक क्षमता को बढ़ाना पड़ा था।


सेना का भी युद्धाभ्यास


पूर्वोत्तर से ही एक और खबर है कि भारत और कजाकिस्तान की सेनाएं दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से मेघालय के उमरोई में आज से शुरू होने वाले दो सप्ताह के आतंकवाद-रोधी अभ्यास का आयोजन करेंगी। हम आपको बता दें कि वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास 2016 में 'प्रबल दोस्तीक' अभ्यास के रूप में शुरू किया गया था, जिसे 2018 में अभ्यास काजिंद का नाम दिया गया था। सेना ने कहा है, ‘‘भारत-कजाकिस्तान संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास 'काजिंद-22' का छठा संस्करण 15 से 28 दिसंबर तक उमरोई में आयोजित किया जाना है।’’ सेना ने कहा कि कजाकिस्तान के क्षेत्रीय कमान के सैनिक अभ्यास में हिस्सा लेंगे। सेना ने कहा कि अभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंध बनाना, एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं को आत्मसात करना और अर्ध-शहरी और जंगल परिदृश्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देते हुए एकसाथ काम करने की क्षमता को बढ़ावा देना है। सेना ने कहा कि यह अभ्यास भारतीय सेना और कजाकिस्तान की सेना के बीच रक्षा सहयोग के स्तर को बढ़ाएगा जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देगा।

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