लद्दाख गतिरोध: भारत और चीन के बीच आठवें दौर की सैन्य वार्ता, तनाव कम करने पर दिया गया जोर !

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 06, 2020

नयी दिल्ली। भारत और चीन की सेनाओं के बीच शुक्रवार को कोर कमांडर स्तर की एक और दौर की बातचीत हुई जिसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी का खाका खींचना था। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आठवें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में, चुशुल में सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई। बीते कुछ दिनों में भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने एक के बाद एक कई बैठकें कीं जिनमें पूर्वी लद्दाख की संपूर्ण स्थिति की समीक्षा की गई और तय किया गया कि चीन के साथ बातचीत में जवानों की समग्र वापसी के लिये दबाव बनाया जाएगा। 

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कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत 12 अक्टूबर को हुई थी और उस दौरान चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लगे रणनीतिक ऊंचाई वाले कुछ स्थानों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा था। भारत ने हालांकि स्पष्ट किया था कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया गतिरोध वाले सभी बिंदुओं पर एक साथ शुरू हो। पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी इलाकों में करीब 50 हजार भारतीय सैनिक शून्य से भी नीचे तापमान में युद्ध की उच्चस्तरीय तैयारी के साथ तैनात हैं। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए हुई कई दौर की बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

अधिकारियों के मुताबिक, चीन ने भी लगभग इतने ही सैनिक तैनात कर रखे हैं। दोनों पक्षों के बीच मई की शुरुआत में गतिरोध की स्थिति बनी थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत और चीन के बीच रिश्ते “बेहद तनाव” में हैं और सामान्य स्थिति की बहाली के लिये सीमा प्रबंधन के लिये दोनों पक्षों द्वारा किये गए समझौतों का “संपूर्णता” से “निष्ठापूर्वक” सम्मान किया जाना चाहिए। आठवें दौर की सैन्य बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं। 

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सातवें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने “यथाशीघ्र” सैनिकों की वापसी के परस्पर स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिये सैन्य व कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत व संवाद कायम रखने पर सहमति व्यक्त की थी। भारत का रुख शुरू से स्पष्ट है कि सैनिकों की वापसी और पहाड़ी क्षेत्र के गतिरोध वाले बिंदुओं पर तनाव कम करने की प्रक्रिया को आगे ले जाने का दायित्व चीन पर है। छठे दौर की सैन्य बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने सीमा पर और सैनिकों को नहीं भेजने, जमीन पर स्थिति को बदलने की एकपक्षीय कोशिश से बचने और स्थिति को और अधिक गंभीर बनाने वाले किसी भी कदम या कार्रवाई से बचने समेत कई फैसलों की घोषणा की थी।

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