By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 15, 2020
नयी दिल्ली। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने मंगलवार को असैन्य परमाणु क्षेत्र में सहयोग के लिए एक मसौदा समझौते को अंतिम रूप दिया। दोनों पक्षों ने 13 साल से हो रही बातचीत के बाद इसे अंतिम रूप दिया है। दोनों पक्षों ने बुधवार को होने वाले डिजिटल शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले इसे अंतिम रूप दिया है। सम्मेलन का उद्देश्य व्यापार, निवेश और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक संबंध बनाना है। 27-सदस्यों वाले संगठन के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समझौते में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए अनुसंधान और विकास सहित असैनिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सहयोग के प्रावधान किए गए हैं। अधिकारियों ने उम्मीद जतायी कि शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष सीबीआई और यूरोपोल के बीच प्रभावी सहयोग के लिए प्रक्रिया की शुरुआत के अलावा, समुद्री सुरक्षा पर अलग से बातचीत शुरू करने और व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के अलावा संबंधों को व्यापक बनाने की खातिर पांच साल का रोडमैप जारी करेंगे। शिखर बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, वहीं यूरोपीय पक्ष का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन करेंगी। यूरोपीय संघ भारत के लिए रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण समूह है। ईयू 2018 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। 2018-19 में ईयू के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 115.6 अरब अमेरिकी डॉलर था जिसमें निर्यात 57.67 अरब अमेरिकी डॉलर का था जबकि आयात 58.42 अरब अमेरिकी डालर का था।
यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि बुधवार को शिखर सम्मेलन के दौरान असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को ठोस रूप दिए जाने के संबंध में कोई घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा संगठित अपराध और आतंकवाद से निपटने के लिए कामकाजी व्यवस्था के लिए यूरोपोल और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। यूरोपोल कानून प्रवर्तन सहयोग के लिए यूरोपीय संघ की एजेंसी है। अधिकारियों ने कहा कि उम्मीद है कि दोनों पक्ष रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के प्रयासों के तहत समुद्री सुरक्षा बातचीत शुरू कर सकते हैं। लंबे समय से लंबित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बारे में अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच के मौजूदा व्यापारिक संबंध इसकी क्षमता से कम हैं और संगठन की अपेक्षा से काफी कम है। लंबित समझौते को यूरोपीय संघ-भारत स्थित व्यापार एवं निवेश समझौते (बीटीआईए) के रूप में जाना जाता है। एफटीए पर रुकी हुई वार्ता के संदर्भ में अधिकारियों ने शुल्कों के संबंध में भारत के संरक्षणवादी दृष्टिकोण और अपने सेवा क्षेत्र को खोलने पर आपत्ति के बारे में चर्चा की। यह पूछे जाने पर कि क्या यूरोपीय संघ भारत के साथ किसी सीमित व्यापार समझौते की उम्मीद करता है, अधिकारियों ने कहा कि ईयू इस तरह के विकल्प पर गौर नहीं कर रहा और वह व्यापक व्यापार समझौते के पक्ष में है।
प्रस्तावित समझौते के लिए 2007 में शुरू हुयी बातचीत में कई बाधाएं आयीं क्योंकि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच मतभेद उभर कर सामने आए। ईयू ऑटोमोबाइल में महत्वपूर्ण शुल्क कटौती के अलावा शराब, स्पिरिट, डेयरी उत्पादों पर करों में कटौती और मजबूत बौद्धिक संपदा व्यवस्था चाहता है। दूसरी ओर, भारत चाहता है कि यूरोपीय संघ उसे डेटा सुरक्षित राष्ट्र का दर्जा दे। भारत उन देशों में से है जिन्हें यूरोपीय संघ सुरक्षित डेटा वाला देश नहीं मानता है। अफगान शांति प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर अधिकारियों ने कहा कि यूरोपीय संघ भारत और अफगानिस्तान से जुड़े अन्य सहयोगियों के संपर्क में है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि शांति पहल गति पकड़ेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भी अफगान शांति प्रक्रिया में योगदान देना होगा। पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद और बुधवार की वार्ता में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना के बारे में उन्होंने कहा कि भारत और यूरोप दोनों इस समस्या के शिकार रहे हैं और नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे चुनौती से निपटने के लिए अपनी स्थिति की फिर से पुष्टि करेंगे। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन यूरोपीय संघ और भारत के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने का एक अवसर होगा।