By अनुराग गुप्ता | Aug 20, 2022
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को भोपाल में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में प्रदेश से चयनित युवाओं के सम्मान में आयोजित 'सफलता के मंत्र' कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मनुष्य जैसा सोचता और करता है वैसा बन जाता है। जब मैं मुख्यमंत्री बन सकता हूं तो आप क्यों नहीं...केवल मुख्यमंत्री नहीं आप किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। बस आप अपने रुचि का विषय चुनें और उसमें पूरी क्षमता लगा दें।
उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में हमारे बच्चे कैसे सफल हों... इसके मंत्र पूरे मध्य प्रदेश के बेटा-बेटियों को देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि चयनित होने के बाद दृष्टिकोण क्या रहे इसका जरूर ध्यान रखना। आप सिर्फ अपने घर और परिवार के लिए नहीं हो, आप अब प्रदेश का भविष्य बना सकते हो, लोगों की जिंदगियां बदल सकते हो।
इसी बीच मुख्यमंत्री ने एक कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि एक मंदिर का निर्माण हो रहा था और इसमें 3 मजदूर पत्थर तोड़ने के काम में लगे हुए थे। गर्मी का महीना था और सूर्य देवता आग उगल रहे थे। एक साधू बाबा वहां पर पहुंचे और उन्होंने मजदूर से पूछा क्या कर रहे हो ? तो मजदूर का चेहरा गुस्से से तमतमा गया और उसने गुस्से में बोला दिखाई नहीं दे रहा है क्या कर रहा हूं। फिर बाबा आगे बढ़ गए और फिर दूसरे मजदूर से भी उन्होंने यही सवाल पूछा तो वो अपेक्षाकृत शांत था और कहा कि दुनिया में आए हैं तो जीना पड़ेगा, पेट भरने के लिए मजदूरी कर रहा हूं, फिर बाबा तीसरे मजदूर के पास पहुंचे और पूछा कि क्या कर रहे हो तो मजदूर ने कहा कि बाबा दिखाई नहीं देता, सामने भगवान का मंदिर बन रहा है और मुझे ये सौभाग्य मिला कि उसमें लगने वाले पत्थर को तोड़ू, जो उसमें लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शासकीय सेवा जनता की सेवा है। हम सब लोग जनसेवक हैं और दृष्टिकोण यह रहा कि मुझे ये सौभाग्य मिला है तो ऐसा काम करके जाऊंगा कि दुनिया देखती रह जाए कि इन लोगों ने ये काम किया है। उन्होंने कहा कि आप ही आपके मित्र और शत्रु हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अहंकार नहीं होना चाहिए। मैं मुख्यमंत्री हूं और मैं अकड़ा रहूं कि मैं मुख्यमंत्री हूं, इससे क्या होगा... ये जितनी भी सेवा हैं, वो जनता की सेवा के लिए है।
उन्होंने कहा कि लोक सेवक होना स्वयं के लिए मित्र भी हैं और स्वयं के लिए शत्रु। सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलें तो हम स्वयं के मित्र हैं और अगर गड़बड़ रास्ता अपना लिया तो हम स्वयं के शत्रु बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोकसेवा में हम बिना किसी लोभ-लालच के हर जरूरतमंद की मदद करें। गरीब के जीवन में बदलाव हो सके, इसके लिए प्रयास करें। सच्चे लोगों के लिए हमेशा कोमल रहें और दुष्टों के लिए बज्र से भी कठोर बनें।