Prajatantra: चुनावी रण में आरक्षण को लेकर दांव-पेंच, किसकी बातों में है दम, कौन फैला रहा भ्रम?

By अंकित सिंह | May 16, 2024

लोकसभा चुनाव के बीच आरक्षण को लेकर राजनीति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जैसे-जैसे यह चुनाव उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है, आरक्षण पर विपक्ष जबरदस्त तरीके से मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष साफ तौर पर दावा करता दिखाई दे रहा है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वह आरक्षण को खत्म कर देगी, संविधान बदल देगी और साथ ही साथ लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। हालांकि, बीजेपी इन तमाम आरोपों से इनकार कर रही है। इसके अलावा भाजपा यह भी कह रही है कि अगर इंडिया गठबंधन के लोग सत्ता में आते हैं तो वह ओबीसी, एससी और एसटी का आरक्षण लेकर मुसलमान को दे देगी। फिलहाल देखें आरक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं और लोगों के समक्ष इसको पेश करने की भी कोशिश कर रहे हैं। 

 

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केजरीवाल का नया दावा

आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आने पर भाजपा संविधान बदल देगी और आरक्षण खत्म कर देगी। उन्होंने कहा, ''बीजेपी के लोग हमेशा आरक्षण के खिलाफ रहे हैं। सत्ता में आने के बाद वे संविधान बदल देंगे और आरक्षण खत्म कर देंगे।'' केजरीवाल ने अपना दावा दोहराया कि अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा। अखिलेश यादव का भी दावा है कि भाजपा भारत और विश्व स्तर पर सबसे खतरनाक परिवार है। वे और एक अन्य खतरनाक परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहते थे, अब अन्यथा दावा करके वोट मांग रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा है कि हम आरक्षण के लिए और संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। आप संविधान को खत्म करने की बात कर रहे हैं। भाजपा पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि आपको आरक्षण के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है।


भाजपा का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया है। कांग्रेस संविधान में बदलाव कर पूरे देश में यह नियम लागू करना चाहती है लेकिन पिछड़े वर्ग को धोखा देने वाली सपा इस पर चुप है... ये लोग मोदी के खिलाफ 'वोट जिहाद' की अपील कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक मैं जीवित हूं, मैं कांग्रेस को धर्म के नाम पर दलितों, एससी, एसटी और ओबीसी के लिए मिलने वाले आरक्षण को मुसलमानों को नहीं देने दूंगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट रूप से समझाया गया है कि यदि हमारा लक्ष्य आरक्षण हटाना होता, तो हमारे पास 10 वर्षों के लिए बहुमत होता, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। जहां तक ​​मुसलमानों को आरक्षण देने की बात है तो मेरी अब भी यही राय है कि इस देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए, यह संविधान की योजना नहीं है, संविधान इससे सहमत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देगी। 

 

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चुनावी दांव-पेंच

देश में यह पहला मौका नहीं है जब आरक्षण को लेकर जबरदस्त राजनीति हो रही है। विपक्षी खेमा हमेशा से भाजपा पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाता रहा है और इसका फायदा भी उन्हें मिला है। चुंकि भाजपा इस चुनाव में पूरी तरीके से हिंदुत्व के नाव पर सवार होकर मैदान में है। विपक्ष को पता है कि हिंदुत्व की राजनीति का काट जाति हो सकता है और यही कारण है कि विपक्ष की ओर से बार-बार आरक्षण का मुद्दा उठाया जाता है। साथ ही साथ इसमें जातीय जनगणना का भी चाशनी लगा दिया जाता है। लेकिन इस बार भाजपा के पास से भी अपना पक्ष मजबूती से रखने का पूरा मौका है। यही कारण है कि पार्टी की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि हम 10 वर्षों से पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में है, हमने आरक्षण के खिलाफ कभी कुछ नहीं किया है। देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जो चुनाव के चरण बचे हैं, उसमें इस तरह की राजनीति का कितना असर होता है। 

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