By अभिनय आकाश | Mar 29, 2025
क्या रूस और यूक्रेन के बीच की जंग खत्म होने वाली थी, क्या डोनाल्ड ट्रं की नीति से शांति समझौता होने वाला था? अगर आप भी ऐसा सोच रहे थे तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 12 घंटे में ही पूरा खेल पलट दिया। अमेरिका और रूस के बीच ब्लैक सी में नेवल पीस समझौता हुआ था। लेकिन जैसे ही अमेरिका ने इसकी घोषणा की। रूस ने तुरंत ही यूक्रेन के बंदरगाह शहरों पर हमला शुरू कर दिया। यानी पुतिन ने अमेरिका को पूरी तरह चौंका दिया। दरअसल, कुछ हफ्ते पहले खबर आई थी कि डोनाल्ड ट्रंप रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध विराम कराने की कोशिश कर रहे हैं। जेलेंस्की शुरुआत में तैयार नहीं थे। लेकिन जब व्हाइट हाउस ने यूक्रेन को मदद रोकने की घोषणा की तो जेलेंस्की को झुकना पड़ा। उसके बाद अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में गुप्त वार्ता हुई। वहां तीन दिनों तक डील पर बात हुई। उसके बाद ये तय हुआ कि ब्लैक सी के इलाके में रूस हमला नहीं करेगा। वहां सेफ नेवीगेशन और व्यापारिक जहाजों का संचालन शुरू होगा।
अमेरिका ने कहा कि काला सागर में सुरक्षित नौवहन सुनिश्चित करने के लिए रुस और यूक्रेन के बीच सहमति बन गई है। अमेरिका ने सऊदी अरब में यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधिमंडलों के साथ शांति की दिशा में संभावित कदमों पर तीन दिनों की वार्ता पूरी की। अमेरिका ने कहा है कि दोनों पक्ष “सुरक्षित नौवहन सुनिश्चित करने, बल प्रयोग को समाप्त करने तथा काला सागर में सैन्य उद्देश्यों के लिए वाणिज्यिक जहाजों के प्रयोग को रोकने पर सहमत हुए हैं। अमेरिका ने तो शांति डील की घोषणा कर दी। लेकिन रूस ने 12 घंटे के अंदर ही यूक्रेन के ब्लैक सी पोर्ट पर जबरदस्त हमला कर दिया। 117 ड्रोन अटैक, मिसाइल स्ट्राइक और भारी तबाही। अमेरिका और यूरोप को रूस के इस चाल की उम्मीद नहीं थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुतिन चाणक्य नीति अपना रहे हैं?
दरअसल, पुतिन का ये कदम पूरी तरह से चाणक्य नीति पर आधारित था। उन्होंने पहले अमेरिका को शांति वार्ता में उलझाया। जैसे ही अमेरिका ने अपनी डील की घोषणा की। रूस ने हमला कर दिया। चाणक्य नीति कहती है कि शत्रु को पहले भ्रम में डालो। फिर सही समय पर हमला करो। जब शत्रु कमजोर हो तो उसपर जवाब बनाओ। अपने फायदे के बिना किसी भी संधि को नहीं मानो। रूस की मांग है कि अमेरिका रूसी बैंकों और कंपनियों पर लगे प्रतिबंध हटाए। जब तक ऐसा नहीं होगा रूस ब्लैक सी में हमले जारी रखेगा। रूस की इस रणनीति से भारत को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। भारत को अपने डिफेंस सेक्टर में रूस या अमेरिका पर निर्भरता कम करनी होगी। पुतिन ने अमेरिका को शांति का सपना दिखाया और फिर उसी का फायदा उठाया। ग्लोबल राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। आज अमेरिका यूक्रेन के साथ है, लेकिन कल उसे छोड़ भी सकता है। भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखना होगा। खैर, रूस ने 12 घंटे में पूरा खेल पलट दिया। अमेरिका की शांति डील धरी की धरी रह गई।