By अंकित सिंह | Aug 06, 2020
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के खत्म होने के 1 साल पूरे हो गए है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में क्या बदलाव हुए हैं इसको लेकर सभी के मन में जिज्ञासा उठ रही होगी। पिछले 1 साल में जम्मू कश्मीर के कई जगह को आतंकवाद मुक्त कर दिया गया है। इसमें त्राल और डोडा जैसे इलाके शामिल है। जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद आतंकवाद के खिलाफ वहां सेना और पुलिस एक्शन मोड में है। सेना और पुलिस को कई बड़ी कामयाबी भी हासिल हुई है। दोनों आपस में मिलकर वहां शांति बहाल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे है जिसका असर हम सभी को देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना अर्ध सैनिक बल और वहां की पुलिस सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाती है। पहले इन तीनों के बीच वहां समन्वय की कमी देखने को मिलती थी हालांकि फिलहाल यह चीजें खत्म होती दिख रही है।
आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद जम्मू कश्मीर में सैन्य कर्मी काफी मजबूत हुए हैं। पहले आतंकवाद के खिलाफ सैन्य अभियानों के लिए भी राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। उस स्थिति में बदलाव हुआ जिसके बाद वहां आतंकवाद खात्में की तरफ से बढ़ रहा है। पहले की सैन्य अभियानों में गोपनीय सूचना के लीक होने की संभावनाएं काफी रहती थी जो अब लगभग खत्म हो चुका है। सैन्य कर्मियों के बीच आपसी तालमेल भी मजबूत हुई है। केंद्र सरकार की ओर से वहां इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सैन्य कर्मियों को काफी मदद मिल रही है। पहले जम्मू कश्मीर के सुरक्षा व्यवस्था लगभग वहां की राज्य सरकारों के हाथ में हुआ करते थे जो अब केंद्र के पास है।
संवेदनशील प्रदेश होने के नाते जम्मू कश्मीर में सैन्य कर्मियों का लक्ष्य एक होना जरूरी होता है। ऐसे में आर्टिकल 370 का खत्म होना सैन्य क्षमता को मजबूत बनाता है। जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर उपराज्यपाल की सीधी नजर होती है। उपराज्यपाल केंद्र के गृह मंत्रालय को वहां के हालात के बारे में बताता है। जरूरत और सुरक्षा के हिसाब से ही वहां पर सैन्य कर्मियों की तैनाती की जाती है। जम्मू-कश्मीर पुलिस भी उपराज्यपाल के ही अधीन आता है। ऐसे में केंद्रीय अर्धसैनिक बल और राज्य के पुलिस बल के बीच तालमेल बिठाने में काफी मदद मिलती है। पिछले 1 साल में जम्मू कश्मीर की स्थितियों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इसका श्रेय हम स्थानीय पुलिस और अपने सेना के जवानों को दे सकते है।