बारिश न आए तो ज़िंदगी परेशान हो जाती है। हवन, यज्ञ, टोने टोटके किए जाते हैं। मानसून जल्दी आने के लिए नहीं मानता लेकिन जब बारिश आती है तो कठिनाइयों की बरसात आ जाती है। कुछ देर की बारिश से बाज़ार, मुहल्ले, सड़कें, गांव व शहर झील हो जाते हैं। पीने का पानी नहीं मिलता, बिजली चली जाती है नेता परेशान हो उठते हैं क्यूंकि जल सम्बंधित योजनाओं के उद्घाटन भी रुक जाते हैं। सकारात्मक यह है कि सड़कों की संभावित मरम्मत के हट्टे कट्टे एस्टीमेटस का निर्माण शुरू हो जाता है। सडकों की मरम्मत शुरू हो जाती है। मुझे आशंका ही नहीं पूरा विशवास है कि बारिश हमेशा ग़लत वक़्त पर आती है, इसलिए कुछ समझदार लोगों से जाना कि बारिश कब होनी चाहिए।
बौछारों से बचते, आफिस पहुंचते और संभलते हुए सरकारी जनाब ने स्पष्ट दिशानिर्देश दिए कि बारिश दिन में दस बजे के बाद होनी चाहिए और साढ़े चार बजे से पहले रुक जानी चाहिए या फिर रात को दस बजे के बाद हो। छुट्टी के दिन बारिश बिलकुल नहीं होनी चाहिए। जनाब ने ठीक कहा बारिश अब उनकी मर्ज़ी से होनी चाहिए। बारिश का ग़लत समय पर आना तो ग़लत है ही, कहीं भी बरस लेना और ज़्यादा ग़लत है। जहां चाहिए वहां न बरसना, किसानों को भरमाते, तरसाते रहना फिर तैयार या खेत में पड़ी कटी फसल पर पानी फेरना तो उपर वाले की मनमानी ही है।
बारिश के बारे नेताजी ब्यान न बहाएं हो नहीं सकता। उन्होंने दिल से कहा बारिश बेहद रोमांटिक चीज़ है। फिर दिमाग़ से कहा कि बारिश अब परेशान ही करती है। नालियां, सड़कें, खडडे पानी से भर जाते हैं और हमारी गाड़ी गंदी हो जाती है। जनता का दुःख हमसे सहन नहीं होता। हम भी इंसान हैं, हमें बीपी और पत्नी को लोबीपी हो जाता है। उपर वाले को ऐसा नहीं करना चाहिए, एक बात और नोट किजिए, हमेशा व्यवस्था को नहीं कोसते रहना चाहिए। कुछ लोग यूं ही कहते रहते हैं कि इंसान की गलती के कारण बारिश ज़्यादा होती है।
सब ठीक फ़रमा रहे हैं। हमें ऐसा कुछ नहीं चाहिए जो परेशानी पैदा करे तभी तो चाहते हैं कि जीवन अमृत देने वाली बारिश हमारी मर्ज़ी से हो। मेरी पत्नी का सुझाव है कि बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए प्रेरणा लेने देने के लिए गायन व डांस का मासिक राष्ट्रीय आयोजन, प्रशासन को हर शहर में करवाना चाहिए जो मिनरल वाटर बाटलिंग कंपनी द्वारा प्रायोजित हो। किसी नेता के संबधी को यह नैतिक ज़िम्मेवारी पकड़ लेनी चाहिए जो इस प्रोजेक्ट को सुफल बनाने में दिन रात को पानीपानी कर डाले।
इस सन्दर्भ में ‘इंडियन रेन वाटर सेविंग आइडल’ का आयोजन भी सक्रिय भूमिका निभा सकता है जिसके पुरस्कार वरुणदेव के मेकअप में कुटिल राजनेता के हाथों दिए जाने चाहिए।
- संतोष उत्सुक