By कमलेश पांडेय | Jan 12, 2022
आगामी 1 फरवरी 2022 को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण संसद में अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट प्रस्तुत करने वाली हैं, जो मोदी सरकार का नौंवा बजट होगा। इसलिए इसमें बहुधा प्रयोग होने वाली महत्वपूर्ण शब्दावली के बारे में हम आपको विस्तार पूर्वक यहां बता रहे हैं, ताकि नए बजट प्रावधानों को समझने में किसी भी व्यक्ति को आसानी हो।
गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत अनुमानित प्राप्तियों और व्यय के विवरण को 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा जाता है, जिसे भारत के वित्त मंत्री हर वर्ष संसद में वार्षिक बजट के रूप में प्रस्तुत यानी पेश करते हैं। फुल बजट प्रेजेंटेशन के दौरान कतिपय क्लिष्ट हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसमें अक्सर राजकोषीय घाटा, राजस्व प्राप्तियां, बजट में संशोधित अनुमान व राजस्व बजट आदि कुछ महत्वपूर्ण कठिन शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं, जो आम प्रचलन में नहीं हैं, इसलिए इनके अर्थ को बहुत से लोग नहीं समझ पाते हैं। लिहाजा हमने यहां पर प्रत्येक वर्ष केंद्रीय बजट में उपयोग किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण शब्द यानी बजट शब्दावली की व्याख्या की है। क्योंकि आम बजट में कई ऐसे हिंदी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत से लोगों को पता ही नहीं होते हैं। इसलिए हम आम लोगों और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए इन शब्दों के बारे में संक्षिप्त रूप से थोड़ा थोड़ा समझा रहे हैं, जो हर किसी जिज्ञासु व्यक्ति के काम आ सकता है। ये महत्वपूर्ण शब्द व इसकी व्याख्या इस प्रकार हैं-
पहला, केंद्रीय बजट: केंद्रीय बजट, संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण, जिसे 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा जाता है, को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए भारतीय संसद, नई दिल्ली के पटल पर केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह वक्तव्य ही मुख्य बजट दस्तावेज है। यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाले एक वित्तीय वर्ष के लगभग 2 माह पहले सरकार के राजस्व प्राप्ति और व्यय का अनुमान है। वास्तव में, एक केंद्रीय बजट सरकार के वित्त की सबसे व्यापक रिपोर्ट होती है, जिसमें सभी स्रोतों से राजस्व प्राप्ति और सभी गतिविधियों के लिए परिव्यय को समेकित किया जाता है। प्रस्तुत बजट में अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के खातों के अनुमान भी शामिल होते हैं, जिन्हें बजट अनुमान कहा जाता है।
दूसरा, पूंजी बजट: पूंजीगत बजट में पूंजीगत प्राप्तियां एवं भुगतान शामिल होते हैं। पूंजी प्राप्तियां जनता से लिए गए सरकारी ऋण, रिजर्व बैंक से सरकारी उधार तथा ट्रेजरी बिल, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में इक्विटी होल्डिंग का विनिवेश, विदेशी सरकारों व निकायों से प्राप्त ऋण, छोटी बचत के खिलाफ प्रतिभूतियां, राज्य भविष्य निधि एवं विशेष जमा हैं। पूंजीगत भुगतान पूंजीगत परियोजनाओं के निर्माण तथा भूमि, भवन मशीनरी एवं उपकरण जैसी संपत्ति के अधिग्रहण पर पूंजीगत व्यय को संदर्भित करता है। इसमें शेयरों में निवेश तथा केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों, सरकारी कंपनियों, निगमों एवं अन्य पार्टियों को दिए गए ऋण तथा अग्रिम भी शामिल हैं।
तीसरा, राजस्व बजट: राजस्व बजट में सरकार की राजस्व प्राप्तियां एवं उसके व्यय शामिल होते हैं। राजस्व प्राप्तियों को कर तथा गैर-कर राजस्व में विभाजित किया गया है। कर राजस्व में आयकर, कॉर्पोरेट कर, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, सेवा एवं सरकार द्वारा लगाए जाने वाले अन्य शुल्क जैसे कर शामिल हैं। वहीं, गैर-कर राजस्व स्रोतों में ऋण पर ब्याज, निवेश पर लाभांश आदि शामिल हैं। राजस्व व्यय सरकार एवं उसके विभिन्न विभागों के दिन-प्रतिदिन के संचालन पर तथा इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए किया गया व्यय है। इसमें राज्य सरकारों एवं अन्य पार्टियों को दिए गए उधार, अनुदान (सब्सिडी) और अनुदान पर ब्याज (इंट्रेस्ट) भी शामिल है। इस व्यय के परिणामस्वरूप संपत्ति का निर्माण नहीं होता है। यदि राजस्व प्राप्तियों एवं राजस्व व्यय के बीच का अंतर नकारात्मक है, तो राजस्व घाटा होता है। यह वर्तमान व्यय पर सरकार की वर्तमान प्राप्तियों की कमी को दर्शाता है। अगर पूंजीगत व्यय तथा पूंजीगत प्राप्तियों को भी ध्यान में रखा जाए, तो एक वर्ष में प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर होगा। यह अंतर समग्र बजटीय घाटे का गठन करता है तथा इसे 91-दिवसीय ट्रेजरी बिल जारी करके कवर किया जाता है, जो ज्यादातर रिजर्व बैंक के पास होता है। राजस्व अधिशेष राजस्व व्यय पर राजस्व प्राप्तियों की अधिकता है।
चतुर्थ, राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च एवं उसकी राजस्व प्राप्तियों तथा गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों के योग के बीच का अंतर है। वहीं, राजकोषीय घाटा लक्ष्य यानी कि यह सरकार द्वारा अपने व्यय को पूरी तरह से पूरा करने के लिए आवश्यक उधार ली गई धनराशि की कुल राशि का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय रिजर्व बैंक से अतिरिक्त उधार लेने, सरकारी प्रतिभूतियों को जारी करने आदि के माध्यम से अंतर को पाट दिया जाता है। राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक है।
पंचम, प्राथमिक घाटा: प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटा घटा ब्याज भुगतान है। यह बताता है कि सरकार के उधार का कितना 'ब्याज भुगतान के अलावा अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए जा रहा है।
षष्टम, वित्त विधेयक: वित्त विधेयक में नए कर लगाने, मौजूदा कर ढांचे में बदलाव या मौजूदा कर ढांचे को जारी रखने के सरकार के प्रस्ताव संसद के समक्ष रखे जाते हैं। विधेयक में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के लिए प्रस्तावित संशोधन शामिल हैं।
सप्तम, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर: प्रत्यक्ष कर व्यक्तियों एवं निगमों की आय पर लगाया जाता है। जैसे, आयकर, कॉर्पोरेट कर आदि। अप्रत्यक्ष करों का भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, जब वे सामान तथा सेवाएं खरीदते हैं। इनमें उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि शामिल हैं।
अष्टम, केंद्रीय योजना परिव्यय: केंद्रीय योजना परिव्यय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों एवं सरकार के मंत्रालयों के बीच मौद्रिक संसाधनों के आवंटन को संदर्भित करता है।
नवम, सार्वजनिक खाता: केंद्र सरकार भविष्य निधि, लघु बचत संग्रह आदि से संबंधित लेनदेन के लिए एक बैंकर के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार सरकार को अपने बैंक जैसे परिचालनों से प्राप्त होने वाली धनराशि को सार्वजनिक खाते में रखा जाता है, जिससे संबंधित संवितरण किया जाता है। ये निधियां सरकार की नहीं हैं तथा इन्हें जमा करने वाले व्यक्तियों और प्राधिकारियों को वापस भुगतान किया जाना है।
दशम, यथामूल्य शुल्क: यथामूल्य शुल्क उत्पाद की कीमत के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में निर्धारित शुल्क हैं।
ग्यारह, भुगतान संतुलन: भुगतान संतुलन विदेशी मुद्रा बाजार में किसी देश की मुद्रा की मांग एवं आपूर्ति के बीच का अंतर है।
बारह, बजट अनुमान: बजट अनुमान वर्ष विशेष के लिए राजकोषीय और राजस्व घाटे का अनुमान है। यह शब्द वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्र के खर्च एवं करों के माध्यम से प्राप्त आय के अनुमानों से जुड़ा है।
तेरह, पूंजी प्राप्ति: केंद्र द्वारा बाजार से जुटाए गए ऋण, रिजर्व बैंक और अन्य पार्टियों से सरकारी उधारी, ट्रेजरी बिलों की बिक्री और विदेशी सरकारों से प्राप्त ऋण पूंजी प्राप्ति का एक हिस्सा हैं। जिसके अंतर्गत आने वाली अन्य मदों में केंद्र द्वारा राज्य सरकारों को दिए गए ऋणों की वसूली और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश से प्राप्त आय शामिल है।
चौदह, समेकित निधि: समेकित निधि के तहत सरकार अपनी सभी निधियों को एक साथ जमा करती है। इसमें सभी सरकारी राजस्व, लिए गए ऋण और दिए गए ऋण की वसूली शामिल है। सरकार का समस्त व्यय संचित निधि से किया जाता है और संसद की अनुमति के बिना निधि से कोई भी राशि आहरित नहीं की जा सकती है।
पन्द्रह, आकस्मिकता निधि: आकस्मिकता निधि एक ऐसी निधि है जिसका उपयोग आपात स्थितियों से निपटने के लिए किया जाता है, जहां सरकार संसद के प्राधिकरण की प्रतीक्षा नहीं कर सकती है। हालांकि सरकार बाद में व्यय के लिए संसदीय अनुमोदन प्राप्त करती है। आकस्मिकता निधि से खर्च की गई राशि बाद में निधि में वापस कर दी जाती है।
सोलह, मौद्रिक नीति: मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में तरलता के स्तर को विनियमित करने या फिर ब्याज दरों को बदलने के लिए की गई कार्रवाइयां शामिल हैं।
यदि आप इन शब्दों को हृदयंगम कर लेंगे तो आगामी 1 फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत किये जाने वाले अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट को समझने में आसानी होगी। क्योंकि इसमें प्रयोग होने वाली महत्वपूर्ण शब्दावली के अर्थ को समझे बिना कोई भी व्यक्ति नए बजट प्रावधानों को समझने में परेशानी महसूस करता है और बार बार उसे शब्दकोश पलटने पड़ते हैं।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार