By अंकित सिंह | May 28, 2022
ताजमहल विवाद की वजह से आगरा में पर्यटन और व्यापार पर काफी असर पड़ रहा है। पर्यटन और व्यापार के प्रभावित होने की वजह से स्थानीय व्यापारियों और यहां के टूरिस्ट गाइडों के लिए मुसीबत बढ़ गई हैं। इसके साथ ही एक सवाल टूरिस्ट गाइड के लिए मुसीबत भी बन गया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक अधिकारिक टूरिस्ट गाइड हमसे पर्यटक भी 22 कमरों के बारे में पूछते हैं जिसका जवाब देना मुश्किल है। सब को इससे दिक़्कत है। विश्व धरोहर ही रहने दिया जाए और राजनीति न हो।
वहीं, होटल एंड रेस्ट्रोरेंट ऑनर्स एसोशिएशन अध्यक्ष रमेश वाधवा ने कहा कि मंदिर-मस्जिद के नाम पर इन विश्व धरोहरों पर राजनीति न हो क्योंकि इसका सीधा असर पर्यटन उद्योग पर होता है। देश के किसी कोने में कुछ हादसा होता है तो सबसे पहला असर पर्यटन उद्योग पर होता है। इसलिए ऐसी राजनीति नहीं होनी चाहिए। आपको बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने ताजमहल के सच को सामने लाने के लिए ‘तथ्यान्वेषी जांच’ की मांग करने वाली और इस वैश्विक धरोहर परिसर में बने 22 कमरों को खुलवाने का आदेश देने का आग्रह करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत लापरवाही भरे तरीके से दायर की गई याचिका पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आदेश पारित नहीं कर सकती है।
खंडपीठ ने बिना कानूनी प्रावधानों के याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह की खिंचाई भी की थी। खंडपीठ ने उनसे यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं बता सके कि उनके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। जब याचिकाकर्ता के वकील ने कुछ इतिहासकारों के हवाले से ताजमहल के इतिहास के बारे में अपनी बात कहनी शुरू की तो पीठ ने कहा क्या हम ताजमहल की आयु निर्धारित करने के लिए बैठे हैं? न्यायालय ने कहा हम अलग-अलग ऐतिहासिक कारणों पर आधारित परस्पर विरोधाभासी विचारों पर कोई निर्णय नहीं दे सकते।