आरपीएससी का तुरन्त पुनर्गठन आवश्यक, विश्वसनीयता एवं साख दाव पर: Sachin Pilot

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 03, 2024

जयपुर । कांग्रेस महासचिव एवं राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने राज्य सरकार से ‘राज्य लोक सेवा आयोग’ की विश्वसनीयता को पुनर्स्थापित करने के लिए इसका पुनर्गठन करने की मांग की है। पायलट ने एक बयान में कहा कि पिछले वर्ष सितम्बर में प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार किया था और अब विशेष अभियान दल (एसओजी) ने पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण में आयोग के पूर्व सदस्य रामूराम राईका को गिरफ्तार किया है। 


पायलट ने कहा कि ईडी एवं एसओजी द्वारा पेपर लीक प्रकरणों में की गई इन गिरफ्तारियों से आरपीएससी जैसी प्रतिष्ठित संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग गया है। उन्होंने कहा,‘‘ मैं पहले भी आरपीएससी की कार्यप्रणाली और चयन प्रक्रिया को लेकर अपना पक्ष रखता आया हूं और उन बातों की अब पुष्टि भी हो रही है।’’ पुलिस उप-निरीक्षक भर्ती परीक्षा-2021 के पेपर लीक मामले में अब तक 61 आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। इन 61 आरोपियों में 33 प्रशिक्षु उप-निरीक्षक, चार चयनित उम्मीदवार और पेपर लीक गिरोह से जुड़े 24 लोग शामिल हैं। 


बयान के अनुसार, 65 अन्य आरोपियों की तलाश अभी जारी है। पायलट ने कहा कि ‘रीट’, ‘सेकण्ड ग्रेड टीचर’, सब इंस्पेक्टर, जूनियर इंजीनियर, वन रक्षक सहित दर्जनों परीक्षाओं के पेपर लीक होने से प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों पर कुठाराघात हुआ है और उनके माता-पिता एवं परिजन में निराशा फैल गई है। उन्होंने कहा कि लाखों युवा विपरीत परिस्थितियों पढ़-लिखकर नौकरी पाने के लिए परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे है और उनके माता-पिता दिन-रात मेहनत करके पैसे जुटाकर अपनी संतानों को शिक्षा के संसाधन उपलब्ध करवा रहे हैं, उन सभी में इन नित-नये खुलासों से संशय की स्थिति बन रही है कि पेपर लीक होने पर मेहनत विफल ना हो जाये। 


पायलट ने कहा कि हाल के बजट सत्र में घोषणा की गई है कि प्रदेश में चार लाख सरकारी नौकरियां दी जायेगी जिनमें से एक लाख सरकारी नौकरियां मार्च, 2025 तक दी जायेगी। उन्होंने कहा ऐसे में इन सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं और इसकी चयन प्रणाली में पूरी पारदर्शिता होने के साथ ही परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं और उनके माता-पिता में परीक्षा लेने वाली संस्था के प्रति विश्वसनीयता कायम रखना सरकार का दायित्व है।

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