दूसरी ओर ‘वर्मीकम्पोस्टिंग’ एक बेहतर जैव विघटन प्रक्रिया है जिसमें परंपरागत रूप से न्यूनतम 60 दिनों की आवश्यकता होती है। ‘वर्मीकम्पोस्टिंग’ खाद बनाने की एक विधि है जिसमें जैव विघटन के लिए केंचुओं, कीड़ों का उपयोग किया जाता है। बयान में कहा गया है कि दोनों प्रक्रियाओं के लाभों को मिलाकर आईआईटी गुवाहाटी में डब्लूएमआरजी ने दो-चरणीय जैव विघटन की एक अनूठी रणनीति विकसित की है। अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले आईआईटी गुवाहाटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अजय एस कलमधाड ने नयी तकनीक के बारे में कहा, ‘‘हमने आरडीसी तकनीक को अनुकूलित किया और जैव विघटन की अवधि को कम करने के लिए इसे वर्मीकम्पोस्टिंग के साथ जोड़ा।’’ विज्ञप्ति में कहा गया है कि उत्पाद ऑनलाइन मंच अमेजन और इंडियामार्ट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है।