By अनुराग गुप्ता | May 29, 2020
इसके पीछे की वजह लॉकडाउन और प्रवासी कामगारों का अपने गृह राज्य वापस जाना बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी-बड़ी दुकानों से ज्यादा आइसक्रीम की विक्री का काम ठेलों के जरिए होता था। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से भूख से बदहाल प्रवासियों ने शहरों से अपने गांवों की तरफ रुख का कर लिया है।
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एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन या बंद के कारण आइसक्रीम उद्योग को करीब 60 फीसदी नुकसान पहले ही उठाना पड़ा चुका है। यदि ऐसा ही हाल रहा तो इस साल का पूरा व्यापार चौपट हो जाएगा। बता दें कि हॉटस्पॉट इलाकों को छोड़ दिया जाए तो तकरीबन-तकरीबन बहुत सी आइसक्रीम की दुकानें खुल गई हैं लेकिन पूरी तरह से नहीं।
भारतीय आइसक्रीम उद्योग को इतनी बड़ी चोट लगी है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर से लेकर मदर डेरी जैसी मुख्य कम्पनियों ने सीधेतौर पर अब होम डिलीवरी शुरू करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं कम्पनियां स्विगी, बिगबास्केट के जरिए आइसक्रीम की डिलीवरी कर रही हैं।
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बड़ी आइसक्रीम निर्माता कम्पनियों के साथ-साथ छोटे-छोटे निर्माताओं को भी लाखों का नुकसान हुआ है। गर्मी की शुरुआत से पहले निर्माता कम्पनियों ने स्टॉक बनाना शुरू कर दिया था लेकिन मार्च में अचानक से हुए लॉकडाउन की वजह से वह अपना स्टॉक निकाल नहीं पाए थे।
अब मदरडेरी ने डिस्ट्रीब्यूटर के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि उपभोक्ताओं को सीधे ऑनलाइन बुकिंग करने की अनुमति मिल सके। देवयानी फूड इंडस्ट्रीज जो क्रीमबेल फ्रैंचाइज़ी के तहत आइसक्रीम बेचती है के रवि जयपुरिया ने बताया कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में स्थिति एक छोटे प्लांट को बंद कर दिया है।