IAS Officer Pooja Khedkar पर लगे आरोप अगर जाँच में सही निकले तो नौकरी से बर्खास्तगी से लेकर जेल तक हो सकती है

By नीरज कुमार दुबे | Jul 12, 2024

केंद्र सरकार ने विवादों में घिरीं परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के ‘‘उम्मीदवारी दावों और अन्य विवरणों’’ की जांच के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। हम आपको बता दें कि पूजा खेडकर पर तमाम आरोप हैं जिनमें सबसे बड़ा आरोप यह है कि उन्होंने दिव्यांगता और ओबीसी कोटा का दुरुपयोग किया है। बताया जा रहा है कि पूजा के पास 22 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है जिनसे लाखों रुपए की आय होती है और इसकी पूरी जानकारी उन्होंने अपने संपत्ति विवरण में नहीं दी है।


पूजा पर यह भी आरोप है कि पुणे में काम करने के दौरान उन्होंने अधिकारियों को तमाम तरह से परेशान किया और अपने पद का दुरुपयोग किया। बताया जा रहा है कि पूजा ने यूपीएससी की परीक्षा के दौरान तीन एफिडेविट जमा किए थे। इनमें से एक में उन्होंने खुद को मानसिक रूप से अक्षम बताया था तो दूसरे में कहा था कि उन्हें देखने में समस्या है। रिपोर्टों के मुताबिक पूजा का तीसरा एफिडेविट था ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर श्रेणी का। ऐसी भी रिपोर्टें सामने आई हैं कि पूजा को यूपीएससी की ओर से कराये जाने वाले मेडिकल टेस्ट के लिए छह बार बुलाया गया था लेकिन वह सिर्फ अंतिम टेस्ट कराने ही आई थीं और उसमें भी उन्होंने एमआरआई कराने से इंकार कर दिया था। इसलिए अपने स्वास्थ्य संबंधी जो एफिडेविट पूजा ने यूपीएससी को दिये थे उन पर सवाल खड़े हो गये हैं।

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हम आपको बता दें कि पूजा के पिता जोकि एक रिटायर्ड कर्मचारी हैं, उन्होंने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में वंचित बहुजन अघाड़ी के टिकट पर अहमदनगर से चुनाव लड़ा था। उन्होंने अपने नामांकन पत्र में जो जातिगत विवरण दिया था वह पूजा के जातिगत विवरण से मेल नहीं खाये। पुणे के एक आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभर ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पूजा का सारा सच सामने आ गया। इसके बाद जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो केंद्र सरकार ने जांच बैठा दी है।


केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा है कि 2023 बैच की अधिकारी, जिन्हें महाराष्ट्र कैडर आवंटित किया गया है, उनकी उम्मीदवारी के दावों और अन्य विवरणों को सत्यापित करने के लिए एक अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी। बयान में कहा गया है कि समिति दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। माना जा रहा है कि समिति ने आरोपों को सही पाया तो पूजा को नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है। बताया यह भी जा रहा है कि फर्जीवाड़े का आरोप सिद्ध होने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।


इस बीच, विवादों में घिरी पूजा खेडकर ने बृहस्पतिवार को विदर्भ क्षेत्र के वाशिम जिला समाहरणालय में सहायक जिलाधिकारी के रूप में अपना नया पदभार संभाल लिया। हम आपको बता दें कि उनका स्थानांतरण पुणे से हुआ था, जहां उन्होंने लोगों को कथित तौर पर धमकाया था और अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती भी लगा रखी थी। हालांकि बाद में अपने व्यवहार में परिवर्तन लाते हुए पूजा खेडकर वाशिम स्थित अपने कार्यालय एक बोलेरो कार से पहुंचीं थीं जो कि लाल बत्ती वाली उस ऑडी कार से अलग थी, जिसका इस्तेमाल वह पुणे में रहने के दौरान इस्तेमाल करती थीं। बढ़ते दबाव के बावजूद, पूजा खेडकर ने आरोपों पर टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा कि सरकारी नियमों के कारण वह इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वाशिम जिला समाहरणालय में कार्यभार ग्रहण करके खुश हूं और यहां काम करने के लिए उत्सुक हूं।’’ उनके खिलाफ लगे आरोपों के बारे में पूछे जाने पर पूजा खेडकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इस मुद्दे पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हूं। सरकारी नियमों के कारण मैं इस संबंध में टिप्पणी नहीं कर सकती।’’


पूजा पर अन्य आरोपों की बात करें तो आपको बता दें कि नवी मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र सरकार को बताया है कि पूजा खेडकर ने चोरी के एक आरोपी को रिहा करने के लिए डीसीपी-रैंक के एक अधिकारी पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। पनवेल पुलिस थाने में 18 मई को पूजा खेडकर ने पुलिस उपायुक्त विवेक पानसरे को कथित तौर पर फोन कर चोरी के मामले में गिरफ्तार ट्रांसपोर्टर ईश्वर उत्तरवाड़े को रिहा करने का आग्रह किया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूजा खेडकर ने डीसीपी से कहा कि उत्तरवाडे निर्दोष हैं और उनके खिलाफ मामूली आरोप हैं। अधिकारी ने कहा कि हालांकि पूजा खेडकर ने विवेक पानसरे को सिर्फ फोन पर अपनी पहचान बताई थी, लेकिन डीसीपी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि फोन करने वाला सचमुच आईएएस अधिकारी है या फिर खुद को आईएएस बता रहा कोई धोखेबाज है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने फोन पर कोई कोई कदम नहीं उठाया और अपराध के लिए उत्तरवाडे अभी भी न्यायिक हिरासत में है।


इसके अलावा, पूजा खेड़कर हाल ही में तब सुर्खियों में आईं जब प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही अलग केबिन और कर्मचारी जैसी मांगों को लेकर विवाद खड़ा करने पर उन्हें पुणे से वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया था।


दूसरी ओर, पुणे पुलिस की एक टीम पूजा खेडकर के बंगले पर लालबत्ती और वीआईपी नंबर संबंधी उल्लंघन के सिलसिले में ऑडी कार का निरीक्षण करने गई, तो उसे बंगले के द्वार बंद मिले थे। यही नहीं, परिसर में मौजूद पूजा की मां ने मीडिया को इस दृश्य का वीडियो बनाने से रोकने का प्रयास किया था।

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