By अनुराग गुप्ता | Jun 29, 2021
मुंबई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 वैक्सीन के महत्व और उससे जुड़ी सावधानियों के बारे में परामर्श देने के लिए अग्रिम मोर्चे के कर्मियों और वैक्सीनेशन करने वालों का मार्गदर्शन करने के उद्देश्य से एक तथ्य-पत्र तैयार किया है ताकि महिलाएं पूरी जानकारी हासिल होने के बाद वैक्सीनेशन करा सकें।
दस्तावेज में बताया गया है कि एक गर्भवती महिला को कोविड-19 वैक्सीन लगवानी चाहिए। इसी मामले को लेकर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर धन्यवाद कहा।
उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं के वैक्सीनेशन को मंजूरी देने के लिए आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय का धन्यवाद। मैं इसका स्वागत करती हूं। देश को सुरक्षित रहने की जरूरत है और सभी के पास वैक्सीनेशन कराने का विकल्प होना चाहिए। मैं इसे पहले शुरू करने के लिए बीएमसी को भी धन्यवाद देती हूं। इसी के साथ प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने ट्वीट के अंत में लिखा- वैक्सीनेटेड भारत एक भारत।
उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार ने 19 मई 2021 को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन की अनुमति दे दी। हालांकि गर्भवती महिलाओं के लिए निर्णय को रोक दिया गया। भारत में हर दिन लगभग 67,000 बच्चे पैदा होते हैं। हमारे देश में एक वर्ष में लगभग 2.7 करोड़ गर्भधारण दर्ज किए जाते हैं। इस खंड को वैक्सीनेशन की प्रक्रिया से बाहर रखने से न केवल उनके जीवन को खतरा होगा, बल्कि उनके बच्चों को परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
कोविड वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तथ्य-पत्र में कहा गया है कि उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीन सुरक्षित हैं और वैक्सीनेशन गर्भवती महिलाओं को अन्य व्यक्तियों की तरह संक्रमण से बचाता है। किसी भी अन्य दवा की तरह इस वैक्सीन के भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं जो सामान्य रूप से मामूली होते हैं। इसमें कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के बाद गर्भवती महिला को हल्का बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या एक से तीन दिनों तक अस्वस्थता महसूस हो सकती है। बहुत कम (एक से पांच लाख व्यक्तियों में से किसी एक गर्भवती महिला को) गर्भवती महिलाओं को वैक्सीनेशन के 20 दिनों के भीतर कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता हो सकती है।