इस खिलाड़ी ने कहा, मुझे पाकिस्तान दौरे पर सुरक्षा की कोई चिंता नहीं

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 15, 2019

नयी दिल्ली। भारत के स्टार युगल टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना सितंबर में पाकिस्तान के खिलाफ उसी की सरजमीं पर डेविस कप मुकाबले में खेलने को लेकर उत्सुक हैं और उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है। भारत को 14-15 सितंबर को पाकिस्तान के खिलाफ इस्लामाबाद के पाकिस्तान खेल परिसर में डेविस कप एशिया-ओसियाना ग्रुप ए मुकाबला खेलना है। फरवरी में पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत के बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि भारत डेविस कप मुकाबले में खेलने से इनकार कर सकता है लेकिन अखिल भारतीय टेनिस महासंघ ने कहा है कि इस मैच को लेकर कोई संशय नहीं है।

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एआईटीए का कहना है कि अगर भारत मुकाबले के लिए नहीं जाता है तो अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ के नियमों के अनुसार उन्हें ‘डिस्क्वालीफाई’ किया जा सकता है। बोपन्ना ने हालांकि कहा कि वे पाकिस्तान में ग्रास कोर्ट पर इस मुकाबले में खेलने को लेकर उत्सुक हैं और सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं हैं। बोपन्ना ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मैं इस मुकाबले को लेकर उत्सुक हूं। मैंने ऐसाम उल हक कुरैशी से बात की है जो मेरा काफी अच्छा मित्र है और उसने कहा है कि सब कुछ ठीक है। मैं पहले भी वहां गया हूं और उनकी मेहमाननवाजी काफी अच्छी है इसलिए कोई चिंता नहीं है।

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गौरतलब है कि कुरैशी बोपन्ना के युगल जोड़ीदार रह चुके हैं। दिग्गज युगल खिलाड़ी लिएंडर पेस भी इस मुकाबले में खेलने को लेकर उत्सुक हैं लेकिन बोपन्ना ने कहा कि टीम चुनना उनका काम नहीं है। उन्होंने कहा कि टीम में कौन खेलेगा यह फैसला मुझे नहीं करना है, यह फैसला कप्तान (महेश भूपति) को करना है। मुझे तो यह भी नहीं पता कि मुझे टीम में चुना जाएगा या नहीं।

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दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने रविवार को विंबलडन के पुरुष एकल फाइनल में महान खिलाड़ी रोजर फेडरर को 7-6, 1-6, 7-6, 4-6, 13-12 से हराया और बोपन्ना का मानना है कि फेडरर के दमखम में 37 साल की उम्र में भी कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो कल का फाइनल (रविवार) देखकर नहीं लगता कि कोई हारा है। पांच घंटे तक टेनिस खेलने के बाद फेडरर अपना 21वां ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने से सिर्फ एक अंक दूर था। 37 बरस की उम्र में उसकी कोर्ट कवरेज शानदार थी और मुझे नहीं लगता कि उसने कोई कसर छोड़ी। उसकी उम्र देखते हुए यह बेहतरीन प्रयास था। जोकोविच को श्रेय जाता है लेकिन यह शानदार मुकाबला रहा क्योंकि अंतिम अंक तक दोनों खिलाड़ी मैच में बने हुए थे।

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बोपन्ना ने हालांकि स्वीकार किया कि भारत में टेनिस की स्थिति काफी अच्छी नहीं है और भारत को ग्रैंडस्लैम एकल चैंपियन के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रैंडस्लैम जीतना एक पूरी प्रक्रिया है, इसके लिए आपको सही तरह के समर्थन, सुविधाओं की जरूरत है। महासंघ के अलावा कारपोरेट कंपनियां भी सहयोग कर रही हैं। प्रत्येक शहर में सहयोग की जरूरत है, टेनिस काफी खेलों से अलग है और यह 200 से अधिक देशों में खेला जाता है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत में जितने अधिक टूर्नामेंट होंगे उससे उतनी मदद मिलेगी। जहां तक एकल ग्रैंडस्लैम जीतने का सवाल है तो आप देखेंगे कि पिछले 15 साल से सिर्फ चार खिलाड़ी इन्हें जीत रहे हैं। भारत से अगर कोई एकल चैंपियन चाहिए तो मुझे लगता है कि इसके लिए अब भी लंबा रास्ता तय करना होगा। इसके लिए महासंघ और कारपोरेट के सहयोग की जरूरत होगी। 

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