सिद्धार्थ नगर/बस्ती/लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार द्वारा कोविड प्रबंधन में एक मिसाल कायम किए जाने का दावा करते हुए कहा कि गांवों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि की आशंकाओं के मद्देनजर उन्हें जमीनी हकीकत जानने के लिए क्षेत्र में उतरना पड़ा। प्रदेश में कोविड-19 प्रबंधन का जायजा लेने के लिए इन दिनों जिलों के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे मुख्यमंत्री ने सिद्धार्थनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गांवों में कोविड-19 संक्रमण बढ़ने की आशंकाओं के मद्देनजर मुझे स्थिति का खुद आकलन करने के लिए क्षेत्र में उतरना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जाने से अपेक्षित परिणाम हासिल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को सिद्धार्थनगर में एकीकृत कोविड कमांड सेंटर के कार्य संचालन और व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।
उन्होंने जोगिया गांव का भी दौरा किया और एक प्राथमिक पाठशाला में निगरानी समिति के सदस्यों से बातचीत भी की। बाद में मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी कार्यालय में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ एक बैठक की। योगी ने कहा कि ऐसे अनुमान लगाए जा रहे थे कि 25 अप्रैल से 10 मई के बीच उत्तर प्रदेश में रोजाना कोविड-19 संक्रमण के करीब एक लाख मामले आएंगे और स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जाएगी। मगर पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में कोविड-19 संक्रमण के केवल 3278 नए मामले ही सामने आये हैं। प्रदेश में मात्र 26 दिनों के अंदर उपचाराधीन मरीजों की संख्या 310000 से घटकर 58270 हो गई है। योगी ने यह भी दावा किया कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रैपिड रिस्पांस टीमों के जरिए घर-घर जाकर एंटीजन टेस्ट के जरिए तेजी से जांच की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कोविड-19 के साथ-साथ एन्सेफेलाइटिस तथा अन्य संचारी रोगों को रोकने की रणनीति पर भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर और बस्ती मंडल एन्सेफेलाइटिस के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके लिए दवाओं की किट का जल्द इंतजाम किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बस्ती जिले में भी स्थिति का जायजा लिया और एक अस्पताल का निरीक्षण किया। योगी ने कहा कि महामारी की तीसरी लहर के दौरान बच्चों की सुरक्षा करने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को तेज किया जा रहा है और सरकार उन माता-पिता की पहचान करके उनका टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर कराएगी जिनके बच्चे 12 साल से कम उम्र के हैं।