गैंग्स ऑफ बायकॉट ने जो रहम और करम खान पर दिखाई है उससे मुझ जैसे दो कौड़ी के निकम्मे को भी फिल्म बनाने का हौंसला मिला है। आपने बायकॉट करने के नाम पर सफलता के नए सूत्र प्रतिपादित किए हैं। इन सूत्रों को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में सभी फिल्म निर्माताओं को एक से बढ़कर एक वाहियात फिल्में बनानी चाहिए। मुझे तो उस समय बड़ी खुशी हुई जब आपने फिल्म का नाम बदले बिना, निर्माता-निर्देशक, अभिनेता-अभिनेत्री से हाथापाई किए बिना, मुँह पर लीपा-पोती किए बिना, फिल्म का कोई सीन कट किए बिना या बदले बिना आपने उसे अपनी पब्लिसिटी दे दी। मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि आप लोग गीदड़-सियार तो कतई नहीं हो सकते। हाँ मच्छरों और मक्खियों से गए गुजरे जरूर हो। गीदड़ भभकियों के नाम पर आप डरातो तो हो लेकिन एक्शन की बारी आते ही टाँय-टाँय फिस्स हो जाते हो।
मैं आपको पूरा विश्वास दिलाता हूँ कि मैं ऐसी फिल्म बनाऊँगा जिससे आप लोगों को ऐसी-ऐसी जगह पर मिर्ची लगेगी न बताने लायक रहेंगे और न दिखाने लायक। मैं इस बात का पूरा ध्यान रखूँगा कि अभिनेत्री तुम्हारी भावनाओं को आहत करने वाली हर अदा धड़ल्ले से करे। अभिनेता अपनी बीच वाली अंगुली उठाकर आपको भड़काने की पूरी कोशिश करेगा। मैं ऐसे-ऐसे गाने रखूँगा कि न उसे तुम सुन पाओगे और न तुम्हारे घर वाले। हाँ इतना जरूर कहना चाहूँगा कि आपके पैर क्लब या बार में जाने पर अवश्य थिरक उठेंगे। मैं तुम्हारी संस्कृति, परंपरा, आस्थाओं, भावनाओं सबकी ऐसी बैंड बजाऊँगा कि आप सोच में पड़ जायेंगे कि कौनसा सीन सबसे ज्यादा शर्मींदा करने वाला है।
मैं आपको भड़काने, बहकाने, लड़ने-झगड़ने, हिलन-डुलने के सभी अवसर उपलब्ध कराऊँगा, लेकिन मेरी आपसे केवल एक प्रार्थना है कि आप मुझ पर इतने केस कर दें कि लोग गूगल करने पर मजबूर कर दें कि यह बंदा आखिर कौन हैं। अपने आकाओं वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों, गृहमंत्रियों या बिन सिर-पैर के बात करने वाले पहुँचे हुए तीसमारखानों से मेरी फिल्म के खिलाफ फतवा जारी करवा दें। इससे मीडिया के केंद्र में पहुँचने में आसानी होगी। मैं अपनी हरकतों के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरूँगा या नहीं लेकिन आपको मरने नहीं दूँगा। आप हैं तो पब्लिसिटी है। पब्लिसिटी है तो वाहियात फिल्मों का बोलबाला है। वाहियात फिल्में हैं इसलिए देश विकास कर रहा है। देश विकास कर रहा है इसीलिए हम बेरोजगारों को ठिकाने पर लगा पा रहे हैं। कुल मिलाकर आपका बायकॉट सभी मर्ज की एक दवा है।
- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’,
(हिंदी अकादमी, मुंबई से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)