Lockdown का पहला दिनः जानिये First Day First Show की सभी बड़ी बातें

By नीरज कुमार दुबे | Mar 25, 2020

महाभारत का युद्ध 18 दिनों में जीता गया था और कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई भारत 21 दिनों में जीत जायेगा। यह भरोसा जताया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। लेकिन प्रधानमंत्री का यह विश्वास वास्तविकता में परिवर्तित हो सके इसके लिए जरूरी है कि सभी देशवासी सरकार के सभी सुझावों का पूरी तरह पालन करें नहीं तो अगर हालात बेकाबू हुए तो उसकी जिम्मेदारी खुद आपकी ही होगी। लेकिन यहां सरकार की भी एक बड़ी जिम्मेदारी है कि इन 21 दिनों में जनता की हर जरूरत का ख्याल रखे ताकि जनता मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए घर से बाहर नहीं निकले। आपको बार-बार यह याद रखने की जरूरत है कि कोराना वायरस नामक बीमारी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती। यह समृद्ध देश पर भी कहर बरपाती है और गरीब के घर में भी कहर बरपाती है। इसलिए सतर्कता और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।

 

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कैसा रहा पहला दिन?


जहाँ तक भारत के लॉकडाउन के पहले दिन का सवाल है तो देश नियमों का पालन करता दिखा। खुद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भी मंत्रिगण उचित दूरी पर बैठे नजर आये। देश के विभिन्न राज्यों और शहरों से भी जो तसवीरें सामने आयी हैं उनमें दिख रहा है कि लोग दुकानों के बाहर एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर खड़े हैं और अपनी बारी के आने का इंतजार कर रहे हैं। केंद्र सरकार भी लोगों की दिक्कतों के प्रति संवेदनशील नजर आ रही है और उसने सभी राज्य सरकारों से कहा कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों की दिक्कतों को दूर करें और उनके वेयरहाउस खुलवाएं तथा उनके डिलिवरी ब्वॉयज को जाने दें इसके लिए कई राज्यों ने कर्फ्यू पास भी जारी कर दिये हैं ताकि लोगों के घर तक सामान की आपूर्ति निर्बाध रूप से हो सके। गौरतलब है कि फ्लिपकार्ट, अमेजॉन, ग्रोफर्स और बिग बास्केट जैसी कंपनियों के माध्यम से आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति में पुलिस द्वारा कई हिस्सों में लॉकडाउन के दौरान आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगाने से इसमें अवरोध आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने तो आज ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर मामले का हल निकालने के प्रयास भी किये। उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा है कि केंद्र सरकार का खाद्यान्न भंडार अगले दो साल के लिए पर्याप्त है और राज्यों को किसी भी कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।


राज्य सरकारों ने दी राहत


उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर ‘लॉकडाउन’ के दौरान लोगों को परेशानियों से बचाने के लिये घर-घर सामान पहुंचाने की तैयारियां कीं। यूपी सरकार ने घर-घर सामान पहुंचाने के लिये ट्रैक्टर, मोबाइल वैन, ई-रिक्शा, ठेले आदि सहित कुल 12,133 वाहनों की व्यवस्था दोपहर तीन बजे तक कर ली थी।' सरकार धार्मिक स्थलों आदि पर सामुदायिक रसोईघर की भी व्यवस्था कर रही है ताकि इस दौरान गरीब मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराया जा सके। इसके अलावा बिहार सरकार ने भी राशन कार्ड धारकों को 1000 रुपये का राशन सरकारी खर्च पर देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने भी कहा है कि कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन (बंद) के दौरान राज्य में खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति नियमित रूप से सुनिश्चित करने के लिए राशन की सभी दुकानें खुली रहेंगी।

 

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पार्टियां भी मदद को आगे आईं


दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ओर से संदेश प्रसारित किया जा रहा है कि जिन झुग्गी बस्तियों में लोगों के पास राशन नहीं है वह हमें मैसेज भेजें उनके यहां खाना पहुँचा दिया जायेगा। उधर, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई पार्टी की एक बैठक में फैसला लिया गया है कि पार्टी के एक करोड़ कार्यकर्ता ‘लॉकडाउन’ के दौरान रोजाना पांच-पांच गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराएंगे।


कालाबाजारी पर सख्ती


इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने को लेकर लॉकडाउन के दौरान हर रोज दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानें खुलेंगी, ऐसे में लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। जावड़ेकर ने कहा कि जमाखोरी एवं कालाबाजारी करने वालों से निपटने के लिये पर्याप्त कानूनी उपाय किये जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक और बड़ी घोषणा की है कि केंद्र सरकार की ओर से देश के 80 करोड़ लोगों को प्रतिव्यक्ति सात किलो गेहूं दो रूपये मूल्य पर और चावल तीन रूपये मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के तहत अब केंद्र राज्यों को तीन महीने का अग्रिम अनाज देने जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकारें अपनी-अपनी तरह से लोगों को राहत देने की काम कर रही हैं। राज्य सरकारों ने भी कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त अभियान छेड़ रखा है।


भारत में कोरोना का ताजा अपडेट


भारत में जहां अब तक कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या की बात है तो यह 600 के पार पहुंच गई है। इस बीच, प्रशासन ने हालात से निपटने के लिए तैयारियों को तेज कर दिया है और संक्रमितों के इलाज के लिए सैन्य आयुध फैक्टरियों और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अस्पतालों में 2,000 बिस्तरों की व्यवस्था की है। दिल्ली में अधिकारियों ने बताया कि पूरे देश में अर्धसैनिक बलों के 32 अस्पतालों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। उन्होंने बताया कि 1,900 बिस्तरों की क्षमता वाले इन अस्पतालों को पृथक वार्ड में तब्दील कर कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज किया जाएगा।


मजदूरों को परेशानी


लॉकडाउन वैसे तो संकट की गंभीरता को देखते हुए अनिवार्य है लेकिन इसके चलते निर्माण कार्यों में लगे मजदूर, रेहड़ी-पटरी और खोमचे वाले और रिक्शा चलाने वाले श्रमिकों के समक्ष रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया है क्योंकि यह लोग रोज कमाकर ही परिवार का पेट भर पाते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में असंगठित क्षेत्र में करीब 42 करोड़ लोग काम करते हैं। इनमें खेतिहर मजदूर भी शामिल हैं। परिवार की रोजीरोटी जुटाने के लिए एक बड़ा वर्ग गांव से दूर अपना घर बसाता है लेकिन ऐसे कई सारे लोग अब सड़क और रेलगाड़ी बंद होने के चलते जहां तहां फंस गये हैं। उन्हें अपने साथ ही गांव में रह रहे परिजनों की भी चिंता सता रही है। संकट के इन दिनों की गिनती कितनी होगी, कोई नहीं जानता। किसी को हालात से उबरने का सही वक्त नहीं पता। ऐसे में कई कहानियां हैं जो आंखें नम कर देती हैं। पश्चिम बंगाल की सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 1000 रुपए की एकमुश्त सहायता की घोषणा की है हालांकि यह नाकाफी है लेकिन ऐसे वक्त में जो मिले वो सही। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सबसे पहले राज्य में करीब 35 लाख श्रमिकों के लिए एक-एक हजार रुपये की मदद का ऐलान किया था। वहीं निर्माण क्षेत्र के 1.65 करोड़ मजदूरों को एक महीने तक मुफ्त राशन दिये जाने की भी घोषणा की है। हरियाणा सरकार ने इसी सप्ताह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की मदद के लिए 1200 करोड़ रुपये प्रति माह के पैकेज का ऐलान किया था। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने राशन कार्ड धारकों, हॉकरों और ऑटो-रिक्शा चालकों के लिए 3000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। अन्य कई राज्य भी इस तरह की पहल कर रहे हैं। कुछ एनजीओ और निजी क्षेत्र के लोग भी संकटग्रस्त दैनिक वेतनभोगियों की मदद के लिए आगे आये हैं। सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे से अपने आसपास रहने वाले ऐसे गरीबों, वंचितों की भोजन आदि में मदद के लिए आग्रह कर रहे हैं।


एकदम से लॉकडाउन होने के कारण कई राज्यों में मजदूर फंस भी गये हैं और उन्हें अपने गृह राज्य तक पैदल ही जाना पड़ रहा है। ऐसा ही नजारा आज तब दिखा जब गुजरात में काम करने वाले राजस्थान के हजारों प्रवासी मजदूर परिवहन सेवा उपलब्ध न होने के कारण पैदल ही अपने घर को लौटते दिखे। गुजरात पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि वे यात्रा न करें। ऐसे ही मजदूरों का झुंड दिल्ली में भी नजर आया जोकि उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों के लिए पैदल ही निकल पड़े थे।

 

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इस चेतावनी पर ध्यान दें


उधर, जो लोग भारत में लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं उन्हें इस चेतावनी पर जरूर ध्यान देना चाहिए। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने चेतावनी दी है कि भारत में मई महीने के मध्य तक कोरोना वायरस से संक्रमित पुष्ट मामलों की संख्या एक लाख से लेकर 13 लाख तक हो सकती है। शोधार्थियों की एक टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट ‘सीओवी-आईएनडी-19’ में कहा गया है कि महामारी के शुरूआती चरण में अमेरिका और इटली के मुकाबले भारत पॉजीटिव मामलों को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल रहा है। लेकिन, इस आकलन में एक जरूरी चीज छूट गई है और वह है--इस वायरस से सचमुच में प्रभावित मामलों की संख्या। वैज्ञानिकों की इस टीम में अमेरिका के जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय की देबश्री रॉय भी शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बात जांच के दायरे, जांच के नतीजों की सटीकता और उन लोगों की जांच पर निर्भर करती है जिनमें इस वायरस से संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ‘‘अभी तक, भारत में जांच किये गये लोगों की संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। व्यापक जांच नहीं होने की स्थिति में सामुदायिक स्तर पर संक्रमण को रोक पाना असंभव है। इसका यह मतलब है कि हम यह आकलन नहीं कर सकते कि अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों के बाहर कितनी संख्या में संक्रमित व्यक्ति हैं। वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में 16 मार्च तक भारत में दर्ज मामलों से जुड़े आंकड़ों का इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, नयी दिल्ली और मिशिगन विश्वविद्यालय, अमेरिका के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।


स्पेन पर टूट रहा है कहर


दूसरी ओर कोरोना वायरस इस समय कहां सबसे अधिक कहर ढा रहा है अगर इसकी बात करें तो वह देश है स्पेन। स्पेन में बीते 24 घंटे में 738 लोगों ने दम तोड़ दिया, जिसके बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 3,434 हो गई है, जबकि 47,610 लोग संक्रमित हैं। स्पेन ने मौतों के आंकड़ों के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। स्पेन में तेजी से फैलते कोरोना वायरस को रोकने के लिये 11 दिन से लॉकडाउन जारी है। वहीं, ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। दुनियाभर में देखें तो कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 20 हजार के पार चली गयी है।


-नीरज कुमार दुबे


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