By मिथिलेश कुमार सिंह | Jun 22, 2021
जी हां! ऑप्टोमेट्रिस्ट आजकल काफी ट्रेंड में है, और एक बेहतर कॅरियर के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है।
चूंकि दिन पर दिन आंखों की समस्याएं लोगों में बढ़ती ही जा रही है, और ऐसे में इससे जुड़ी कॅरियर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। आज कई कॉलेज आंखों की देखभाल से जुड़े स्पेशलाइजेशन कोर्स करा रहे हैं, तो इस कोर्स को करने के उपरांत कई लोग, अच्छे खासे पैसे कमाने के साथ में लोगों की आंखें भी ठीक कर रहे हैं।
वास्तव में देखा जाए तो शरीर का प्रत्येक अंग बेहद जरूरी है, किन्तु आँख की तो अपनी विशेष महत्ता है। साइंस के अनुसार, हमारा मस्तिष्क, हमारे शरीर के जिस अंग से सर्वाधिक प्रभावित होकर कोई निर्णय लेता है, वह 'आँख' ही है।
पहले आंख से संबंधित किसी समस्या के लिए कोई नार्मल फिजीशियन दवा दे देता था, किंतु अब स्पेशलिस्ट की डिमांड इस क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। कल्पना कीजिए कि आज के समय आज मार्केट में आंखों की जांच करके, चश्मा देने वाला व्यक्ति आपको हर जगह मिल जाएगा। इसे ही ऑप्टोमेट्रिस्ट कहते हैं।
जाहिर तौर पर इसकी डिमांड दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। अगर आप भी इस तरह के कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं, तो आपको 12वीं पास करना होगा। फिर उसके बाद आप आप बैचलर डिग्री अथवा डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। बीएससी करने वालों को भी इसमें वरीयता मिलती है।
पीसीएम, यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ अथवा बायोलॉजी एवं इंग्लिश के साथ आप 50% मार्क्स के साथ पास होने चाहिए, और तत्पश्चात, आप ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। सामान्यतः डिप्लोमा 2 साल का एवं बैचलर डिग्री कोर्स 4 साल का होता है। ज्योंही आप यह कोर्स पूरा करते हैं, तो आपको किसी क्लीनिक में या फिर हॉस्पिटल में किसी डॉक्टर के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम करना होता है, और यहीं पर आप सीखे गये मेथड का प्रैक्टिकल करते हैं।
आंखों की देखभाल से संबंधित तमाम सब्जेक्ट यहां पर कवर होते हैं। इसके अलावा उसे कांटेक्ट लेंस के अलावा चश्मा पहनने की सलाह किस प्रकार से दी जाए, और लो विजन डिवाइसेज के साथ विजन थेरेपी, आई एक्सरसाइज इत्यादि की ट्रेनिंग देना भी इन कोर्सेज में शामिल किया जाता है।
सच कहा जाए तो आंखों की देखभाल एवं उसकी जांच के लिए आपको ऑप्टोमेट्रिस्ट स्पेशलाइज होते हैं, और यह बेहद आधुनिक उपकरणों एवं मॉडर्न डिवाइस के साथ आंखों की देखभाल करते हैं, जो इन्हें काफी इंपोर्टेंट बनाता है।
अगर किसी की आंख में कलर ब्लाइंडनेस से दूर- नजदीक की रोशनी में फर्क आता है, कोई जेनेटिक प्रॉब्लम है, मायोपिया है, तो ऑप्टोमेट्रिस्ट ही आपको इस का सही रास्ता दिखाते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद आप ना केवल हॉस्पिटल में कार्य कर सकते हैं, बल्कि आप स्वयं का कारोबार भी कर सकते हैं। इसके लिए कोई भी मार्केट आपके लिए मुफीद हो सकती है।
ध्यान दें, कोर्स कंप्लीट करने के बाद ऑप्टोमेट्रिस्ट किसी शोरूम में काम कर सकते हैं, अथवा उनके पास ऑप्टिकल लेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट आदि खोलने का भी ऑप्शन होता है। इतना ही नहीं, कॉरपोरेट लाइन में आंखों से संबंधित प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी में प्रोफेशनल्स सर्विस एम्प्लोयी के पद पर काम कर सकते हैं।
बता दें कि आंखों के डॉक्टरों को ट्रेंड असिस्टेंट की बहुत जरूरत पड़ती है, जो कुशल तरीके से चश्मा, लेंस और दूसरे नेत्र उपकरण बना सके, ऐसे में आप ही तो काम आयेंगे!
चूंकि आंखों के उपचार में आने वाली चीजों का रखरखाव भी बेहद महत्व का होता है। सरकारी रूल्स के अनुसार, ऑप्टिकल दुकानों में भी ट्रेंड ऑप्टीशियन को ही रखने का प्रावधान है, इसलिए वहां भी ऑप्टोमेट्रिस्ट के लिए अवसर होता है।
मतलब, आप अगर मन से इस कार्य को सीखते हैं, तो आपको अवसरों की कमी नहीं होने वाली।
बहुत सारे फ्रेंचाइज ऑप्शन भी आपके सामने उपलब्ध हैं, और उनके साथ फ्रेंचाइजी लेकर भी आप अपने व्यवसाय को जोड़ सकते हैं, तथा 20 से ₹25000 महीने आराम से कमा सकते हैं।
- मिथिलेश कुमार सिंह