Prabhasakshi Exclusive: NATO Summit के बाद कितना मजबूत होकर उभरा Ukraine? क्या Russia की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें?

By नीरज कुमार दुबे | Jul 11, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि नाटो शिखर सम्मेलन से रूस और यूक्रेन को क्या संकेत और संदेश गया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नाटो के गठन की 75वीं वर्षगाँठ पर आयोजित इस सम्मेलन से ज्यादा कुछ निकल कर नहीं आया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन की सबसे बड़ी घोषणा यह रही कि अमेरिका 2026 में जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलों को तैनात करना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा कदम है क्योंकि नाटो सहयोगियों का कहना है कि रूस यूरोप के लिए एक बढ़ता खतरा है। उन्होंने कहा कि यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक बड़ी चेतावनी है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी-जर्मन बयान में कहा गया है कि यह तैनाती यूरोप में रक्षा क्षमताओं को बढ़ायेगी। उन्होंने कहा कि इसके तहत एसएम-6, टॉमहॉक और अधिक रेंज वाले हाइपरसोनिक हथियार भी शामिल होंगे।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा नाटो देश यूक्रेन को मदद बढ़ाने के लिए तो साथ खड़े नजर आये लेकिन अगर आप नाटो देशों के प्रमुखों के भाषण सुनेंगे तो यही प्रतीत होगा कि यह मदद यूक्रेन को अपनी रक्षा के लिए दी जा रही है ना कि रूस को खदेड़ने के लिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से यूक्रेन को मदद मिलनी कम हो गयी थी जोकि अब बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नाटो सहयोगी एक वर्ष के भीतर यूक्रेन को कम से कम 40 बिलियन यूरो (43.28 बिलियन डॉलर) की सैन्य सहायता प्रदान करने का इरादा रखते हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि साथ ही नाटो की बैठक में चीन को भी घेरा गया क्योंकि सदस्य देशों का मानना है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध को चीन का समर्थन है और बीजिंग यूरो-अटलांटिक सुरक्षा के लिए प्रणालीगत चुनौतियां भी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि नाटो की बैठक में चीन से रूस के युद्ध प्रयासों के लिए सामग्री और राजनीतिक समर्थन बंद करने का आह्वान किया गया और चीन की अंतरिक्ष क्षमताओं के बारे में चिंता व्यक्त की गई, तथा चीन के परमाणु शस्त्रागार के तेजी से विस्तार पर भी चिंता जताई गयी। उन्होंने कहा कि नाटो ने अपने वाशिंगटन शिखर सम्मेलन घोषणापत्र में कहा, “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की महत्वाकांक्षाएं और आक्रामक नीतियां लगातार हमारे हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दे रही हैं। रूस और पीआरसी के बीच गहराती रणनीतिक साझेदारी तथा नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने व नया आकार देने के दोनों देशों के प्रयास गंभीर चिंता का विषय हैं।” शिखर सम्मेलन में शामिल राष्ट्राध्यक्षों और शासन प्रमुखों की ओर से जारी घोषणापत्र में कहा गया है, “हम सरकार में शामिल और उनसे इतर तत्वों से हाइब्रिड, साइबर, अंतरिक्ष और अन्य खतरों तथा दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों का सामना कर रहे हैं।”


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस सम्मेलन में स्वीडन को नाटो के 32वें सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि नाटो शिखर सम्मेलन घोषणापत्र में कहा गया है कि फिनलैंड और स्वीडन का नाटो में शामिल होना उन्हें सुरक्षित और संगठन को मजबूत बनाता है, ‘हाई नॉर्थ’ और बाल्टिक सागर क्षेत्रों में भी। उन्होंने कहा कि नाटो के घोषणापत्र में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता भंग कर दी है तथा वैश्विक सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। घोषणापत्र में कहा गया है कि रूस संगठन के सदस्य देशों की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रत्यक्ष खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में कहा गया है, “आतंकवाद, अपने सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में, हमारे नागरिकों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं समृद्धि के लिए सबसे प्रत्यक्ष खतरा है। हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं, वे वैश्विक और परस्पर जुड़े हुए हैं।” उन्होंने कहा कि सम्मेलन में नाटो ने अपनी प्रतिरोधक क्षमता और रक्षा तंत्र को मजबूत करने, रूस से लड़ाई में यूक्रेन को दीर्घकालिक समर्थन बढ़ाने और नाटो के सदस्य देशों के बीच साझेदारी को गहरा करने के लिए कदम उठाए।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के भाषण पर भी सबकी नजरें लगी थीं। बाइडन ने अपने भाषण में रूस के तेजी से रक्षा उत्पादन बढ़ाने के मद्देनजर नाटो के सदस्य देशों से अपने औद्योगिक आधार को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि इस समय रूस तेजी से अपने रक्षा उत्पादन में बढ़ोतरी कर रहा है। वह हथियारों, वाहनों और युद्ध सामग्री का उत्पादन तेजी से बढ़ा रहा है। रूस चीन, उत्तर कोरिया और ईरान की मदद से अपनी रक्षा क्षमता को और मजबूत कर रहा है। जहां तक मेरा विचार है, हमारे संगठन को भी ऐसी स्थिति में पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि साथ ही बाइडन ने यूक्रेन के लिए वायु-रक्षा उपकरण दान में देने की ऐतिहासिक घोषणा की और कहा कि रूस इस युद्ध में विफल हो रहा है। उन्होंने बताया कि बाइडन ने कहा है कि अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, रोमानिया और इटली, यूक्रेन को पांच अतिरिक्त, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण वायु-रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने बताया कि बाइडन ने कहा है कि आगामी महीनों में अमेरिका और उसके साझेदारों की यूक्रेन को कई अतिरिक्त वायु-रक्षा प्रणालियां उपलब्ध कराने की योजना है। उन्होंने बताया कि अमेरिका यह सुनिश्चित करेगा कि जब हम अहम वायु-रक्षा प्रणालियां भेजें तो यूक्रेन अग्रिम मोर्चे पर हो। ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस को हो रहे नुकसान की बात भी की और नाटो देशों से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि कोई गलती ना करें।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस सम्मेलन में नाटो महासचिव जेम्स स्टोल्टनबर्ग ने जो बड़ी बात कही वह यह थी कि यदि रूस यूक्रेन में जीत जाता है तो यह न केवल राष्ट्रपति पुतिन के हौसले बुलंद करेगा बल्कि यह ईरान, उत्तर कोरिया तथा चीन में अन्य निरंकुश नेताओं को भी बढ़ावा देगा।

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