चपरासी का बेटा बना भारत का मेसी, भारतीय टीम में मिली जगह

By दीपक मिश्रा | Jul 09, 2018

मेहनत और देश के लिए खेलने का जूनून ही है जिसने नीशू को एक बेहद ही गरीब परिवार से भारतीय फुटबॉल टीम में जगह दिलाई। जाहिर है बेहद गरीब परिवार में पैदा होना नीशू के लिए सफर को मुश्किल को तो जरूर बनाता था। लेकिन उसके हौंसलों की उस उड़ान को नहीं रोक सकता था। जिसकी आंखों ने देश के लिए खेलने का सपना देखा हो। मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र के फुटबॉल खिलाड़ी नीशू को नेशनल टीम में शामिल किया गया है। नीशू भारतीय टीम में डिफेंडर के रूप में खेलते हैं। इसके अलावा वे राइट बैक और लेफ्ट बैक दोनों तरफ से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। जाहिर है नीशू की इस कामयाबी से उनका परिवार काफी खुश है।

 

गरीबी और असुविधाओं के बीच में रहने वाले नीशू के अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलने से परिवार भी काफी खुश है। नीशू के पिता गांव के ही एक इंटर कॉलेज में चपरासी का काम करते हैं। जिसकी वजह से घर में गरीबी का आलम है जिससे नीशू को फुटबॉल और रोजाना जिंदगी में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। नीशू भारत की अंडर 15 और अंडर 16 टीम का सदस्य रहकर विश्व के कई देशों में फुटबॉल खेल चुके हैं। उन्होंने इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, जापान, यूरोप, खाड़ी और रशियन देशों में भी फुटबॉल खेला है। 2017 में नीशू का चयन नेशनल टीम में हुआ, लेकिन क्रिकेट के प्रभाव के चलते क्षेत्रवासी भी नहीं जानते हैं कि उनके गांव का बेटा नेशनल फुटबॉल टीम का हिस्सा है।

 

मेरा सपना फीफा विश्व में भारत को हिस्सा लेते हुए देखना है- नीशू

 

भारतीय फुटबॉल टीम में जगह बनाने वाले नीशू ने बात करते हुए कहा "मैं फुटबॉल खेल रहा हूं। जब मैं चार साल का था और जन सनपद मैदान में खेल रहा था। 2009 में मुझे चंडीगढ़ अकादमी के लिए चुना गया था। तब से मेरा पेशेवर फुटबॉल कैरियर शुरू हो गया है।" वहीं नीशू आईएसएल में बेंगलुरू की टीम से खेलते हैं जिसके बारे में बातचीत करते हुए कहा "दिसंबर 2015 में बैंगलोर ने मुझे अंडर 19 गोवा से लिया और उस समय उन्होंने मेरे साथ ढाई साल का अनुबंध किया। मेरे प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने अनुबंध को दो साल तक बढ़ा दिया है। तो, 2020 तक मैं बैंगलोर के लिए खेलूँगा।" जाहिर है नीशू भारत की तरफ से कई देशों में तिरंगे का प्रतिनिधित्व किया है। नीशू ने फीफा विश्व कप में भारत के जगह नहीं बनाने के ऊपर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि "मैं बहुत दुखी हूं कि हम विश्व कप नहीं खेल रहे हैं लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं और निश्चित रूप से एक दिन विश्व कप खेलेंगे।"

 

गौरतलब है कि बेहद ही गरीब परिवार से संबंध रखने वाले नीशू के सपने काफी बड़े हैं। जिसको पूरे करने के लिए वह अपनी पूरी जान लगा रहे हैं। साथ ही हमें भारत देश से उम्मीद हैं कि लैटिन अमेरिका और यूरोपियन टीमों को चीयर करने के बाद यह देश एक दिन फीफा विश्व कप में भारतीय तिरंगे के लिए भी चीयर करता दिखाई देगा।

 

-दीपक मिश्रा

प्रमुख खबरें

26/11 अटैक के गुनहगार अब्दुल रहमान मक्की की मौत, लाल किले पर हमले में भी शामिल था

Prabhasakshi Newsroom | Nitish Kumar की चुप्पी, Tejashwi Yadav ऐक्टिव और Rahul Gandhi का बिहार दौरा! Bihar Politics

बिहार में लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदल दिया गया है... BPSC अभ्यर्थियों के प्रोटेस्ट को प्रशांत किशोर ने किया सपोर्ट

Uttar Pradesh कांग्रेस भी गमगीन, मनमोहन सिंह को बताया अपना मार्गदर्शक