By अभिनय आकाश | Apr 20, 2022
यूरोपीय देश स्वीडन को दुनिया के सबसे शांत देशों में से एक माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां दंगे भड़के हुए हैं। यूरोपीय देश स्वीडन में कुरान जलाने की घटना के बाद देश के कई शहरों में तनाव बना हुआ है। बीते दिन पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की। स्वी़डन में ये हिंसा वहां के लिंचोपिन शहर से शुरू हुई। जहां इस्लाम विरोधी पार्टी स्टार्म कुर्स ने गुड फ्राइडे के मौके पर कुरान की प्रतियां जलाने का ऐलान किया। जिसके बाद देखते ही देखते स्वीडन के कई शहर दंगों की आग में झुलस गए।
पुलिस पर पत्थरबाजी
आप भारत के कई शहरों और हालियों दिनों में दिल्ली के जहांगीरपुरी में पत्थरबाजी के नजारे से रूबरू हुए होंगे। जहां हनुमान जयंती पर शोभा यात्रा निकाले जाने के दौरान तनाव होता है और फिर पत्थरों की बरसात होती है। ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों स्वीडन की सड़कों पर भी देखने को मिल रहा है। जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और पुलिस की गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। बीते दिन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को मजबूरन फायरिंग करनी पड़ी। जिसमें तीन लोग घायल हो गए। स्वीड से आती हर तस्वीर वहां पर बिगड़ते हर दिन के हालात को बयां कर रही है।
रासमस पलुडन कौन है?
स्टार्म कुर्स पार्टी चलाने वाले डेनिश-स्वीडिश चरमपंथी रासमुस पालुदान द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन के बाद गुरुवार को हिंसा शुरू हुई। वहीं पूरे मामले पर उनका कहना है कि उन्होंने ही इस्लाम की सबसे पवित्र पुस्तक को आग के हवाले किया है और आगे भी ऐसा किया जाता रहेगा। बता दें कि पालुदान के पिता स्वीडिश नागरिक हैं। साल 2017 में वो उस वक्त सुर्खियों में आए जब उन्होंने यूट्यूब पर मुस्लिम विरोधी वीडियो बनाना शुरू किया। उन्होंने मुस्लिम पवित्र पुस्तक को जलाना, कभी-कभी बेकन में लपेटा जाने जैसी बातों को अपने बयानों में उचित ठहराया। दिसंबर 2018 के एक वीडियो में कहा था कि दुश्मन इस्लाम और मुसलमान हैं। सबसे अच्छी बात यह होगी कि अगर इस धरती पर एक भी मुसलमान नहीं बचा होता तो हम अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुँच जाते। 2019 में डेनमार्क में नस्लवादी भाषण के लिए पलुदान को 14 दिनों की जेल की सजा सुनाई गई थी। एक साल बाद, उन्हें नस्लवाद, मानहानि और खतरनाक ड्राइविंग के 14 अलग-अलग आरोपों का दोषी पाए जाने के बाद दो महीने की अतिरिक्त सजा के साथ एक महीने के कारावास का सामना करना पड़ा। 2019 के पिछले डेनिश चुनावों में स्ट्रैम कुर्स एक भी सीट जीतने में विफल रही। अब पलुदान की योजना जून 2023 के चुनवा को लेकर है।
क्या ऐसा पहले हुआ है?
यह पहली बार नहीं है जब पवित्र पुस्तक को जलाने की डेनिश पार्टी की योजना के खिलाफ हिंसा भड़की हो। 2020 में स्वीडन के माल्मो में हिंसा भड़क उठी थी। पालुदान के दो साल के लिए स्वीडन लौटने पर रोक लगा दी गई थी। प्रदर्शनकारियों ने इसी तरह के प्रयासों पर कारों में आग लगा दी थी। मुसलमानों की भारी तादाद वाले ब्रुसेल्स के एक क्षेत्र में कुरान को जलाने की योजना को लेकर पलुदान और उनकी हार्ड लाइन पार्टी को 2020 में बेल्जियम से एक साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। पेरिस में ऐसा ही सुझाव देने के बाद उन्हें फ्रांस से भी निर्वासित कर दिया गया था।
बढ़ती विदेश से आए लोगों की तादाद ने बदला सांस्कृतिक मिजाज?
स्वीडन की एक तिहाई आबादी विदेश से आए लोगों की है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वीडन के कई शहर ऐसे हैं जहां मुस्लिमों की संख्या अच्छी खासी हो गई है। अब मुस्लिम समाज के कुछ लोग चाहते हैं कि वहां के रहने वाले लोग इस्लामिक कानून शरिया को मानें। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गाया है कि लोगों से कहा जाता है कि अल्लाह के लिए लड़े मुसलमानों की आजादी के लिए लड़े। मुसलमान मारे जा रहे हैं, उनके साथ बलात्कार हो रहा है और आप अपना समय नष्ट कर रहे है। 2016 में छपी बीबीसी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि स्वीडन से बड़ी संख्या में लोग इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकी संगठन आईएसआईएस के साथ मुस्लिमों की जंग लड़ने के लिए चले गए थे