By अभिनय आकाश | Mar 30, 2024
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने बताया कि दो साल पहले मार्च में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की आकस्मिक फायरिंग इसके लड़ाकू कनेक्टर्स के 'जंक्शन बॉक्स से जुड़े रहने' के कारण हुई। यह पहली बार है कि आईएएप ने 9 मार्च, 2022 को हुई घटना के पीछे के कारण का खुलासा किया है। बता दें कि मिसाइल पाकिस्तान में जाकर गिरी थी। इस्लामाबाद ने अगले दिन नई दिल्ली के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया था। भारतीय वायुसेना ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि घटना के वक्त मौजूद लड़ाकू दल जानते थे कि मिसाइलों के कॉम्बैट कनेक्टर्स जंक्शन बॉक्स से जुड़े हुए हैं। बावजूद इसके वे मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर कमांडर को मिसाइल लॉन्च करने का असुरक्षित कार्य करने से रोकने विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप ये पड़ोसी देश में लॉन्च हुआ।
सरकारी खजाने से 25 करोड़ का नुकसान
इसमें कहा गया है कि इस घटना से सरकारी खजाने को 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, साथ ही भारतीय वायु सेना की 'प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा।' बल ने इस घटना को भारत और पाकिस्तान के बीच 'संबंधों को प्रभावित करने वाला प्रभाव' बताया। दुर्घटना के कुछ दिनों बाद भारतीय वायुसेना द्वारा गठित कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) ने 16 गवाहों से पूछताछ की थी। ग्रुप कैप्टन सौरभ गुप्ता, स्क्वाड्रन लीडर प्रांजल सिंह और विंग कमांडर अभिनव शर्मा - सभी कॉम्बैट टीम के सदस्य को 'मिसाइल के दागे जाने के कारण हुई चूक और कमीशन के विभिन्न कृत्यों' के लिए दोषी पाया था।
विंग कमांडर शर्मा की याचिका के जवाब में ही वायुसेना ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। विंग कमांडर द्वारा एयर कमोडोर जेटी कुरियन पर दोष मढ़ने पर प्रतिक्रिया देते हुए इसने उनके आरोपों को आधारहीन और बिना किसी ठोस सबूत के' करार दिया। भारतीय वायु सेना ने शर्मा के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि वह 'मिसाइल की गोलीबारी को रोकने की स्थिति में नहीं थे।'