By विंध्यवासिनी सिंह | Jun 22, 2020
सबरीमाला मंदिर के बारे में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसने श्रद्धा बस या फिर खबरों के माध्यम से ना जानता हो। दक्षिण भारत के केरल में स्थित भगवान अय्यप्पा के इस मंदिर की महिमा अनंत मानी जाती है। कहा तो यहां तक जाता है कि जिस प्रकार से ईसाईयों का सबसे पवित्र स्थान वेटिकन सिटी है या फिर मुसलमानों का मक्का मदीना है उतना ही महत्व सबरीमाला मंदिर का भी है।
बहरहाल बताते चलें कि सबरीमाला मंदिर का नाम उसी रामायण के शबरी के ऊपर रखा गया है, जिसने भगवान को जूठे फल खिलाए थे। इस उम्मीद में कि कहीं कोई फल खट्टा ना हो, कड़वा ना हो।
हर एक फल चख कर शबरी ने भगवान राम को खिलाए और भगवान राम ने उतने ही प्रेम से वह हल ग्रहण किए। हम सभी जानते हैं कि रामायण में बेहद छोटी भूमिका होने के पश्चात भी शबरी का नाम हमेशा से ही आदर और श्रद्धा से लिया जाता है।
आपको रोचक जानकारी यह भी दे दें कि भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र की संज्ञा दी गई है। संभवतः वह अकेले ऐसे भगवान हैं जो 'हरि' यानी विष्णु और 'हर' यानी शंकर के भी पुत्र माने जाते हैं।
पिछले दिनों यह मंदिर इसलिए चर्चा में रहा था क्योंकि इसके नियमों के खिलाफ कुछ संगठनों और महिलाओं ने आंदोलन छेड़ दिया।
गौरतलब है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यहां जिस भगवान अयप्पा की पूजा यहां की जाती है वह ब्रह्मचारी थे। इसलिए इस मंदिर के बारे में नियम बनाया गया है कि वही लड़की इस में प्रवेश कर सकती है जिसे मासिक धर्म ना हुआ हो। दूसरे सभी वर्जित हैं।
इस मंदिर के नियमों की कठिनाई शब्दों में आप इसी से समझ सकते हैं कि अगर कोई यहां दर्शन करना चाहता है तो उसे दर्शन करने से पूर्व तकरीबन 2 महीने पहले से मांस-मदिरा-मछली इत्यादि का त्याग करना होता है। जाहिर तौर पर इस मंदिर की लोकप्रियता जितनी है उतनी ही कठोर नियमों की चर्चा भी होती है।
बहर हाल श्रद्धा तो फिर श्रद्धा है और वह श्रद्धा ही क्या जिसके बारे में किंतु-परंतु की जाए। भगवान अय्यप्पा के इस सबरीमाला मंदिर के बारे में आप कुछ ऐसा ही कह सकते हैं।
स्थापत्य के नियमों के अनुसार सबरीमाला मंदिर बेहद खूबसूरत है। कहा जाता है कि यह मंदिर 18 पहाडि़यों के बीच स्थित है और मंदिर के प्रांगण में पहुंचने के लिए भी 18 सीढि़यां पार करनी पड़ती हैं। सबरीमाला मंदिर में अयप्पा के अलावा मालिकापुरत्त अम्मा, गणेश और नागराजा जैसे देवताओं की भी मूर्तियां बनी हुई हैं।
सबरीमाला मंदिर में मकर संक्रांति के अलावा नवंबर में भी बड़ा त्यौहार मनाया जाता है। मलयालम महीनों के पहले पांच दिन भी मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इनके अलावा पूरे साल मंदिर के दरवाजे आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहते हैं।
विंध्यवासिनी सिंह