Crypto Winter का हो गया The End? इतिहास, विवाद और ऑल-टाइम हाई पर पहुंची कीमत, बिटकॉइन की यह बात आपको भी जाननी चाहिए

By अभिनय आकाश | Mar 06, 2024

9 जनवरी 2009 का वो सर्द दिन। मुंबई की सर्च डायरेक्ट्री में दो नए नाम दर्ज किए जा रहे थे, जो समय-समय पर सर्च किए जाने थे। पहला बिटकॉइन और दूसरा सतीशी नाकामोतो। पहले नाम से तो हम सब वाकिफ हैं और दूसरे सिर्फ नाम भर ही है। मार्केट में पैनल इनवेस्टमेंट सेक्टर की आमद हो रही थी जिसे कई दिग्गजों ने नकार दिया। लेकिन कुछ ने उस पर भरोसा दिखाया वो भी आंख बंद करके। दबाकर पैसा लगाया और शुरुआत में लोगों को इससे जमकर फायदा भी हुआ। एक 30 बरस का लड़का तो क्रिप्टो किंग भी बन गया। लेकिन जब क्रिप्टो का बुलबुला फूटा तो सब देखते रह गए। क्रिप्टो किंग बैंकमैन-फ्राइड दिवालिया हो गया। उसकी गिरफ्तारी भी हुई और क्रिप्टो की मार्केट चरमा गई। जानकारों ने इसे क्रिप्टो विंटर नाम दिया। लेकिन अब लग रहा है कि क्रिप्टो मार्केट के अच्छे दिन आ गए हैं और बिटकॉइन ऑल टाइम हाई के करीब पहुंच गया है। इंवेस्टर्स बिटकॉइन में काफी इंटरेस्ट दिखा रहे हैं। 10 नवंबर 2021 को 68,789 डॉलर पर पहुंचने के बाद इसकी कीमत में काफी गिरावट आई थी। लेकिन हाल के दिनों में इसमें काफी तेजी देखी जा रही है। 

इसे भी पढ़ें: शिबू सोरेन से लेकर सीता सोरेन तक, वोट के बदले नोट का मामला क्या है जिसमें 7 जजों की बेंच ने पलटा 1998 के नरसिम्हा राव केस का फैसला

बिटकॉइन की कीमत ऑल-टाइम हाई पर पहुंची

नवंबर 2022 के बाद से बिटकॉइन की कीमत में 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है। अमेरिका में कई बिटकॉइन ईटीएफ को मंजूरी मिली है जिसके बाद एक बार फिर निवेशकों का रुख इस ओर हुआ है। पहले 11 स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ जनवरी में लॉन्च हुए थे जो इस क्रिप्टोकरेंसी की रियल टाइम मार्केट प्राइस को ट्रैक करते हैं। गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन की कीमत अब लगभग $1.3 ट्रिलियन (107 ट्रिलियन रुपये) है, जो $2.6 ट्रिलियन (215 ट्रिलियन रुपये) क्रिप्टोकरेंसी बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, बिटकॉइन का हालिया उछाल डिजिटल मुद्रा से जुड़े एक नए वित्तीय उत्पाद के लिए निवेशकों के उत्साह से भी प्रेरित है। जनवरी में अमेरिकी नियामकों ने बिटकॉइन की कीमत को ट्रैक करने वाले एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड या ईटीएफ की पेशकश करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों और पारंपरिक वित्त फर्मों के एक समूह को अधिकृत किया। यह फंड लोगों के लिए आभासी मुद्रा पर सीधे स्वामित्व के बिना क्रिप्टोकरेंसी बाजारों में निवेश करना आसान बनाता है।

क्यों हो रहा कीमतों में इजाफा

बिटकॉइन में तेजी की कई वजहें हैं। अमेरिका में हाल में कई बिटकॉइन ईटीएफ को मंजूरी मिली है। इसके बाद से इसके वॉल्यूम में गजब की तेजी आई है। आने वाले दिनों में बिटकॉइन को दो हिस्सों में बांटने की भी तैयारी है। साथ ही कई जियोपॉलिटिकल कारणों से इन्वेंस्टर्स अपने पोर्टफोलियो को डाइवरसिफाई करना चाहते हैं। यही वजह है कि वे बिटकॉइन का रुख कर रहे हैं जिसे डिजिटल इन्वेस्टमेंट का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। 

दुनिया भर में स्वीकार्यता

यदि कई बिटकॉइन निवेशक केवल सट्टा उद्देश्यों के लिए वहां हैं, तो हाल के वर्षों में इसने कुछ सम्मानजनकता हासिल की है। जनवरी की शुरुआत में अमेरिकी वित्तीय नियामकों ने बिटकॉइन "ईटीएफ" - या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड - को मंजूरी दे दी, जो व्यापक जनता को क्रिप्टोकरेंसी में अप्रत्यक्ष रूप से निवेश करने की अनुमति देता है, इसे सीधे रखने की आवश्यकता नहीं है। यह निर्णय मूल्य वृद्धि का मुख्य कारण था जिसके कारण मंगलवार का नया रिकॉर्ड बना। सितंबर 2021 में अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में स्वीकार करने वाला पहला देश बन गया। लेकिन क्रिप्टो मनी ने देश की आबादी पर जीत हासिल नहीं की है। सेंट्रल अमेरिका यूनिवर्सिटी (यूसीए) के एक अध्ययन के अनुसार, 2023 में 88 प्रतिशत साल्वाडोरवासियों ने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया। कुछ व्यापारियों ने कहा है कि वे इसे भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार करेंगे, जिसमें अरबपति एलोन मस्क भी शामिल हैं, जिन्होंने 2021 में घोषणा की थी कि वह बिटकॉइन के लिए टेस्ला कारें बेचेंगे - अपना मन बदलने से पहले, उन्होंने तर्क दिया कि इसका उत्पादन बहुत प्रदूषणकारी था और वह केवल इसे स्वीकार कर रहे हैं। जब यह कम प्रदूषणकारी था।

इसे भी पढ़ें: वोट के बदले नोट केस में 1998 का सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला, रिश्वत लेने पर सांसदों, विधायकों को अभियोजन से कोई छूट नहीं

क्रिप्टो करेंसी का सफर

2010 के मई महीने में फ्लोरिडा के पिज्जा स्टोर पर 10 हजार बिटकॉइन देकर दो पिज्जा खरीदे गए थे। इस दिन को बिटकॉइन के चाहने वालों ने बिटकॉइन पिज्जा डे के तौर पर मनाया था। तब एक बिटकॉइन की कीमत महज 8.3 रुपये थी। 2011 आते आते नई क्रिप्टो करेंसी मार्केट में आनी शुरू हो गई थी। मई 2011 में बिटपे की शुरुआत हुई जिसके जरिए बिटकॉइन से पे करना आसान हो गया था। 2012 आते आते बिटकॉइन ने माहौल बनाना शुरु कर दिया। कई वेब सीरिज में बिटकॉइन को लेकर एपिसोड भी बनाया गया। 2013 के फरवरी महीने में क्रॉइन बेस के एक रिपोर्ट के अनुसार 8.3 करोड़ रुपए के मूल्य के बिटकॉइन खरीदे गए थे। उस महीने एक बिटकॉइन की कीमत 22 डॉलर यानी 1826 रुपये थी। एक अमेरिकन कंपनी ने तो अपने स्टॉफ को बिटकॉइन में सैलेरी लेने का ऑपशन तक दे दिया। अप्रैल 2013 में बिटकॉइन की कीमत 300 डॉलर यानी 8030 रुपये हो गई। अक्टूबर 2015 में ये आंकड़ा डबल हो गया। नवंबर में 1 हजार डॉलर यानी 83 हजार रुपये। जबकि दिसंबर 2016 में इसकी कीमत 16 लाख 535 तक पहुंच गई। लेकिन 2019 के दिसंबर में मामला बिगड़ा। बिटकॉइन की कीमत गिरकर 6635 डॉलर यानी 5 लाख 50 हजार 705 रुपये हो गई। कोविड के दौर में भी इसकी कीमतों में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। नवंबर 2020 में बिटकॉइन की कीमत आसमान छू रही थी। 29 हजार डॉलर यानी 24 लाख 7 हजार रुपये हो गई। लेकिन नवंबर 2020 में ही इसकी वैल्यू गिरनी शुरू हुई। इस गिरावट को जानकार ने क्रिप्टो विंटर की शुरुआत बताया। दिबंसर महीने में इसकी वैल्यू 20 हजार डॉलर यानी 16 लाख 60 हजार रह गई। 

बिटकॉइन में किस तकनीक का उपयोग 

बिटकॉइन ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। सुरेश और रमेश दोनों के पास क्रिप्टोकरेंसी हैं। सुरेश के पास 2 बिटक्वाइन है, उसने एक बिटक्वाइन रमेश को दी। ऐसे में सारे कंप्यूटर्स काम पर लग जाते हैं और फटाफट चेक करने लग जाते हैं कि क्या सुरेश के पास सच में दो बिटक्वाइन हैं। उसकी सारी पुरानी ट्रांजक्शन के हिसाब से उसके पास दो बिटक्वाइन ही हैं। अब उसने रमेश को एक बिटक्वाइन दे दिया है तो उसके पास एक ही रह गया है। वहीं रमेश के पास कितने थे पूरा चेक करने के बाद एक जो सुरेश ने दिया वो इसमें जुड़ गया। ये सारी ट्रांजक्शन एक्यूरेसी के साथ कुछ सेकेंड के भीतर ही होती है। सारी ट्रांजक्शन पूरी हो जाती है, जिसे ब्लॉकचेन कहते हैं। जो भी लोग इस पब्लिक लेजर को मेंटेन कर रहे हैं उसे माइनर कहते हैं। इस ट्रांजक्शन को मेंटेन करने और वेलिडेट करने को माइनिंग कहते हैं। ये किसी को बैठकर नहीं करनी होती है। ये सिस्टम जेनरेटेज होता है, लेकिन इसके लिए स्पेशल कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर के साथ ही माइनिंग में जो वक्त व पैसा लग रहा है इसके बदले में माइनर्स को उसी करेंसी में कुछ रिवर्ड मिलता है।

भारत में क्रिप्टो करेंसी का भविष्य

अब सबसे बड़ा सवाल कि आखिर भारत में इस करेंसी का क्या भविष्य है। क्या सरकार इसे बैन कर देगी, या कानूनी मान्यता देगी? दुनिया के कई देशों में ये बैन है। साल 2022 में केंद्र सरकार के वित्‍त मंत्रालय ने क्रिप्‍टो करेंसी पर 30% टैक्‍स लगा दिया है। आने वाले समय में भारत सरकार इसे लीगल टेंडर का दर्जा तो नहीं देगी लेकिन इसे कमोडिटी के रूप में ट्रेडिंग किया जा सकता है।

प्रमुख खबरें

बिहार में बिछेगा सड़कों का जाल, नितिन गडकरी बोले- 2029 तक होंगे अमेरिका जैसे हाई-वे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिकी समकक्ष से मिले, जेट इंजन पर बढ़ेगी बात

बिहार के आश्रय गृह में मौत का मामला, NHRC ने नीतीश सरकार को जारी किया नोटिस

विधानसभा चुनाव के लिए AAP की तैयारी शुरू, पार्टी के नेता Gopal Rai ने किया उम्मीदवारों के चयन का खुलासा