बारिश के बादल (बाल कविता)

By संतोष उत्सुक | May 31, 2018

गरमी अब तुम चली जाओ  
मेघदूत तुम बारिश ला दो

नदी नाले सब सूख चुके हैं

उनमें जल धारा बरसा दो

 

वृक्ष पौधे खेत सब प्यासे हैं

उनकी प्यास शीघ्र बुझा दो  

 

पहाड़ों पर भी गरमी बरसती  

वहां बरसकर ताप घटा दो  

 

मानव ने पर्यावरण बिगाड़ा

इसको भी ज़रूर समझा दो  

 

आओ आओ अब आ जाओ  

बारिश के बादलों छा जाओ

 

-संतोष उत्सुक

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