By नीरज कुमार दुबे | Sep 17, 2024
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जन्मदिन पर चारों ओर से बधाइयों का तांता लगा हुआ है। हर कोई यही प्रार्थना कर रहा है भारत को विकसित बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए माँ भारती प्रधानमंत्री मोदी को और शक्ति व सामर्थ्य प्रदान करें। वर्ष 1950 में 17 सितंबर के दिन एक साधारण परिवार में जन्मे नरेन्द्र दामोदर दास मोदी का सत्ता के शीर्ष पर पहुंचना इस बात का संकेत है कि यदि व्यक्ति में दृढ़ इच्छा शक्ति और अपनी मंजिल तक पहुंचने का जज्बा हो, तो वह मुश्किल से मुश्किल हालात को आसान बनाकर अपने लिए नये रास्ते बना सकता है। हम आपको बता दें कि 26 मई 2014 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलायी थी। पांच बरस बाद 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर लोकसभा चुनाव जीता और उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की। इस साल नौ जून को उन्होंने लगातार तीसरे कार्यकाल के लिये प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, जिसके बाद मोदी पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति हो गए हैं। मोदी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री भी हैं जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लिया था।
देखा जाये तो देश को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने वाले, देश को गुलामी की मानसिकता से निजात दिलाने वाले, मुश्किल से भी मुश्किल समय में देश को कुशल नेतृत्व देने वाले, बात महामारी की हो या आतंकवाद की...रणनीति और साहस के साथ उनका खात्मा करने वाले, विस्तारवादी ताकतों की सारी हेकड़ी निकालने वाले, देश को अगले 25 सालों के लिए नव-संकल्प दिलाकर सबको साथ लेकर, सबको विश्वास में लेकर आगे बढ़ाने वाले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व कौशल की आज पूरी दुनिया कायल है। 'मोदी है तो मुमकिन है', यह कोई महज चुनावी नारा नहीं बल्कि आश्वस्ति का वह भाव है जो देश की जनता के मन में है। देश की जनता सिर्फ इसी बात से निश्चिंत है कि मोदी हैं तो हमारे देश की संप्रभुता और अखण्डता को कोई आंच नहीं आ सकती। जनता बार-बार देख चुकी है कि 'कोई भारत को छेड़ेगा तो हम छोड़ेंगे नहीं' यह बात सिर्फ मोदी कहते भर नहीं हैं इसे समय-समय पर हकीकत भी बना कर दिखाते हैं।
गुजरात के वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले से लेकर वर्ल्ड स्टेज पर दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार होने तक और एक बार फिर ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग में सबसे आगे रहने तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा बड़ी रोचक और प्रेरणादायक रही है। नरेंद्र मोदी इस मामले में पहले प्रधानमंत्री हैं जिसने गरीबी को सबसे करीब से देखा है। जिसकी माँ दूसरों के घरों में काम करती हो, जिसने खुद कभी रेलवे स्टेशन पर चाय बेची हो, जिसने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा दो जोड़ी कपड़ों में गुजारा हो, जिसने हिमालय की चोटियों पर बरसों संन्यासी के रूप में गुजारे हों, जिसने मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात को ऐसा चमकाया हो कि दुनिया भारत के इस राज्य की चकाचौंध से जुड़ने के लिए खुद आतुर हुई हो, जिसने प्रधानमंत्री के रूप में भारत को गरीबी और निराशा की स्थिति से निकाला हो और जो देश को एकजुट कर 'नये भारत' और 'विकसित भारत' की परिकल्पना साकार करने के लिए निकल पड़ा हो, उस हस्ती का देश-दुनिया वंदन कर रही है। वाकई ऐसे जुझारू, कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ, भारत की संस्कृति के प्रचारक और राष्ट्रभक्त जनसेवक बिरले ही होते हैं। अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद की लगभग समाप्ति कर कश्मीरी युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की बात हो या फिर पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद और कुछ राज्यों में आधार रखने वाले माओवाद पर काबू पाने की बात हो, मोदी सरकार के कार्यकाल में देश में पूर्णतः शांति बनी हुई है और हर जगह सिर्फ कानून का राज है।
नरेंद्र मोदी को जनप्रतिनिधि के रूप में विभिन्न पदों पर रहते हुए 21 साल से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन देखिये उनके पास अन्य नेताओं की तरह ना तो आलीशान बंगला है, ना ही बड़े-बड़े बैंक बैलेंस हैं और ना ही चमचमाती कारें हैं। हाँ, उनके पास भारत की जनता का प्यार जरूर है तभी तो चुनावों के समय जनता खुद ही नारा लगाती है- 'नमो नमो', 'मोदी मोदी', 'मोदी है तो मुमकिन है', 'हर हर मोदी घर घर मोदी' लेकिन भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने देश को जो बड़े नारे या फिर कहिये सूत्रवाक्य दिये वह हैं- 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत', 'सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास'। नरेंद्र मोदी ने अपने लिए बड़ा घर बनाने की जगह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रिकॉर्ड संख्या में जरूरतमंदों के सिर पर छत प्रदान की। नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र या अपने गृहराज्य की चिंता करने की बजाय देश को समान रूप से विकास की ऐसी ढेरों परियोजनाएं प्रदान कीं जिससे नये भारत का निर्माण चारों ओर होता दिख रहा है।
भारत का पहला वॉर मेमोरियल, सेंट्रल विस्टा परियोजना, नया संसद भवन, नये संसद भवन में हमारा सेंगोल, भारत मंडपम, यशोभूमि आदि राष्ट्र इमारतें मोदी के कार्यकाल में ही साकार हुईं। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, स्वच्छ भारत, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, सीडीएस, स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया अभियान, नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के वादे भारत में बरसों से सुने जाते थे लेकिन यह सब साकार मोदी सरकार के कार्यकाल में ही हुए। यही वह सरकार है जिसने उद्योगों को मजबूती प्रदान करने के लिए तमाम कदम उठाये, उद्योगों की स्थापना संबंधी प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया, मंजूरियां प्रदान करने की प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त बनाया, युवाओं को रोजगार पाने की जद्दोजहद में जुटने की बजाय उन्हें रोजगार प्रदान करने लायक स्थिति में पहुँचाने के लिए तमाम योजनाओं को पेश किया, कोरोना के कहर से देश को बचाने के लिए भारत में वैक्सीन के निर्माण को प्रोत्साहित भी किया तथा दुनिया में सबसे ज्यादा और तीव्र गति से वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड भी बनाया, संकट के समय महीनों तक गरीब जनता को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया। यही नहीं ओलम्पिक, पैरालम्पिक और राष्ट्रमंडल खेलों के सभी पदक विजेताओं और प्रतिभागी खिलाड़ियों का हौसला प्रधानमंत्री ने निजी रूप से बढ़ाया। विभिन्न क्षेत्रों में मुकाम हासिल करने वालों से बात कर उनका हौसला बढ़ाने की बात हो, युवाओं का विभिन्न अवसरों पर मार्गदर्शन करने की बात हो, छात्रों से परीक्षा पर चर्चा कर उनका हौसला बढ़ाने की बात हो...नरेंद्र मोदी से पहले किसी प्रधानमंत्री ने यह काम नहीं किया।
भोलेनाथ के भक्त और काशी के जनसेवक मोदी ने रामनगरी अयोध्या में श्रीराम का दिव्य और भव्य मंदिर बनवा कर हिन्दुस्तान की जनता का सैंकड़ों वर्षों पुराना सपना साकार कर दिया तो मोदी सरकार के कार्यकाल में ही अल्पसंख्यक मंत्रालय ने मुस्लिमों के लिए इतनी योजनाएं पेश कीं कि आज यह वर्ग पहले की अपेक्षा ज्यादा पढ़ा-लिखा और संपन्न नजर आ रहा है। मोदी ने इस देश में बरसों से चल रही तुष्टिकरण की राजनीति को तो समाप्त किया ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के अभिशाप से भी मुक्ति दिलाई। आज प्रधानमंत्री का जन्मदिन हो या फिर रक्षा बंधन या भैया दूज का त्योहार, मुस्लिम महिलाएं मोदी को भाई के रूप में राखी भेजती हैं, तिलक भेजती हैं। प्रधानमंत्री स्वयं कई बार अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबुद्ध लोगों से बात कर उनकी समस्याएं हल करने की दिशा में कदम उठा चुके हैं। यही कारण है कि देश में लोकसभा और विधानसभा की कई ऐसी सीटें हैं जो अल्पसंख्यक बहुल होने के बावजूद भाजपा के पास हैं। यह दर्शाता है कि मुस्लिमों को वोट बैंक के रूप में देखने वालों के दिन अब लद चुके हैं।
इस देश में दलितों और पिछड़ों को भी सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखा जाता था लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी सामाजिक और आर्थिक दशा में बड़े बदलाव आये हैं। सबको याद होगा कि प्रयागराज के कुंभ मेले में स्वच्छता कर्मियों के पैर खुद प्रधानमंत्री ने धोये थे और उन्हें सम्मानित किया था। कोई भी परियोजना साकार हो, मोदी उसमें लगे श्रमिकों का सम्मान करना कभी नहीं भूलते। कारीगरों और मजदूरों का काम पहले निर्माण के बाद खत्म समझा जाता था लेकिन मोदी के कार्यकाल में इन श्रमिकों को सम्मान मिल रहा है। यही नहीं, आज पिछड़े वर्गों को आगे बढ़ाने का काम जितना नरेंद्र मोदी ने किया है उतना आजाद भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। गांवों और किसानों की चिंता करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने के लिए ना सिर्फ अनेकों योजनाएं पेश कीं बल्कि उनके क्रियान्वयन पर खुद निगाह भी रखी। गरीब किसानों की मदद के वादे तो पहले भी किये जाते थे लेकिन नरेंद्र मोदी ने किसान सम्मान योजना के जरिये ना सिर्फ उनकी आर्थिक मदद की बल्कि तमाम तरह की फसलों का एमएसपी समय-समय पर बढ़ाकर उन्हें और सशक्त भी किया।
मोदी भ्रष्टाचार, परिवारवाद जैसी बुराई का कचरा तो साफ कर ही रहे हैं साथ ही वह स्वच्छ भारत के लिए कितने गंभीर रहते हैं यह देश कई बार देख चुका है। गंदगी दिखे तो झाडू लगा देना, समुद्र तट पर जायें तो कचरा एकत्र कर उसे डस्टबिन में डालना और किसी परियोजना के उद्घाटन के समय सिर्फ रिब्बन ही नहीं काटना बल्कि कचरा दिखे तो उसे भी उठा देना...ऐसा सिर्फ आज तक एक ही प्रधानमंत्री ने करके दिखाया है। प्रधानमंत्री योग से निरोग रहने का संदेश ही नहीं देते उसे खुद भी जीवन में अपनाते हैं। सेना के किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो सैन्य वर्दी को शान से पहनते हैं। मोदी से पहले किसी अन्य प्रधानमंत्री ने जनता से मन की बात अगर की थी तो सिर्फ चुनावों के समय की थी लेकिन मोदी हर महीने के अंत में रेडियो के माध्यम से अपने मन की बात रखते हैं। यही कारण है कि मोदी के मन से वाकिफ जनता उनके एक आह्वान पर उठ खड़ी होती है। मोदी ने कोरोना काल में जो-जो आह्वान किये देश की जनता उनसे जुड़ी, आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर मोदी ने 'हर घर तिरंगा' अभियान का आह्वान किया तो देश के प्रत्येक नागरिक ने मिलकर उसे सफल बनाया।
मोदी वैसे तो भारत के प्रधानमंत्री हैं लेकिन वह अपने काम से वैश्विक नेता की छवि रखते हैं। विदेशी रेटिंग एजेंसियों के अनुसार मोदी की ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग में उनके आसपास दुनिया का कोई नेता नहीं है। मोदी ने भारतीय विदेश नीति को जिस तरह आगे बढ़ाया है उससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है। दुनिया के किसी भी कोने में संकट हो तो वह हल के लिए भारत की ओर देखता है। भारत में विपक्ष भले राजनीतिक मजबूरी के चलते मोदी की विदेश नीति की सराहना नहीं करे लेकिन दुनिया मोदी की नीतियों को सराह रही है।
मोदी राष्ट्र हित में फैसले लेने के लिए राजनीतिक नुकसान की परवाह कभी नहीं करते इसलिए वह देश के लिए कई साहसिक निर्णय ले पाये हैं। प्रतिदिन 24 में से 18 घंटे काम करने वाले भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के लिए देश सेवा ही सबकुछ है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े पद तक पहुँचने का उनका सफर हमारे लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है जहाँ सामान्य परिवार से जुड़ा व्यक्ति भी शीर्ष पद तक पहुँच सकता है। मोदी देश को विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना ही चुके हैं। उम्मीद है कि उनके ही नेतृत्व में हम पहले नंबर पर भी पहुँचेंगे। मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में जिस तेजी से देश को आगे बढ़ाने का काम किया है उससे देशवासियों का विश्वास एनडीए सरकार के प्रति और मजबूत हुआ है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले अपना जन्मदिन नहीं मनाते हों लेकिन देश उनके जन्मदिन को बड़े धूमधाम से मनाता है क्योंकि भारत की जनता यही चाहती है कि उसे बरसों बाद जो सशक्त नेता मिला है वह अनंत काल तक नेतृत्व करता रहे।
-नीरज कुमार दुबे