By नीरज कुमार दुबे | Jul 18, 2023
अडाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अडाणी ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गलत सूचना और बदनाम आरोपों का एक संयोजन थी। कंपनी की वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की ओर से लगाये गये आरोपों में से अधिकांश 2004 से 2015 तक के थे। जबकि उन सभी का निपटान उस समय अधिकारियों द्वारा कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जानबूझकर लायी गयी थी और यह एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास था।
अडाणी का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 20 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है। अडाणी के इस बयान के बाद सवाल उठा है कि क्या मॉनसून सत्र में विपक्ष अब इस मुद्दे को उतने पुरजोर ढंग से नहीं उठायेगा? हम आपको याद दिला दें कि संसद का बजट सत्र अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग की ओर से लगाये गये आरोपों की जेपीसी से मांग कराने को लेकर हुए हंगामे के चलते बाधित हुआ था। विपक्ष ने मॉनसून सत्र में भी जेपीसी की मांग पुरजोर ढंग से उठाने की तैयारी की है इसलिए अडाणी का यह कहना कि हिंडनबर्ग के आरोप दुर्भावनापूर्ण थे, काफी मायने रखता है। कांग्रेस का कहना है कि इस कारोबारी समूह से जुड़ा घोटाला ‘राजनीतिक निजी साझेदारी’ का मामला है और इसकी सच्चाई सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के जरिये ही बाहर आ सकती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अडाणी मुद्दे पर केंद्र सरकार को बार-बार घेरते हुए कहते हैं कि यह हम दो, हमारे दो की सरकार है। राहुल गांधी कहते रहे हैं कि अडाणी मुद्दे पर चर्चा नहीं होने देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरसंभव कोशिश करेंगे।
हम आपको यह भी बता दें कि अभी हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी करने के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया था। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेबी को गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह पर लगे शेयर मूल्यों में हेराफेरी के आरोपों की जांच पर अपडेटेड स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। हम आपको याद दिला दें कि उच्चतम न्यायालय ने दो मार्च को, गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी करने के आरोपों की जांच करने के लिए छह सदस्यीय समिति बनाने का आदेश दिया था।
उल्लेखनीय है कि कारोबारी समूह पर यह आरोप अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के चलते अडाणी समूह के शेयरों में तगड़ी गिरावट आई जिससे इस कारोबारी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी दुनिया के शीर्ष अरबपतियों की सूची में काफी पिछड़ चुके हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह ने अपने एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बावजूद उसे नैतिकता के आधार पर वापस ले लिया था। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से अडाणी समूह को दिये गये कर्ज के बारे में विस्तृत जानकारी मंगा ली थी।
जहां तक एफपीओ वापस लेने की बात है तो उसने सभी को चौंकाया था क्योंकि शुरुआती निराशाजनक प्रतिक्रिया के बाद अंतिम दिन अडाणी समूह के एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिल गया था। इस बारे में खुद गौतम अडाणी ने एक बयान में कहा था कि बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण उनके समूह की प्रमुख कंपनी को पूर्ण अभिदान मिलने के बावजूद अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने का फैसला किया गया था।
जहां तक अडाणी के आज के बयान की बात है तो इसमें समूह के प्रति विश्वास बनाये रखने का निवेशकों से आग्रह किया गया है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि एफपीओ को वापस लेते समय भी गौतम अडाणी ने कहा था कि 'हम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे। अडाणी ने कहा था कि कंपनी की बुनियाद मजबूत है।