By नीरज कुमार दुबे | Jan 27, 2022
गणतंत्र दिवस वैसे तो पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया लेकिन कश्मीर में इस बार जो रौनक दिखी वह अभूतपूर्व थी। पिछले 32 साल से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहे श्रीनगर और समूची कश्मीर घाटी में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में जगह-जगह तिरंगा फहराया गया हो। आमजनों ने अपने घरों पर तिरंगा फहराया, मदरसों में तिरंगे फहराये गये, गलियों, चौक-चौराहों पर भी तिरंगा लहराता रहा। श्रीनगर के लाल चौक पर तो बुधवार को गणतंत्र दिवस पर 30 साल बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। हम आपको बता दें कि इसके पहले भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने लाल चौक स्थित ऐतिहासिक घंटाघर पर वर्ष 1992 में सबसे पहले तिरंगा फहराया था। सामाजिक कार्यकर्ता साजिद यूसुफ शाह और साहिल बशीर भट ने दर्जनों समर्थकों के साथ क्लाक टावर पर ध्वजारोहण समारोह का अयोजन किया था। इस टावर के शीर्ष तक ध्वज को पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं ने क्रेन युक्त सीढ़ी का इस्तेमाल किया। समारोह में कश्मीर मार्शल आर्ट अकादमी के युवा खिलाड़ियों ने भी भाग लिया। इस दौरान टावर के चारों तरफ सैंकड़ों पुलिसकर्मियों और अर्द्धसैनिकों की सुरक्षा के बीच प्रतिभागियों ने देशभक्ति वाले गानों पर नृत्य किया। यही नहीं प्रताप पार्क और इकबाल पार्क सहित शहर के अन्य इलाकों और सार्वजनिक पार्क में गणतंत्र दिवस पर हजारों तिरंगे लहरा रहे थे। यह पहली बार है जब शहर में इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्रीय ध्वज फहराए गए।
मदरसों पर लहराया तिरंगा
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित शोपियां जिले में दो मदरसों ने गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया। हम आपको बता दें कि इन मदरसों के कुछ छात्र कथित रूप से आतंकवादी संगठनों का हिस्सा बन गए थे, जिसके बाद दोनों मदरसों पर सुरक्षा बलों की कड़ी नजर थी। पिंजोरा गांव में स्थित दारुल-उलूम और हिल्लव गांव में स्थित सिराज-उल-उलूम मदरसों में आयोजित कार्यक्रमों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। छात्रों और शिक्षकों को तिरंगा फहराते तथा ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाते सुना जा सकता है।
सबसे ऊंचा तिरंगा
दूसरी ओर, गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर सेना ने 150 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर उसे लोगों को समर्पित किया। रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश में यह सबसे ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज है। उन्होंने कहा कि सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को स्थापित करना दक्षिण कश्मीर के इतिहास में एक नया मील का पत्थर है।
उपराज्यपाल का बयान
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन लोगों की आलोचना की है जो केंद्र शासित प्रदेश में जनसांख्सिकीय बदलाव जैसे ‘‘काल्पनिक मुद्दों’’ के बारे में ‘‘अफवाह’’ फैलाकर लोगों को भड़काते हैं। मनोज सिन्हा ने कहा कि पहाड़ी राज्यों की तर्ज पर भूमि आरक्षण का प्रावधान किया गया है। उपराज्यपाल ने गणतंत्र दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जीवंत पर्यटन क्षेत्र के लिए जम्मू-कश्मीर में शांति जरूरी है जिससे रोजगार एवं राजस्व में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने सभी से अपील की कि आतंकवाद का खात्मा करने और पड़ोसी देश द्वारा बनाए गए आतंक के माहौल को समाप्त करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि केंद्र शासित प्रदेश का हर नागरिक समृद्ध बने एवं शांतिपूर्ण जिंदगी जिए।''
रंगबिरंगी डल झील
जम्मू और कश्मीर अब काफी बदल चुका है। यहां नित नये प्रयोग हो रहे हैं और कैसे यहाँ की खूबसूरती को तकनीक की मदद से और भव्य रूप देकर लोगों को आकर्षित किया जा सकता है इसके बारे में प्रशासन तमाम प्रयास कर रहा है। पर्यटन विभाग के सचिव और श्रीनगर शहर के सीईओ अतहर आमिर खान ने श्रीनगर स्मार्ट सिटी अभियान के तहत डल झील में सौर रोशनी से जगमगाये शिकाराओं को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आइये आपको दिखाते हैं कैसे रात को पूरी डल झील में रंगबिरंगी रोशनी चारों ओर जब फैली तो कैसा मनमोहक नजारा था।
कश्मीर में शीतलहर तेज
कश्मीर घाटी में बृहस्पतिवार को न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से नीचे चला गया है तथा गुलमर्ग और पहलगाम पर्यटन स्थलों पर भीषण ठंड पड़ रही है। अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। इससे पिछली रात श्रीनगर का न्यूनतम तापमान 1.3 डिग्री सेल्सियस था। गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा, जबकि उसकी पिछली रात यह शून्य से 10.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 10.9 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। इससे पिछली रात पहलगाम का तापमान शून्य से 5.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था। काजीगुंड का न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 0.2 डिग्री सेल्सियस जबकि कोकेरनाग में पारा शून्य के नीचे 4.3 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया। कश्मीर घाटी फिलहाल 40 दिनों के सबसे भयंकर ठंड के दौर से गुजर रही है जिसे ‘चिल्ला-ई-कलां के नाम से जाना जाता है। पिछले साल 21 दिसंबर को यह शुरू हुआ था। यह एक ऐसा दौर होता है जब तापमान काफी गिर जाने से यहां प्रसिद्ध डल झील समेत जलाशयों एवं जलापूर्ति पाइपों में पानी बर्फ बन जाता है।