By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 06, 2024
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन साल की लड़की से दुष्कर्म और उसकी हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा घटाकर 30 वर्ष का कारावास कर दी है। अदालत का मानना है कि दोषी व्यक्ति का ना तो कोई आपराधिक इतिहास है और ना ही वह पूर्व में दोषी रहा है, इसलिए उसके सुधरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की पीठ ने फतेहपुर की जिला अदालत से मृत्युदंड की सजा पाए दिनेश पासवान की आपराधिक अपील आंशिक रूप से स्वीकार कर ली।
अपीलकर्ता पासवान की अधिवक्ता तनीशा जहांगीर मोनिर ने दलील दी कि अपीलकर्ता को महज़ संदेह के आधार पर फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष ने घटना के मूल को दबा दिया गया है, यह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य का है, जिसकी श्रृंखला अधूरी है।
अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, “यह अपराध बहुत जघन्य प्रकृति का है और इसे बड़ी निर्दयता के साथ अंजाम दिया गया।” मृतक की मां ने फतेहपुर के खागा पुलिस थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप है कि दिनेश पासवान उसकी बेटी को बहला फुसला कर अपने कमरे में ले गया जहां उसने उससे दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी। पासवान को 18 जनवरी, 2022 को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, जिसके खिलाफ उसने उच्च न्यायालय में अपील की।