सच्चा प्यार करने वाले कभी अपना असली धर्म और नाम नहीं छिपाते

By अजय कुमार | Nov 26, 2020

जो लोग गोलमोल शब्दों में साजिशन ‘लव जिहाद’ के खिलाफ योगी सरकार द्वारा लाए गए ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ कानून का विरोध करते हुए यह कह रहे हैं कि प्यार का कोई धर्म-महजब नहीं होता है, वह सिर्फ और सिर्फ समाज की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। लव जिहाद को प्यार जैसे पवित्र शब्द के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। भला कोई अपना धर्म-नाम छिपाकर किसी से कैसे सच्चा प्यार कर सकता है। बात यहीं तक सीमित नहीं है। यह भी समझ से परे है कि ऐसे कथित प्यार में हमेशा लड़की हिन्दू और लड़का मुसलमान ही क्यों होता है और यदि कहीं किसी एक-दो मामलों में लड़की मुस्लिम और लड़का हिन्दू होता है तो वहां खून-खराबे तक की नौबत जा जाती है। मुस्लिम लड़कियों से प्यार करने वाले कई हिन्दू लड़कों को इसकी कीमत जान तक देकर चुकानी पड़ी है। इसी के चलते समाज में वैमस्य बढ़ रहा था।

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आसान शब्दों में कहें तो ‘लव जिहाद’ मुस्लिम लड़कों द्वारा गैर-मुस्लिम लड़कियों को इस्लाम धर्म में परिवर्तित कराने के लिए प्रेम का ढोंग रचना है। देश में अक्सर लव जिहाद के किस्से सुनने को मिल जाते हैं, लेकिन इसकी ओर सबका ध्यान तब गया जब सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद को लेकर टिप्पणी की, तभी ये शब्द चर्चा और बहस का ज्वलंत मुद्दा बन गया। लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है। अंग्रेजी भाषा का शब्द लव यानि प्यार, मोहब्बत या इश्क और अरबी भाषा का शब्द ‘जिहाद’। जिसका मतलब होता है किसी मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना। जब एक धर्म विशेष को मानने वाले दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उस लड़की का धर्म परिवर्तन करवा देते हैं तो इस पूरी प्रक्रिया को ‘लव जिहाद’ का नाम दिया जाता है।


इस मुद्दे ने तूल तब पकड़ा जब केरल हाईकोर्ट ने 25 मई को हिंदू महिला अखिला अशोकन की शादी को रद्द कर दिया था। निकाह से पहले अखिला ने धर्म परिवर्तन करके अपना नाम हादिया रख लिया था, जिसके खिलाफ अखिला उर्फ हादिया के माता-पिता ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोप लगाया गया कि उनकी बेटी को आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में फिदायीन बनाने के लिए लव जिहाद का सहारा लिया गया है। जिसके बाद केरल हाईकोर्ट ने अखिला उर्फ हादिया और शफीन के निकाह को रद्द कर दिया था। उसके बाद अखिला उर्फ हादिया के पति शफीन ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की एनआईए जांच के आदेश दिए थे।


बहरहाल, योगी सरकार जो कानून लाई है उसकी आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही थी, लेकिन हिन्दुओं के आपस में बंटे होने और एकजुट मुस्लिम वोट बैंक की खातिर गैर-भाजपाई सरकारों ने कभी इसके लिए कोशिश नहीं की। इसीलिए जो ‘ताकतें-शक्तियां’ मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन एक्ट का विरोध कर रही थीं, वह ही आज भी हो-हल्ला मचा रही हैं। इसमें अपने आप को आधुनिक और उदारवादी विचारधारा का शायर बताने वाले मुनव्वर राणा से लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी जैसे तमाम लोग शामिल हैं। यहां तक कि इस्लाम को जानने वाले भी, जिनको पता है कि निकाह के लिए किसी गैर मुस्लिम युवती को मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर करना गैर इस्लामी है। वह भी चुप्पी साधे बैठे हैं।


शायर मुनव्वर राणा जो कांग्रेस के काफी करीबी माने जाते हैं, लव जिहाद के खिलाफ योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण कानून की हिमायत करने की बात कह रहे हैं। राणा ने ट्वीट कर कहा कि लव जिहाद सिर्फ एक जुमला है, जो समाज में नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान तो मुस्लिम लड़कियों का ही होता है, क्योंकि लड़के कहीं और शादी कर लेते हैं। इसी आधार पर राणा ने कहा, इस कानून की हिमायत हम इस शर्त पर करते हैं कि सबसे पहले केंद्र सरकार में बैठे दो बड़े नेताओं से इसकी शुरुआत की जाए ताकि दो मुस्लिम लड़कियों का निकाह उनसे हो सके। उन्होंने मांग की है कि जिन भाजपा नेता या उनके परिवार के लोगों ने गैर धर्म में शादियां की हैं उन पर कार्रवाई हो। मुन्नवर के ऐसे ही बोल पिछले वर्ष मोदी सरकार द्वारा पास किए गए नागरिकता संशोधन एक्ट के समय भी सामने आए थे। मुन्नवर की बेटियां भी इसी तरह की साम्प्रदायिकता फैलाती हैं। राणा की तरह ही ओवैसी को भी लगता है कि धर्मांतरण कानून संविधान की भावनाओं के खिलाफ है। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने लव जिहाद पर कानून लाने वाले राज्यों को संविधान पढ़ने की नसीहत दी है। ओवैसी का कहना है कि ऐसा कोई भी कानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। खैर, मुनव्वर राणा और ओवैसी जैसे लोगों को मुसलमानों का ठेकेदार नहीं कहा जा सकता है। यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि कई मुस्लिम धर्मविद्ध योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण कानून के पक्ष में भी खड़े हैं, इसमें लखनऊ ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर जैसी हस्तियां भी शामिल हैं।

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दरअसल, योगी सरकार धर्मांतरण के संबंध में जो कानून लाई है उससे लव जिहाद चलाने वालों की मंसूबों पर पानी फिरता दिख रहा है। नये कानून के अनुसार अब छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी। जबरन धर्मांतरण को लेकर तैयार किए गए मसौदे में इन मामलों में दो से सात साल तक की सजा का प्रस्ताव किया गया था, जिसे सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। इसके अलावा सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। 


गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में 100 से ज्यादा ऐसी घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें जबरदस्ती धर्म परिवर्तित किया गया था। इसके अंदर छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित की बात सामने आई थी। नये अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांट साल की जेल की सजा का प्रावधान है। एससी/एसटी समुदाय की महिलाओं और नाबालिगों के धर्मांतरण पर 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से दस साल की जेल की सजा होगी। देश के कई राज्यों की तर्ज पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए कड़ा कानून लाई है। उत्तर प्रदेश में अब लव जिहाद के नाम पर लड़कियों तथा महिला से धर्म परिवर्तन कराने के बाद अत्याचार करने वालों से सख्ती से निपटने की तैयारी है। अब दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही डीएम की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा हो सकती है।


-अजय कुमार

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